लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कथित रेप पीड़िता व उसके साथी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आत्मदाह के मामले में बसपा सांसद अतुल कुमार सिंह उर्फ अतुल राय की दूसरी जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया है. इसके पूर्व 7 जून 2022 को पहली जमानत याचिका खारिज की जा चुकी है. मृतका के साथ दुराचार के मुकदमे में बरी होने के बाद अतुल राय द्वारा यह दूसरी जमानत याचिका दाखिल की गई थी. हालांकि दुराचार के मामले में बरी होने को न्यायालय ने वर्तमान मामले में जमानत के लिए पर्याप्त आधार नहीं माना.
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने बसपा सांसद की जमानत याचिका पर पारित किया. इस मामले में अतुल राय व पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर पर रेप पीड़िता व उसके साथी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है. पीड़िता ने अतुल राय के खिलाफ दुराचार की एफआईआर लिखाई थी. आरोप है कि इस मामले में पीड़िता को दबाव में लेने के लिए उसे और उसके साथी को प्रताड़ित किया जा रहा था जिसकी वजह से दोनों ने 16 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट के गेट के सामने आत्मदाह कर लिया. दूसरी जमानत याचिका में अतुल राय की ओर से दलील दी गई कि चूंकि दुराचार के मामले में वह बरी हो चुका है लिहाजा उसके खिलाफ मृतका व उसके साथी को आत्मदाह के लिए उकसाने का भी मामला नहीं बनता. हालांकि न्यायालय ने इस दलील को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने की थी तल्ख टिप्पणी : हाईकोर्ट ने अतुल राय की पहली जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की थी कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2019 के पब्लिक इंट्रेस्ट फाउंडेशन मामले में चुनाव आयोग को राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए यथोचित उपाय करने का निर्देश दिया गया था लेकिन काेई कदम नहीं उठाया गया. न्यायालय ने नसीहत देते हुए कहा था कि यह संसद की जिम्मेदारी है कि वह लोकतंत्र को बचाने के लिए अपराधियों को राजनीति, संसद व विधान मंडल में जाने से रोके.
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