लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कद्दावर नेता लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को दल से निष्कासित कर दिया है. लालजी वर्मा को नेता विधान मंडल के पद से भी हटा दिया गया है. शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली बसपा विधानमंडल दल के नेता होंगे. बीएसपी से निष्कासित किए गए लालजी वर्मा और राम अचल राजभर पर आरोप है कि पंचायत चुनाव के दौरान दोनों पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे.
पंचायत चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप
बसपा सुप्रीमो मायावती ने इन दोनों पार्टी के प्रमुख नेताओं को पंचायत चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण निष्कासित किया है. वहीं सूत्रों का दावा है कि नेता विधानमंडल दल लालजी वर्मा समाजवादी पार्टी के संपर्क में थे और जल्द ही सपा में शामिल होने वाले थे. इससे पहले ही मायावती ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया. इसके साथ ही बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी विधायक राम अचल राजभर को भी निष्कासित किया गया है.
शाह आलम बने बसपा नेता विधान मंडल दल
बसपा के नेता विधानमंडल दल के पद पर बहुजन समाज पार्टी ने आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर विधानसभा सीट से विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को जिम्मेदारी दी है. विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को भी पत्र भेजकर बसपा विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को बसपा नेता विधानमंडल के पद पर नियुक्त किए जाने की जानकारी दी गई है.
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पहले भी कई विधायक बसपा से कर चुके हैं बगावत
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी बहुजन समाज पार्टी के आठ विधायक पार्टी से बगावत कर चुके थे. उसको लेकर मायावती ने सभी 8 विधायकों को बसपा से निष्कासित किया था. हालांकि मायावती की तरफ से पार्टी के विधायकों की विधानसभा सदस्यता समाप्त किए जाने को लेकर विधानसभा में किसी भी प्रकार की याचिका दाखिल नहीं की गई थी. विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी के लिए यह बड़ा झटका है. बसपा के नेता समाजवादी पार्टी के संपर्क में हैं. ऐसी स्थिति में जब नेता विधानमंडल दल लालजी वर्मा के सपा में शामिल होने की जानकारी बसपा सुप्रीमो मायावती को मिली तो, उन्होंने तत्काल नेता विधानमंडल दल लाल जी वर्मा के साथ पार्टी विधायक राम अचल राजभर को पार्टी से बाहर कर दिया. सूत्रों का दावा है कि यह दोनों नेता समाजवादी पार्टी में कभी भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन राजनीतिक रूप से यह बहुजन समाज पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका माना जा रहा है.