लखनऊ : उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में इस समय पंचायत चुनाव के बीच कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले शिक्षकों की संख्या को लेकर विवाद चल रहा है. शिक्षक संगठनों का कहना है कि कुल 1621 शिक्षकों और कर्मचारियों ने कोरोना संक्रमण से जान गंवाई है. इन्हें पंचायत चुनाव ड्यूटी में भी लगाया गया था. वहीं, बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी का कहना है कि पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित 15 शिक्षकों की ही मौत हुई है. इस विवाद के बीच ईटीवी भारत ने जब अपनी पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. ईटीवी भारत को प्रदेश के कई जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों की ओर से विभाग को भेजी गई रिपोर्ट मिली हैं. अगर इन रिपोर्टों पर भरोसा करें तो बेसिक शिक्षा मंत्री के दावे खोखले नजर आते हैं.
- वाराणसी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने 15 शिक्षकों और कर्मचारियों की सूची विभाग को भेजी है. इस सूची में स्पष्ट लिखा है कि इन शिक्षकों और कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी में लगाया गया था. इनकी कोविड-19 के संक्रमण से मृत्यु हुई है.
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संवेदना दिखाने का समय है राजनीति का नहीं
इस गंभीर मामले पर लगातार उठ रहे विवाद को लेकर शिक्षकों में काफी नाराजगी भी है. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉक्टर आरपी मिश्रा का कहना है कि यह बहुत कठिन दौर है. जान गंवाने वाले 1621 शिक्षकों कर्मचारियों की सूची सार्वजनिक है. इनके परिवारों ने अपने प्रिय जनों को खोया है. ऐसे में वाद विवाद को जन्म देने के बजाय जिम्मेदारों को संवेदना के साथ इस मुद्दे को हल करना चाहिए.
इतने गंभीर मामले पर भी जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी
प्रकरण बेहद गंभीर है. प्रदेश में सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों कर्मचारियों की नजर विभाग और सरकार पर है. 1621 शिक्षकों और कर्मचारियों के परिवारों और भविष्य का सवाल है. बावजूद इतने गंभीर मामले पर जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हुए है. ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर जिम्मेदारों का पक्ष जानने के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी से लेकर महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरण आनंद और निदेशक बेसिक शिक्षा सर्वेंद्र विक्रम तक से संपर्क किया. लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला.