लखनऊ : बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के छोटे भाई डॉ. अरुण द्विवेदी की नियुक्ति ईडब्ल्यूएस कोटे के अंतर्गत सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुई थी.
यह मामला चर्चा में आया तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रमाण के आधार पर नियुक्ति देने की बात की. इस दौरान कई राजनीतिक दलों व उनके नेताओं ने प्रमाण पत्र के जांच की मांग की. अब डॉ. अरुण द्विवेदी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
ईडब्ल्यूएस कोटे में की गई इस नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बखेड़ा खड़ा हो गया था. विपक्ष ने बेसिक शिक्षा मंत्री के इस्तीफे तक की मांग तक कर दी थी. ऐसे में अचानक इस इस्तीफे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
यह भी पढ़ें : 'जिम्मेदार कौन' अभियान के तहत प्रियंका ने मोदी सरकार से पूछे तीखे सवाल
मनोविज्ञान विभाग में की गयी थी नियुक्ति
डॉ. अरुण द्विवेदी की नियुक्ति सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर की गई थी. कुलसचिव की ओर से बीते शुक्रवार को उनका नियुक्ति पत्र जारी किया गया. नियुक्ति मनोविज्ञान विभाग में की गई.
यहां असिस्टेंट प्रोफेसर के 2 पद थे. एक पद ओबीसी वर्ग और दूसरा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी के लिए आरक्षित था. इन पदों पर 2 नियुक्तियां की गईं. डॉक्टर हरेंद्र शर्मा को ओबीसी पद और डॉक्टर अरुण कुमार द्विवेदी की नियुक्ति ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत की गई. डॉ अरुण कुमार द्विवेदी बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के छोटे भाई हैं.
पत्नी की सैलरी 70 हजार तो गरीब कोटे में कैसे
अरुण द्विवेदी की पत्नी डॉ. विदुषी दीक्षित मोतिहारी जनपद के एमएस कॉलेज में मनोविज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. पत्नी की सैलरी 70 हजार से ज्यादा है. अरुण द्विवेदी खुद वनस्थली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर थे. वहां से इस्तीफा देकर उन्होंने सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में ज्वाइन किया था.
2019 में जारी हुआ था ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र
अरुण द्विवेदी का ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र 2019 में जारी हुआ था. इसी पर उन्हें 2021 में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में नौकरी मिली. इस संबंध में डीएम दीपक मीणा ने बताया कि 2019-20 के लिए ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र जारी किया गया था जो मार्च 2020 तक ही मान्य था.
कुलपति ने कहा हमारी ओर से किया गया प्रक्रिया का पालन
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने बताया कि मनोविज्ञान विभाग के दो पदों के लिए लगभग डेढ़ सौ आवेदन आए थे. मेरिट के आधार पर 10 आवेदकों का चयन किया गया. इनमें अरुण कुमार पुत्र अयोध्या प्रसाद भी थे. इन 10 लोगों का इंटरव्यू हुआ तो अरुण दूसरे स्थान पर रहे.
इंटरव्यू व एकेडमिक समेत अन्य श्रेणियों का अंक जोड़ने पर अरुण पहले स्थान पर आए. इसी वजह से उनका चयन किया गया. कहा कि ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र प्रशासन की ओर से जारी किया जाता है. शैक्षिक प्रमाण पत्र सही था. इंटरव्यू की वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है. अगर ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र फर्जी हुआ तो निश्चित रूप से उनपर कार्रवाई की जाएगी.
(ANI इनपुट के साथ)