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बहन के बाद भाई को भी हुआ ब्रेस्ट कैंसर, जानें फिर क्या हुआ!

राजधानी में अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैंप वॉक का आयोजन हुआ. इसी प्रोग्राम में कैंसर सर्वाइवर भाई-बहन थे. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.

ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर भाई-बहन की कहानी.
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Published : Oct 20, 2019, 1:02 PM IST

लखनऊ: परिवार में जब किसी एक को कैंसर जैसी घातक बीमारी होती है तो बाकी पूरा परिवार भी चिंता ग्रस्त हो जाता है. जब यह बीमारी एक ही परिवार के किसी सदस्य के बाद परिवार के ही दूसरे सदस्य को हो जाए तो पूरे परिवार का चिंता में पड़ जाना स्वाभाविक है. ऐसा ही एक मामला केजीएमयू के एंडोक्राइन सर्जरी डिपार्टमेंट में भी देखने को मिला, जहां पर पेशे से शिक्षक भाई-बहन को सेकंड स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर हो गया. हालांकि वह दोनों अब सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर भाई-बहन की कहानी.

ईटीवी भारत ने की कैंसर सर्वाइवर भाई बहन से खास बातचीत
अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम में आई बेस्ट कैंसर सर्वाइवर सविता मिश्रा कहती हैं कि मुझे सितंबर 2015 में पता चला कि मेरे स्तन में गांठ है. पहले तो मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब दर्द बढ़ने लगा तो मैनें इसकी जांच प्राइवेट अस्पताल में कराई. वहां जांच के बाद पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है. डॉक्टर की सलाह पर मैं केजीएमयू के डॉक्टर आनंद मिश्रा के पास आई, जहां मेरी दोबारा जांच की गई और पता चला कि मुझे सेकंड स्टेज का कैंसर है और फिर मेरा ऑपरेशन किया गया.

इसे भी पढ़ें - कमलेश तिवारी हत्याकांड: आरोपी राशिद की मां ने कहा पुलिस वाले आए थे, बिना कुछ बताए मेरे बेटे को ले गए

कैंसर सर्वाइवर भाई ने बताया
सविता को इलाज के दौरान देखने आए उनके भाई राकेश कहते हैं कि जब मैं बहन को देखने आया तो उसके लक्षणों को देखकर मैंने उससे कहा कि मेरे भी सीने में गांठ जैसा कुछ मुझे लगता है. सविता ने कहा कि डॉ. आनंद से जांच करवा लो. जब मैंने जांच करवाई तो मुझे पता चला कि मुझे भी सेकंड स्टेज का कैंसर है, जो कि 60% तक फैल चुका था.

राकेश कहते हैं कि मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि महिलाओं की तरह मुझे भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है. कैंसर सर्वाइवर भाई-बहन कहते हैं कि कैंसर के प्रति जागरूकता जगाने की जरूरत है. कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है. सही समय पर जांच करवाने पर इसका समुचित इलाज किया जा सकता है.

लखनऊ: परिवार में जब किसी एक को कैंसर जैसी घातक बीमारी होती है तो बाकी पूरा परिवार भी चिंता ग्रस्त हो जाता है. जब यह बीमारी एक ही परिवार के किसी सदस्य के बाद परिवार के ही दूसरे सदस्य को हो जाए तो पूरे परिवार का चिंता में पड़ जाना स्वाभाविक है. ऐसा ही एक मामला केजीएमयू के एंडोक्राइन सर्जरी डिपार्टमेंट में भी देखने को मिला, जहां पर पेशे से शिक्षक भाई-बहन को सेकंड स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर हो गया. हालांकि वह दोनों अब सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर भाई-बहन की कहानी.

ईटीवी भारत ने की कैंसर सर्वाइवर भाई बहन से खास बातचीत
अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम में आई बेस्ट कैंसर सर्वाइवर सविता मिश्रा कहती हैं कि मुझे सितंबर 2015 में पता चला कि मेरे स्तन में गांठ है. पहले तो मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब दर्द बढ़ने लगा तो मैनें इसकी जांच प्राइवेट अस्पताल में कराई. वहां जांच के बाद पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है. डॉक्टर की सलाह पर मैं केजीएमयू के डॉक्टर आनंद मिश्रा के पास आई, जहां मेरी दोबारा जांच की गई और पता चला कि मुझे सेकंड स्टेज का कैंसर है और फिर मेरा ऑपरेशन किया गया.

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कैंसर सर्वाइवर भाई ने बताया
सविता को इलाज के दौरान देखने आए उनके भाई राकेश कहते हैं कि जब मैं बहन को देखने आया तो उसके लक्षणों को देखकर मैंने उससे कहा कि मेरे भी सीने में गांठ जैसा कुछ मुझे लगता है. सविता ने कहा कि डॉ. आनंद से जांच करवा लो. जब मैंने जांच करवाई तो मुझे पता चला कि मुझे भी सेकंड स्टेज का कैंसर है, जो कि 60% तक फैल चुका था.

राकेश कहते हैं कि मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि महिलाओं की तरह मुझे भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है. कैंसर सर्वाइवर भाई-बहन कहते हैं कि कैंसर के प्रति जागरूकता जगाने की जरूरत है. कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है. सही समय पर जांच करवाने पर इसका समुचित इलाज किया जा सकता है.

Intro:लखनऊ। परिवार में सब किसी एक को कैंसर जैसी बीमारी होती है तो बाकी पूरा परिवार भी चिंता ग्रस्त हो जाता है और जब यह बीमारी एक के बाद किसी दूसरे परिवार के सदस्य को भी हो जाए तो पूरे परिवार का चिंता में पड़ जाना स्वाभाविक है। ऐसा ही एक मामला केजीएमयू के एंडोक्राइन सर्जरी डिपार्टमेंट में भी देखने को मिला जहां पर पेशे से शिक्षक भाई-बहन को सेकंड स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर निकला। हालांकि वह दोनों अब सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं।


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बेस्ट कैंसर सर्वाइवर सविता मिश्रा कहती है कि मुझे सितंबर 2015 मैं पता चला कि मेरे स्तन में गांठ है पहले तो मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया लेकिन जब इसमें दर्द होने लगा तो मेरे पति ने मुझसे कहा कि इसकी जांच करवाओ मैंने प्राइवेट अस्पतालों में जब दिखलाया तो वहां डॉक्टरों ने जांच करवाई और मुझे पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है एक डॉक्टर की सलाह पर मैं केजीएमयू के डॉक्टर आनंद मिश्रा के पास आई जहां मेरी दोबारा जांच की गई और पता चला कि मुझे सेकंड स्टेज का कैंसर था और फिर मेरा ऑपरेशन किया गया।
सविता को इलाज के दौरान देखने आए उनके भाई राकेश कहते हैं कि जब मैं बहन को देखने आया तो उसके लक्षणों को देखकर मैंने उससे कहा कि मेरे भी सीने में गांठ जैसा कुछ मुझे लगता है। सविता ने कहा कि डॉ आनंद से चाहो तो जांच करवा लो। जब मैंने जांच करवाई तो मुझे पता चला कि मुझे भी सेकंड स्टेज का कैंसर है जो कि 60% तक फैल चुका है।

राकेश ने कहते हैं कि मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि महिलाओं की तरह मुझे भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है और जब मुझे सेकंड स्टेज का कैंसर पता चला तो मैं भी आश्चर्यचकित हो गया। वह कहते हैं कि कि मैं पहले एथलीट था और काफी भागदौड़ और स्पोर्ट्स एक्टिविटीज करता था और जब मैंने इसे छोड़ा तो मुझे लगा कि शायद इस वजह से मेरे सीने में गांठ हो गयी है।

सविता कहती है कि जब यह पता चला कि बहन भाई दोनों को ही कैंसर है तो परिवार की स्थिति काफी डामाडोल हो गई मेरी मां भी काफी चिंतित हो गई थी हमारे पिता की मृत्यु भी ओरल कैंसर की वजह से हुई थी और अब हम दोनों भाई बहनों को भी कैंसर निकल आया तो मेरी मां को तो लगा कि जैसे उनकी दुनिया ही उजड़ गई हो। इस बाबत राकेश कहते हैं कि मेरी मां को आज भी लगता है कि उनका बेटा फिर से कैंसर जैसी बीमारी की जकड़ में न आ जाए। हालांकि हम दोनों अब सामान्य हो चुके हैं लेकिन फिर भी परिवार की चिंता भी जायज है।


Conclusion:राकेश कहते हैं कि जब मुझे पता चला था कि महिलाओं की तरह मुझे ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है तो मुझे यकीन नहीं हुआ था। इस बात के प्रति जागरूकता जगाने की जरूरत है कि यह कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है। सही समय पर जांच करवाने पर इसका समुचित इलाज किया जा सकता है।

वॉक थ्रू- सविता और राकेश के साथ रामांशी मिश्रा का वॉक थ्रू।

रामांशी मिश्रा
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