लखनऊ: कोरोना अब भयावह हो चला है. आमजन को महामारी की तीसरी लहर का डर सता रहा है. वर्तमान में ओमीक्रोन और डेल्टा दोनों वैरिएंट सक्रिय हैं. देश में जहां ओमीक्रोन के 1,711 केस हो गए हैं. वहीं, राज्य में अब तक 275 केस रिपोर्ट किए गए हैं. यही नहीं यूपी में कोरोना के कुल सक्रिय केस 44 हजार पार कर गए हैं. ऐसे में किस व्यक्ति में कोरोना का डेल्टा और किस मरीज में ओमीक्रोन वैरिएंट है. इसको लेकर असमंजस बना रहता है. लिहाजा, अभी तक हुए अध्ययन के आधार पर दोनों वैरिएंट के क्या लक्षण हैं. इसकी जानकारी केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने दी.
ओमीक्रोन-डेल्टा वैरिएंट के लक्षणों में है ये अंतर
ओमीक्रोन वैरिएंट और डेल्टा वैरिएंट दोनों ही कोविड-19 के वैरिएंट हैं. साल 2020 में पहली बार डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) की पहचान भारत में हुई थी. वहीं, साल 2021 में ओमीक्रोन (B.1.1.1.529) वैरिएंट की पहचान साउथ अफ्रीका में हुई थी. अभी तक हुए अध्ययन में ओमीक्रोन और डेल्टा के कुछ लक्षण एक-दूसरे से अलग पाए गए हैं.
ओमिक्रोन: थकान, जोड़ों का दर्द, सर्दी और सिरदर्द ओमीक्रोन के चार प्रमुख सामान्य लक्षण हैं. इसके अलावा अन्य स्टडी में नाक बहना, छींक आना, गले में खराश, भूख न लगना जैसे लक्षण भी ओमीक्रोन के हो सकते हैं.
डेल्टा: गंध का महसूस न होना, स्वाद का गायब हो जाना, दस्त आना इसके सबसे प्रमुख लक्षण हैं. इसके साथ ही गला खराब होना, नाक बहना, सिर दर्द की भी समस्या हो सकती है.
यह भी है फर्क: अभी तक हुए अध्ययन के मुताबिक ओमीक्रोन में सांस फूलने की समस्या ज्यादा नहीं दिखी है. इस वैरिएंट का फेफड़े या लोअर रेस्परेटरी सिस्टम पर हमला करने के बजाए अपर रेस्परेटरी या गले में उसका असर अधिक देखा गया है. ऐसे में ओमीक्रोन से फेफड़ों पर कम दुष्प्रभाव पड़ रहा है.
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यह रोगी करें बचाव, घर पर रहें बुजुर्ग
60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं, मोटापा से पीड़ित, कैंसर, किडनी, लिवर, हार्ट, डायबिटीज, सीओपीडी, आईएलडी, अस्थमा, हाइपरटेंशन, निमोनिया पीड़ित, ऑर्गन ट्रांसप्लांट के रोगियों को वायरस से ज्यादा खतरा है. इसके अलावा पहली व दूसरी लहर में लंबे दिनों तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले, स्टेरॉयड थेरेपी लेने वाले, इम्यूनोसप्रेशन थेरेपी, लंग फाइब्रोसिस, ब्लैक फंगस से पीड़ित रहे मरीज भी बचाव रखें. खासकर, रोगी डॉक्टर के बिना परामर्श के अपनी दवाएं ब्रेक न करें. समय-समय पर परामर्श भी लेते रहें.
लक्षण होने पर क्या करें
- - कोविड के लक्षण होने पर तत्काल आरटीपीसीआर टेस्ट कराएं. नये स्ट्रेन की पुष्टि के लिए जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट कराएं.
- - कोरोना पॉजिटिव होने पर कोविड हेल्पलाइन पर सम्पर्क करें. खुद को आइसोलेट करें.
- - कोविड प्रोटोकाल का पालन करें. डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लें.
- - तबीयत बिगड़ती देख नजदीकी कोविड अस्पताल से संपर्क करें. बेवजह दूसरे अस्पतालों में चक्कर न लगाए.
ये व्यायाम हैं फायदेमंद, मौसम से भी रहें सतर्क
संक्रमणकाल चल रहा है. ऐसे में बाहर व्यायाम के लिए जाने के बजाय घर में व्यायाम और योग करें. इसमें स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज, डायग्राम एक्सरसाइज, एरोबिक एक्सरसाइज, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज आदि फेफड़े की ताकत को बढ़ाएंगी. साथ ही भरपूर नींद जरूर लें और तनाव मुक्त रहें. गर्म पानी और भाप लें. इससे गले में संक्रमण से राहत मिलेगी. वहीं, बुजुर्ग और बच्चों को ठंड से बचाएं. सर्द वाली चीजों के सेवन से बचें.
होम आइसोलेशन में रखें ध्यान
- - कोरोना के माइल्ड केस में मरीज घर पर या कोविड केयर सेंटर पर उपचार करा सकते हैं.
- - नई गाइडलाइन के अनुसार रोगी को यदि सांस लेने में तकलीफ नहीं है तो उसे 7 दिन ही आइसोलेट रहने की आवश्यकता होगी.
- - मगर उसे यह ध्यान रखना होगा कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा (ऑक्सीजन सैचुरेशन) एसपीओ - टू 94 फीसद से अधिक हो.
- - वहीं, व्यस्कों के लिए सांस की गति 24 प्रति मिनट से कम होनी चाहिए. रोगी को सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.
- - संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए रोगी को हवादार कमरे में रहने की सलाह दी गई है. इसके साथ ही घर में अधिक लोग हों तो सभी को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.
- -सभी सदस्य मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. जो व्यक्ति मरीज की तीमारदारी करे, वह एन-95 मास्क लगाए. यह न हो तो ट्रिपल लेयर के ऊपर कपड़े का मास्क लगा लें.
- - ध्यान रखें मरीज की तीमारदारी उसी से कराएं, जो टीका लगवा चुका हो. साथ ही वयस्क हो, कोई कोमार्बिडिटी न हो.
- - अगर घर छोटा है. अलग-अलग बाथरूम नहीं हैं तो रोगी को कोविड केयर सेटर में भर्ती हो जाना चाहिए.
- - बार-बार हाथ धोएं, सैनिटाइज करें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
संक्रमित कब हो जाएं अलर्ट
- - मरीज होम आइसोलेशन में पल्स ऑक्सीमीटर से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा 8-8 घंटे पर चेक करते रहें. इसकी लगातार मॉनिटरिंग जरूरी है. शरीर में ऑक्सीजन की स्थिति दो बार जांच कर लें. एक विश्राम की अवस्था में और दूसरा 6 मिनट पैदल चलने के बाद. अगर 6 मिनट पैदल चलने के बाद एसपीओ-टू 94 प्रतिशत से कम हो जाए या फिर 3 फीसद घट जाए तो सतर्क हो जाएं और डॉक्टर से संपर्क करें.
- - सुबह, दोपहर और रात में बुखार की मॉनिटरिंग करें. यदि बुखार 100 डिग्री या उससे अधिक है तो पैरासिटामॉल का उपयोग एक व्यस्क चार बार तक डॉक्टर की सलाह पर ले सकते हैं.
- - एक बार ब्लड प्रेशर की जांच कराएं, अगर कम हो जाए तो सावधान हो जाएं. अगर संक्रमण के दौरान तीसरे दिन भी लक्षण हों तो डॉक्टर की सलाह लें.
- - यदि एसपीओ-टू 94 फीसद या उससे 3 फीसद कम हो जाए. सांस लेने में तकलीफ की समस्या होने लगे, सांस की गति प्रति मिनट 24 से अधिक हो जाए. ऐसे में जब तक अस्पताल जाने की प्रक्रिया हो तब तक प्रोनिंग (पेट के बल उल्टा लेटकर) कर गहरी सांसें लें. यह प्रक्रिया ऑक्सीजन लेवल मेनटेन करने में मदगार बनेगी.
माइल्ड केस के लक्षण
- बुखार
- गले में खराश
- खांसी
- नाक बहना
- बदन दर्द
- सिर दर्द के साथ थकान
- पेट में ऐंठन
- दस्त
- स्वाद या गंध का न मिलना
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