लखनऊः मलिहाबाद का दशहरी आम अपने स्वाद को लेकर पूरे विश्व में एक अलग पहचान बनाए है. लेकिन पिछले साल कोरोना लॉकडाउन के चलते आम की उचित कीमत मंडियों में न मिल पाने से आम बागवानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी. इस साल एक बार फिर बागों में बौर निकल आया है. जिसके साथ बागवान अभी से आम की उचित पैदावार और दामों की उम्मीद लगाए बैठे हुए हैं कि इस साल आम की पैदावार अच्छे से हो, तो पिछले साल के कर्ज से कुछ राहत मिलेगी.
लॉकडाउन का था आम पर असर
पिछले साल फलपट्टी के बागवानों के लिए ठीक साबित नहीं हुआ. इस साल बागवानों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी. पहले जून-जुलाई में तैयार हुई आम की फसल को कोरोना की मार झेलनी पड़ी. जिसकी वजह से बागवानों को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ा. कोरोना की वजह से बागवानों का आम देश की बहुत सी मंडियों में बिल्कुल नहीं पहुंच पाया. जिससे उनकी फसल की लागत भी नहीं निकल सकी.
पिछले साल हुई थी 30-35 लाख मैट्रिक टन की पैदावार
ऑल इण्डिया मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन के अध्य्क्ष इंसराम अली ने बताया कि उत्तर प्रदेश में कुल 40-45 लाख मैट्रिक टन की पैदावार होती है. लेकिन पिछले साल इससे भी कम लगभग 30-35 मैट्रिक टन रहा गया था. इंसराम अली ने बताया कि पिछले साल बागों की फसल कमजोर थी. बची हुई कसर कोरोना और लॉकडाउन ने पूरी कर दी. लॉकडाउन के चलते बागों की दवाई समय पर नहीं पहुंच सकी. जिस कारण बागों की स्प्रे भी देरी से हुई. जिससे आमों में कई तरह के रोग उत्पन्न हो गए.
नकली दवाओं से हो रहा बागों को नुकसान
पिछले साल दवाओं की डुप्लीकेसी पर रोक लगाने की मांग उठाई गई थी. केंद्र सरकार ने वादा किया था कि दवाओं में बार कोड लगवा जाएगा. जिससे दवाओं की डुप्लीकेसी रोक लगाया जा सके. लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.
इस साल अच्छी पैदावार होने की उम्मीद
प्रदेश में 2 लाख 75 हजार हेक्टेयर का एरिया है. उत्तर प्रदेश में औसतन 40-45 मैट्रिक टन का उत्पादन होता है. लेकिन पिछले साल ये घटकर 20-25 मैट्रिक टन रह गया था. मलिहाबाद में लगभग 25 से 30 हजार हेक्टेयर का एरिया है. यहां लगभग 6 से 7 लाख मैट्रिक टन की पैदावार होती है. इस साल बागों में फ्लावरिंग भी अच्छी हुई है.