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ओपीडी में पहुंच रहे कैंसर के 200 से ज्यादा मरीज, चिकित्सक बोले, समय से कराएं समुचित इलाज

उत्तर प्रदेश में तेजी से कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं. ब्लड कैंसर मरीज (Blood cancer patients in Uttar Pradesh) के सेल्स के उत्पादन और कार्य को प्रभावित करता है. ब्लड कैंसर तीन प्रकार के होते हैं ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और माइलोमा. जिसमें ज्यादातर मरीज ल्यूकेमिया और लिम्फोमा से पीड़ित होते हैं.

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Published : Nov 7, 2022, 4:55 PM IST

Updated : Nov 7, 2022, 5:14 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में तेजी से कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं. ब्लड कैंसर मरीज (Blood cancer patients in Uttar Pradesh) के सेल्स के उत्पादन और कार्य को प्रभावित करता है. ब्लड कैंसर तीन प्रकार के होते हैं ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और माइलोमा. जिसमें ज्यादातर मरीज ल्यूकेमिया और लिम्फोमा से पीड़ित होते हैं. यह बातें केजीएमयू के हेमेटोलॉजी विभाग के डॉक्टर व कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ शैलेन्द्र वर्मा ने बताई. उन्होंने बताया कि केजीएमयू में सप्ताह में तीन दिन ओपीडी चलती है. ज्यादातर केस अन्य जिले व अन्य अस्पतालों से रेफर होकर आते हैं और कुछ नए केस हमारे विभाग में आते हैं. कुल मिलाकर रोजाना 200 मरीज देखे जाते हैं. हर दिन तीन या चार मरीज कैंसर से पीड़ित मिलते हैं, जिनका आखिरी स्टेज रहता है.

डॉ शैलेन्द्र वर्मा ने बताया कि कैंसर हमारे डीएनए में परेशानी के कारण होता है. आमतौर पर हमारे डीएनए में ये बदलाव उन कारणों से होते हैं, जिन्हें हम समझ नहीं सकते हैं और उन चीजों से जुड़े होते हैं. जिन्हें हम नियंत्रित नहीं कर सकते हैं. ज्यादातर मामलों में मरीज समझ ही नहीं पाते कि डीएनए में होने वाले परिवर्तनों का कारण क्या है, जो ब्लड कैंसर का कारण बन सकता है. उन्होंने बताया कि कई प्रकार के कैंसर आपके ब्लड को बनाने वाली सेल्स पर हमला करते हैं. उनके लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे आते हैं, इसलिए आप उन्हें नोटिस भी नहीं कर सकते हैं. और कुछ लोगों में ब्लड कैंसर के कोई शुरूआती लक्षण नहीं दिखाई देते. हालांकि ब्लड कैंसर के कुछ लक्षण सामान्य हो सकते हैं पर ज्यादातर इसके लक्षण इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं.

जानकारी देते कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ शैलेन्द्र वर्मा

ल्यूकेमिया कैंसर : ब्लड सेल्स हमारी बोन मैरो में बनती है और यहीं से ल्यूकेमिया शुरू होता है. ल्यूकेमिया में हमारे शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स बहुत अधिक मात्रा में बनता है. जो कंट्रोल नहीं होता है और ये सेल्स अपने लाइफटाइम पीरियड से ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं. इसके अलावा ये सेल्स आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद भी नहीं करते हैं. ल्यूकेमिया में व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC) रोगों से नहीं लड़ पाते हैं, जिसकी वजह से रोगी अक्सर बीमार रहता है. रोगी के ठीक होने में सामान्य से ज्यादा समय लेता है. इसके अलावा बुखार के साथ-साथ रात में पसीना आना भी आम बात हो सकती है. लिम्फ नोड्स, लिवर और टॉन्सिल्स में फैल जाता है जिससे सूजन आ सकती है. इसके अलावा आपके वजन में कमी होना, भूख न लगना आम समस्याएं हो सकती हैं.


लिम्फोमा कैंसर : डॉ. शैलेन्द्र वर्मा ने बताया कि लिम्फ नोड्स में सूजन आना लिम्फोमा का मुख्य लक्षण होता है. इसके अलावा रोगी की गर्दन, बगल या ग्रोइन में एक गांठ बन जाती है. खांसी होना, सांस लेने में तकलीफ होना. छाती, पेट और हड्डियों में दर्द इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं. सूजे हुए लिम्फ नॉड्स में आमतौर पर दर्द नहीं होता, लेकिन अल्कोहल पीने से इनमें दर्द हो सकता है.

- रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना.
- एचआईवी या एड्स के संक्रमण के कारण.
- एक्स-रे या अन्य रेडिएशन किरणों के संपर्क में आने से.
- कीमोथेरेपी कराने के बाद रक्त कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
- कीटनाशकों (मच्छर और कॉकोच मारने की दवा) और नाइट्रेटयुक्त पानी का प्रयोग करने पर कैंसर होने का खतरा बढ़ता है.
- आनुवंशिकता यानी घर में किसी को रक्त कैंसर है तो उसके बच्चे को भी कैंसर होने का खतरा हो सकता है.
- ब्लड कैंसर 30 साल या उससे अधिक होने पर होता है.

-धूम्रपान और तंबाकू खाने से भी ब्लड कैंसर हो सकता है.

कुछ अन्य लक्षण

- बुखार, ठंड लगना
- लगातार थकान, जी मिचलाना
- उल्टी होना, वजन घटना.
- भूख कम लगना.
- सिरदर्द होना.
- सांस लेने में तकलीफ होना, बॉडी की इम्युनिटी घटना.
- लगातार खून बहना.
- जल्दी जल्दी चोट लग जाना.
- मसूड़ों से खून आना.
- दिखाई देने में परेशानी होने के साथ सिरदर्द होना.
- पेशाब करने में तकलीफ होना.
- एनोरेक्सिया.
- कमजोर होना.

यह भी पढ़ें : लखनऊ के मिलिंद राज सेना के लिए बनाएंगे अत्याधुनिक ड्रोन, जानिए क्या होगी खूबी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में तेजी से कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं. ब्लड कैंसर मरीज (Blood cancer patients in Uttar Pradesh) के सेल्स के उत्पादन और कार्य को प्रभावित करता है. ब्लड कैंसर तीन प्रकार के होते हैं ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और माइलोमा. जिसमें ज्यादातर मरीज ल्यूकेमिया और लिम्फोमा से पीड़ित होते हैं. यह बातें केजीएमयू के हेमेटोलॉजी विभाग के डॉक्टर व कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ शैलेन्द्र वर्मा ने बताई. उन्होंने बताया कि केजीएमयू में सप्ताह में तीन दिन ओपीडी चलती है. ज्यादातर केस अन्य जिले व अन्य अस्पतालों से रेफर होकर आते हैं और कुछ नए केस हमारे विभाग में आते हैं. कुल मिलाकर रोजाना 200 मरीज देखे जाते हैं. हर दिन तीन या चार मरीज कैंसर से पीड़ित मिलते हैं, जिनका आखिरी स्टेज रहता है.

डॉ शैलेन्द्र वर्मा ने बताया कि कैंसर हमारे डीएनए में परेशानी के कारण होता है. आमतौर पर हमारे डीएनए में ये बदलाव उन कारणों से होते हैं, जिन्हें हम समझ नहीं सकते हैं और उन चीजों से जुड़े होते हैं. जिन्हें हम नियंत्रित नहीं कर सकते हैं. ज्यादातर मामलों में मरीज समझ ही नहीं पाते कि डीएनए में होने वाले परिवर्तनों का कारण क्या है, जो ब्लड कैंसर का कारण बन सकता है. उन्होंने बताया कि कई प्रकार के कैंसर आपके ब्लड को बनाने वाली सेल्स पर हमला करते हैं. उनके लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे आते हैं, इसलिए आप उन्हें नोटिस भी नहीं कर सकते हैं. और कुछ लोगों में ब्लड कैंसर के कोई शुरूआती लक्षण नहीं दिखाई देते. हालांकि ब्लड कैंसर के कुछ लक्षण सामान्य हो सकते हैं पर ज्यादातर इसके लक्षण इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं.

जानकारी देते कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ शैलेन्द्र वर्मा

ल्यूकेमिया कैंसर : ब्लड सेल्स हमारी बोन मैरो में बनती है और यहीं से ल्यूकेमिया शुरू होता है. ल्यूकेमिया में हमारे शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स बहुत अधिक मात्रा में बनता है. जो कंट्रोल नहीं होता है और ये सेल्स अपने लाइफटाइम पीरियड से ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं. इसके अलावा ये सेल्स आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद भी नहीं करते हैं. ल्यूकेमिया में व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC) रोगों से नहीं लड़ पाते हैं, जिसकी वजह से रोगी अक्सर बीमार रहता है. रोगी के ठीक होने में सामान्य से ज्यादा समय लेता है. इसके अलावा बुखार के साथ-साथ रात में पसीना आना भी आम बात हो सकती है. लिम्फ नोड्स, लिवर और टॉन्सिल्स में फैल जाता है जिससे सूजन आ सकती है. इसके अलावा आपके वजन में कमी होना, भूख न लगना आम समस्याएं हो सकती हैं.


लिम्फोमा कैंसर : डॉ. शैलेन्द्र वर्मा ने बताया कि लिम्फ नोड्स में सूजन आना लिम्फोमा का मुख्य लक्षण होता है. इसके अलावा रोगी की गर्दन, बगल या ग्रोइन में एक गांठ बन जाती है. खांसी होना, सांस लेने में तकलीफ होना. छाती, पेट और हड्डियों में दर्द इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं. सूजे हुए लिम्फ नॉड्स में आमतौर पर दर्द नहीं होता, लेकिन अल्कोहल पीने से इनमें दर्द हो सकता है.

- रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना.
- एचआईवी या एड्स के संक्रमण के कारण.
- एक्स-रे या अन्य रेडिएशन किरणों के संपर्क में आने से.
- कीमोथेरेपी कराने के बाद रक्त कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
- कीटनाशकों (मच्छर और कॉकोच मारने की दवा) और नाइट्रेटयुक्त पानी का प्रयोग करने पर कैंसर होने का खतरा बढ़ता है.
- आनुवंशिकता यानी घर में किसी को रक्त कैंसर है तो उसके बच्चे को भी कैंसर होने का खतरा हो सकता है.
- ब्लड कैंसर 30 साल या उससे अधिक होने पर होता है.

-धूम्रपान और तंबाकू खाने से भी ब्लड कैंसर हो सकता है.

कुछ अन्य लक्षण

- बुखार, ठंड लगना
- लगातार थकान, जी मिचलाना
- उल्टी होना, वजन घटना.
- भूख कम लगना.
- सिरदर्द होना.
- सांस लेने में तकलीफ होना, बॉडी की इम्युनिटी घटना.
- लगातार खून बहना.
- जल्दी जल्दी चोट लग जाना.
- मसूड़ों से खून आना.
- दिखाई देने में परेशानी होने के साथ सिरदर्द होना.
- पेशाब करने में तकलीफ होना.
- एनोरेक्सिया.
- कमजोर होना.

यह भी पढ़ें : लखनऊ के मिलिंद राज सेना के लिए बनाएंगे अत्याधुनिक ड्रोन, जानिए क्या होगी खूबी

Last Updated : Nov 7, 2022, 5:14 PM IST
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