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जिला पंचायत चुनाव में जीत कर भी हार गई भाजपा !

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा ने अब तक 21 जिलों में निर्विरोध जीत दर्ज की है. एक सीट पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली है. वहीं 53 जिलों में तीन जुलाई को मतदान के बाद परिणाम आएगा.

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Published : Jun 30, 2021, 5:09 PM IST

जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव.
जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव.

लखनऊः जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने 21 सीटों पर निर्विरोध जीता हासिल की है. इससे भाजपा समझ रही है कि जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध जीत कर विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत नींव रखने में वह सफल हुई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है यह चुनाव सत्ता का होता है. सत्ताधारी दल जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में सफल होते रहे हैं. इसका यह मतलब कतई नहीं है कि विधानसभा चुनाव में भी जीत मिलेगी. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत कर भी हार गई भाजपा ?

दो दलों में निर्विरोध होने में लगी होड़

लोकतंत्र की बात सभी राजनीतिक दल करते रहे हैं. विपक्ष में रहते हुए यह बात उन्हें ज्यादा मुफीद लगती है. 2015-16 के जिला पंचायत चुनाव में प्रदेश की सत्ता में समाजवादी पार्टी थी. उस वक्त समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की 36 जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटों पर अपने उम्मीदवारों को निर्विरोध जिताने में सफल रही है. मौजूदा समय में प्रदेश में भाजपा की सत्ता है. अब भाजपा इसमें पीछे कैसे रह सकती है. भाजपा के अंदर खाने में यह रणनीति बनी कि समाजवादी पार्टी ने पिछले चुनाव में जितनी सीटें निर्विरोध जीती थीं, उससे कम अपने खाते में नहीं आनी चाहिए. पार्टी ने भरसक प्रयास किया. अब तक 21 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को निर्विरोध जिताने में सफल रही है.

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव 2021.

इसे भी पढ़ें- जिला पंचायत चुनाव में भाजपा ने झोंकी ताकत, जिलों में योगी के मंत्रियों का डेरा

पार्टी के रणनीतिकार इस बात को मानते हैं कि अगर जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख जिता लिए जाएंगे तो इससे जनता के बीच अच्छा संदेश जाएगा. पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता साक्षी दिवाकर कहती हैं कि विपक्षी दल जिला पंचायत के चुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर देख रहे थे. आज हमारी पार्टी जीत दर्ज कर रही है. इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा. अखिलेश यादव कुछ भी कहें, जनता भाजपा के साथ है. 2022 में एक बार फिर भाजपा 325 से अधिक सीटें जीतने जा रहे हैं.

बसपा और कांग्रेस की क्या है स्थिति

जिला पंचायत के चुनाव में शुरुआत में तो प्रदेश के सभी चार प्रमुख दलों ने जोर आजमाइश शुरू की. रेस बढ़ने के साथ ही कमजोर दल चुनाव से दूरी बनाते चले गए. पंचायत के इस राजनीतिक अखाड़े में भाजपा और सपा आखिरी वक्त तक डटे हैं. बहुजन समाज पार्टी ने पहले तो जिला पंचायत सदस्य की करीब 700 सीटें जीतने का दावा किया, लेकिन बाद में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से किनारा कर लिया. वहीं पार्टी की अच्छी स्थिति नहीं होने की वजह से कांग्रेस ने भी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से अघोषित तौर पर दूरी बना ली है.

राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि भाजपा 21 सीटों पर जीत दर्ज की है. तीन जुलाई को स्पष्ट होगा कि भाजपा ने कितनी सीटों पर जीत दर्ज की है. पार्टी इस चुनाव में जीत कर आगामी विधानसभा चुनाव के लिए काम कर सकती है. अपने कार्यकर्ताओं को लाभान्वित कर सकती है. ताकि कार्यकर्ताओं में पार्टी के प्रति सकारात्मक भाव बना रहे.

लखनऊः जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने 21 सीटों पर निर्विरोध जीता हासिल की है. इससे भाजपा समझ रही है कि जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध जीत कर विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत नींव रखने में वह सफल हुई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है यह चुनाव सत्ता का होता है. सत्ताधारी दल जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में सफल होते रहे हैं. इसका यह मतलब कतई नहीं है कि विधानसभा चुनाव में भी जीत मिलेगी. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत कर भी हार गई भाजपा ?

दो दलों में निर्विरोध होने में लगी होड़

लोकतंत्र की बात सभी राजनीतिक दल करते रहे हैं. विपक्ष में रहते हुए यह बात उन्हें ज्यादा मुफीद लगती है. 2015-16 के जिला पंचायत चुनाव में प्रदेश की सत्ता में समाजवादी पार्टी थी. उस वक्त समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की 36 जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटों पर अपने उम्मीदवारों को निर्विरोध जिताने में सफल रही है. मौजूदा समय में प्रदेश में भाजपा की सत्ता है. अब भाजपा इसमें पीछे कैसे रह सकती है. भाजपा के अंदर खाने में यह रणनीति बनी कि समाजवादी पार्टी ने पिछले चुनाव में जितनी सीटें निर्विरोध जीती थीं, उससे कम अपने खाते में नहीं आनी चाहिए. पार्टी ने भरसक प्रयास किया. अब तक 21 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को निर्विरोध जिताने में सफल रही है.

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव 2021.

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पार्टी के रणनीतिकार इस बात को मानते हैं कि अगर जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख जिता लिए जाएंगे तो इससे जनता के बीच अच्छा संदेश जाएगा. पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता साक्षी दिवाकर कहती हैं कि विपक्षी दल जिला पंचायत के चुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर देख रहे थे. आज हमारी पार्टी जीत दर्ज कर रही है. इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा. अखिलेश यादव कुछ भी कहें, जनता भाजपा के साथ है. 2022 में एक बार फिर भाजपा 325 से अधिक सीटें जीतने जा रहे हैं.

बसपा और कांग्रेस की क्या है स्थिति

जिला पंचायत के चुनाव में शुरुआत में तो प्रदेश के सभी चार प्रमुख दलों ने जोर आजमाइश शुरू की. रेस बढ़ने के साथ ही कमजोर दल चुनाव से दूरी बनाते चले गए. पंचायत के इस राजनीतिक अखाड़े में भाजपा और सपा आखिरी वक्त तक डटे हैं. बहुजन समाज पार्टी ने पहले तो जिला पंचायत सदस्य की करीब 700 सीटें जीतने का दावा किया, लेकिन बाद में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से किनारा कर लिया. वहीं पार्टी की अच्छी स्थिति नहीं होने की वजह से कांग्रेस ने भी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से अघोषित तौर पर दूरी बना ली है.

राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि भाजपा 21 सीटों पर जीत दर्ज की है. तीन जुलाई को स्पष्ट होगा कि भाजपा ने कितनी सीटों पर जीत दर्ज की है. पार्टी इस चुनाव में जीत कर आगामी विधानसभा चुनाव के लिए काम कर सकती है. अपने कार्यकर्ताओं को लाभान्वित कर सकती है. ताकि कार्यकर्ताओं में पार्टी के प्रति सकारात्मक भाव बना रहे.

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