लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी में एक नई तरह की परंपरा शुरू हुई है. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और समाजवादी पार्टी छोड़ भाजपा में आने वाले नीरज शेखर के रूप में इसकी मिसाल देखने को मिली. नीरज शेखर ने सपा के राज्यसभा सदस्य से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी का दामन थामा था. अब पार्टी ने उन्हें उनकी ही रिक्त हुई सीट से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि दूसरी पार्टियों से आने वाले नेताओं को भाजपा इसी तर्ज पर राज्यसभा भेज सकती है.
इससे पहले उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और कुछ नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तो समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्यों ने बीजेपी में अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया, लेकिन वह विधान परिषद का मामला था. अब राज्यसभा में भी इसी प्रकार की परंपरा शुरू करने की बात शुरू हो गई है. पार्टी के अंदर यह सवाल उठ रहे हैं कि जो लोग सपा छोड़ पार्टी से जुड़ रहे हैं क्या उन्हें भी उनकी ही रिक्त सीट पर राज्यसभा भेजा जाएगा. इसके जबाव में पार्टी पदाधिकारियों का तर्क है कि जब उन नेताओं ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी छोड़ दी है तो बीजेपी की तरफ से भेजने में कोई दिक्कत नहीं है.
इस फैसले पर पार्टी के अंदर दबे स्वर में चिंता जताई जा रही है. पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि भाजपा की ताकत को देखते हुए सभी दलों से लोग पार्टी में शामिल होना चाह रहे हैं. इसके लिए राज्यसभा से भी इस्तीफे दिए जा रहे हैं. ऐसे में इन लोगों को राज्यसभा भेजना ठीक नहीं है.
नीरज शेखर राज्यसभा के सांसद थे. उन्होंने सदन की सदस्यता छोड़ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें उनकी ही सीट से राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है.
-मनीष शुक्ला, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता