लखनऊ : वर्ष 2007 से 2012 और 2012 से 2017 के बीच लगातार यह ट्रेंड रहा कि उत्तर प्रदेश में जब-जब उपचुनाव हुए सत्ताधारी दल को भारी सफलता मिली है. भारतीय जनता पार्टी के लिए अपनी सरकार के दौरान उपचुनाव में मिली जुली सफलताओं वाले ही रहे हैं. कई महत्वपूर्ण सीटों पर भरसक प्रयास करने के बावजूद पार्टी को हार का ही सामना करना पड़ा है. हाल ही में घोसी उपचुनाव में क्षेत्र से ही निवर्तमान विधायक दारा सिंह चौहान ने भाजपा से चुनाव लड़ा. प्रदेश अध्यक्ष सहित पूरे संगठन ने कई दिनों तक घोसी में ही कैंप किया. इसके बावजूद 40 हजार से अधिक वोटों की करारी हार का सामना पार्टी को करना पड़ा. फिलहाल पिछले करीब नौ साल के इतिहास में यह दर्ज है कि भाजपा को उपचुनावों में जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा है.
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रामपुर व आजमगढ़ की सीटों को छोड़ दें तो भारतीय जनता पार्टी गोरखपुर और फूलपुर जैसी महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों को भी उपचुनाव में गवां चुकी है. आम चुनाव जैसा बड़ा चुनावी अभियान जब तक बीजेपी नहीं चलाती तब तक स्थानीय मुद्दों के आधार पर भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ जाता है. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद भी भारतीय जनता पार्टी को गोरखपुर, फूलपुर लोकसभा सीट पर उप चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. यह सिलसिला लगातार चलता रहा है. मऊ की घोसी सीट पर भी उपचुनाव में भाजपा को अब पराजय का सामना करना पड़ा है.
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2017 विधानसभा के चुनाव के बाद इन सीट पर भी हारे : 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद जब मुख्यमंत्री पद पर योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री पद पर केशव प्रसाद मौर्य ने शपथ ली तब, गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटें खाली हो गई थीं. गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ और फूलपुर से केशव प्रसाद मौर्य सांसद थे. इन दोनों ही सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. एक बार फिर जब 2019 में आम चुनाव हुए तो भाजपा ने इन दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी गठबंधन को बुरी तरह से हरा दिया था.