लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की लेटलतीफी अब नहीं चलेगी. बेसिक शिक्षा परिषद ने शिक्षकों की अब बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने का फैसला लिया है. बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज करने के लिए प्रधानाध्यापक समेत शिक्षकों को टैबलेट दिए जायेंगे. प्रदेश सरकार की तरफ से हर विद्यालय में दो-दो टैबलेट उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है.
पहले प्राइमरी व जूनियर स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को भी टैबलेट दिए जाने की योजना थी. इसमें विस्तार करते हुए अब प्रधानाध्यापक के अलावा स्कूल के एक और शिक्षक को टैबलेट दिया जाएगा. इस टैबलेट से बायोमीट्रिक हाजिरी लगाई जाएगी और इसे कंट्रोल रूम से जोड़ा जायेगा. बीआरसी व एआरपी आदि को भी टैबलेट दिया जाना है. कुल 2,09,862 टैबलेट खरीदे जाएंगे और इस योजना के लिए 59.86 करोड़ बजट मंजूर किया गया है.
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बच्चों को मिलेगा पढ़ने का मौका: बीते दिनों उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन सत्र में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने हर स्कूल को दो-दो टैबलेट दिए जाने की घोषणा की थी. इसमें उन्होंने इन टैबलेट का इस्तेमाल बच्चों को पढ़ाने के लिए किए जाने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि बदलते हुए समय में सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी बच्चों को तैयार करने के लिए तकनीकी का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है. इन टैबलेट से बच्चों को भी फायदा मिल सकेगा.
शिक्षकों की चुनौती बढ़ेगी: टैबलेट और स्मार्ट क्लासरूम जैसी व्यवस्थाओं के माध्यम से सरकार भले ही उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की तस्वीर बदलने का दावा कर रही हो लेकिन जमीन पर इसे लाना अभी टेढ़ी खीर है. असल में, सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के जिम्में में दर्जनों काम हैं. कोरोना संक्रमण के टीकाकरण से लेकर पोलियो ड्रॉप पिलाने तक की जिम्मेदारी है. बच्चों को मिड-डे मील उपलब्ध कराना, विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना, जनगणना में अन्य विभागों के साथ मिलकर काम करना समेत कई काम इनके जिम्मे हैं.
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