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इतिहास का वह काला दिन...जब बस के नदी में गिरने से 88 लोगों को गंवानी पड़ी थी जान

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Published : Jul 9, 2019, 12:01 AM IST

सोमवार को आगरा में यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए सड़क हादसे में 29 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. मगर इससे पहले भी यूपी में कई भीषण सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. इसमें साल 1986 का वह दर्दनाक हादसा भी शामिल है, जिसमें कानपुर के जाजमऊ में बस के नदी में गिर जाने से 88 यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. एक नजर डालते हैं यूपी में हुए बड़े सड़क हादसों पर...

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में बसों से होने वाली दुर्घटनाओं का काला इतिहास रहा है. अमूमन रोजाना ही कहीं न कहीं कोई बस, हादसे का शिकार होती है और यात्री असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं. यमुना एक्सप्रेसवे पर दुर्घटनाग्रस्त हुई जनरथ बस में जान खोने वाले 30 यात्रियों की घटना हृदय विदारक है, लेकिन इससे भी ज्यादा दर्दनाक घटना रोडवेज के इतिहास में पहले घट चुकी है.

जानकारी देते ईटीवी भारत के संवाददाता.

...जब 88 यात्रियों की हुई थी दर्दनाक मौत

  • परिवहन निगम के अधिकारी यमुना एक्सप्रेसवे की दुर्घटना से स्तब्ध हैं.
  • इस घटना के बाद लगभग 33 साल पहले की घटना की याद तरोताजा हो जाती है.
  • सबसे बड़ी बस दुर्घटना साल 1986 में हुई थी.
  • इस दुर्घटना में सभी यात्रियों ने अपनी जान गंवा दी थी.
  • रोडवेज के इतिहास का वह सबसे काला दिन था.
  • साल 1986 में रोडवेज की एक बस कानपुर के जाजमऊ पुल से नीचे नदी में गिर गई थी.
  • इसमें 88 यात्री सवार थे.
  • सभी यात्री मौत के मुंह में समा गए थे.
  • रोडवेज के इतिहास के पन्नों में यह सबसे बड़ी घटना दर्ज है.
  • इसके बाद सोमवार को यमुना एक्सप्रेसवे पर हुई घटना सबसे बड़ी है.
  • इसमें अब तक 30 लोग मर चुके हैं.

बड़े सड़क हादसे-

इससे पहले साल 2017 में बरेली की बर्निंग बस की घटना भी बहुत दर्दनाक है. इसमें बस के अंदर ही जलकर 25 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा 2015 में अमेठी में भी एक बस में आग लगी थी, जिसमें 12 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. बांदा में भी इस तरह की घटना हो चुकी है, जिसमें कई यात्रियों ने अपनी जान गंवा दी थी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में बसों से होने वाली दुर्घटनाओं का काला इतिहास रहा है. अमूमन रोजाना ही कहीं न कहीं कोई बस, हादसे का शिकार होती है और यात्री असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं. यमुना एक्सप्रेसवे पर दुर्घटनाग्रस्त हुई जनरथ बस में जान खोने वाले 30 यात्रियों की घटना हृदय विदारक है, लेकिन इससे भी ज्यादा दर्दनाक घटना रोडवेज के इतिहास में पहले घट चुकी है.

जानकारी देते ईटीवी भारत के संवाददाता.

...जब 88 यात्रियों की हुई थी दर्दनाक मौत

  • परिवहन निगम के अधिकारी यमुना एक्सप्रेसवे की दुर्घटना से स्तब्ध हैं.
  • इस घटना के बाद लगभग 33 साल पहले की घटना की याद तरोताजा हो जाती है.
  • सबसे बड़ी बस दुर्घटना साल 1986 में हुई थी.
  • इस दुर्घटना में सभी यात्रियों ने अपनी जान गंवा दी थी.
  • रोडवेज के इतिहास का वह सबसे काला दिन था.
  • साल 1986 में रोडवेज की एक बस कानपुर के जाजमऊ पुल से नीचे नदी में गिर गई थी.
  • इसमें 88 यात्री सवार थे.
  • सभी यात्री मौत के मुंह में समा गए थे.
  • रोडवेज के इतिहास के पन्नों में यह सबसे बड़ी घटना दर्ज है.
  • इसके बाद सोमवार को यमुना एक्सप्रेसवे पर हुई घटना सबसे बड़ी है.
  • इसमें अब तक 30 लोग मर चुके हैं.

बड़े सड़क हादसे-

इससे पहले साल 2017 में बरेली की बर्निंग बस की घटना भी बहुत दर्दनाक है. इसमें बस के अंदर ही जलकर 25 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा 2015 में अमेठी में भी एक बस में आग लगी थी, जिसमें 12 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. बांदा में भी इस तरह की घटना हो चुकी है, जिसमें कई यात्रियों ने अपनी जान गंवा दी थी.

Intro:1986 में घटी थी रोडवेज की सबसे बड़ी दुर्घटना, नदी में गिरी बस में गई थी 88 की जान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में बसों से होने वाली दुर्घटनाओं का काला इतिहास रहा है। अमूमन रोजाना ही कहीं न कहीं, कोई न कोई बस हादसे का शिकार होती है और यात्री असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। यमुना एक्सप्रेस वे पर दुर्घटनाग्रस्त हुई जनरथ बस में जान खोने वाले 30 यात्रियों की घटना हृदय विदारक है, लेकिन इससे भी ज्यादा दर्दनाक घटना रोडवेज के इतिहास में पहले घट चुकी है।
सबसे बड़ी बस दुर्घटना वर्ष 1986 में हुई थी जब बस के सभी यात्रियों ने अपनी जान गवा दी थी।


Body:परिवहन निगम के अधिकारी आज हुई यमुना एक्सप्रेसवे की दुर्घटना से स्तब्ध हैं। इस घटना के बाद उनके जेहन में लगभग 33 साल पहले की घटना की याद तरोताजा हो जाती है। रोडवेज के इतिहास का वह सबसे काला दिन था। वर्ष 1986 में रोडवेज की एक बस जिसमें 88 यात्री सवार थे वह कानपुर के जाजमऊ पुल से नीचे नदी में गिर गई थी। जिसमें सभी 88 यात्री मौत के मुंह में समा गए थे। रोडवेज के इतिहास के पन्नों में यह सबसे बड़ी घटना दर्ज है। इसके बाद आज की जो घटना हुई है वह सबसे बड़ी है। इसमें अब तक 30 लोग मर चुके हैं।


Conclusion:इससे पहले वर्ष 2017 में बरेली की बर्निंग बस की घटना बहुत भी दर्दनाक है जिसमें बस के अंदर ही जलकर 25 लोगों के मौत हो गई थी। इसके अलावा 2015 में अमेठी में भी एक बस में आग लगी थी जिसमें एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। बांदा में भी इस तरह की घटना हो चुकी है जिसमें कई यात्रियों ने अपनी जान गवा दी थी।
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