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छात्रों को गौतम बुद्ध, भगवान राम, कबीर सहित महान विभूतियों पर शोध करने का मिलेगा मौका, गाइडलाइन तैयार

भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय (Bhatkhande Sanskrit University) में छात्रों को गौतम बुद्ध, भगवान राम, कबीर सहित महान विभूतियों पर शोध करने का मौका दिया जा रहा है. इसके अलावा अगले साल से विश्वविद्यालय स्नातक स्तर पर बैचलर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के अलावा कई और विषयों में भी पढ़ाई शुरू कराएगा.

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भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 11, 2023, 9:40 PM IST

लखनऊ: भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय के तहत आने वाले सभी शोध संस्थानों जैसे बौद्ध शोध संस्थान, अयोध्या शोध संस्थान और मगहर में बन रहे कबीर शोध संस्थान सहित विश्वविद्यालय में संगीत और नृत्य विधा से जुड़े विभूतियों और वाद्य यंत्रों पर शोध करने का मौका दिया जाएगा. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए अगले अकादमिक सत्र से गाइडलाइन बनाकर तैयार कर ली है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे मंजूरी के लिए राज्य सरकार और राज्यपाल कार्यालय को भेज दिया है. जैसे ही पीएचडी करने की ऑर्डिनेंस को मंजूरी मिलेगी, विश्वविद्यालय अपने यहां पीएचडी के एडमिशन शुरू कर देगा. ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 14 संस्थाओं को संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध किया है. इसके बाद इन संस्थानों में अकादमिक स्तर को बढ़ावा देने के लिए यहां शोध की योजना को शुरू किया जाना है.

2024 से एमए, एमफिल, पीएचडी की पढ़ाई शुरू: विश्वविद्यालय की कुल सचिव सृष्टि धवन ने बताया कि विश्वविद्यालय अकादमिक सत्र 2024 से एमए, एमफिल, पीएचडी और डी. लिट की पढ़ाई शुरू करने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए विश्वविद्यालय ने इन सभी कोर्स के संचालन के लिए जरूरी ऑर्डिनेंस तैयार कर लिया है, जिसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा गया है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को पूर्ण दर्जा मिलने के बाद प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति खुद ही विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट पर नजर बनाए हुए हैं.

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विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के पुनर्गठन होने के बाद सरकार ने प्रदेश में 14 ऐसे संस्थान जो अभी तक ऑटोनॉमस के तौर पर संचालित थे, जिसमें बौद्ध शोध संस्थान, अयोध्या शोध संस्थान और मगहर में बना रहे कबीर शोध संस्थान सहित कुल 14 संस्थाओं को विश्वविद्यालय से संबंद्ध कर दिया गया है. इन सभी शोध संस्थानों का गठन जिन देश के लिए किया गया है, उसी को ध्यान में रखकर अब यहां पर पीएचडी की पढ़ाई भी शुरू कराई जाएगी. भगवान महावीर जैन सहित अन्य लोगों पर भी शोध किया जा सकेगा. इसी तरह अयोध्या में स्थित अयोध्या शोध संस्थान में भगवान श्री राम, रामायण और उससे जुड़ी चीजों पर शोध करने का मौका मिलेगा. इसके अलावा संत कबीर के नाम पर एक अकादमी की स्थापना मगहर में की जा रही है. इस अकादमी में भी कबीर से जुड़ी हुई चीजों पर रिसर्च करने का मौका दिया जाएगा.

विश्वविद्यालय में स्नातक व परास्नातक तक पाठ्यक्रमों का होगा विस्तार: कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह ने बताया कि इसके अलावा अकादमिक सत्र 2024/25 से विश्वविद्यालय स्नातक स्तर पर बैचलर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के अलावा कई और विषयों में भी पढ़ाई शुरू कराई जाएगी. इसके साथ ही पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर भी कई अन्य विषय भी शुरू किए जाएंगे. कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में मौजूदा समय में करीब 2000 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं. इस संख्या को 5000 से ऊपर ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

यह भी पढ़े-बीएचयू की छात्रा का शोध: प्रकृति को समर्पित हैं छठ पूजा के लोकगीत, बांस और दूब वंश के प्रतीक

लखनऊ: भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय के तहत आने वाले सभी शोध संस्थानों जैसे बौद्ध शोध संस्थान, अयोध्या शोध संस्थान और मगहर में बन रहे कबीर शोध संस्थान सहित विश्वविद्यालय में संगीत और नृत्य विधा से जुड़े विभूतियों और वाद्य यंत्रों पर शोध करने का मौका दिया जाएगा. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए अगले अकादमिक सत्र से गाइडलाइन बनाकर तैयार कर ली है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे मंजूरी के लिए राज्य सरकार और राज्यपाल कार्यालय को भेज दिया है. जैसे ही पीएचडी करने की ऑर्डिनेंस को मंजूरी मिलेगी, विश्वविद्यालय अपने यहां पीएचडी के एडमिशन शुरू कर देगा. ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 14 संस्थाओं को संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध किया है. इसके बाद इन संस्थानों में अकादमिक स्तर को बढ़ावा देने के लिए यहां शोध की योजना को शुरू किया जाना है.

2024 से एमए, एमफिल, पीएचडी की पढ़ाई शुरू: विश्वविद्यालय की कुल सचिव सृष्टि धवन ने बताया कि विश्वविद्यालय अकादमिक सत्र 2024 से एमए, एमफिल, पीएचडी और डी. लिट की पढ़ाई शुरू करने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए विश्वविद्यालय ने इन सभी कोर्स के संचालन के लिए जरूरी ऑर्डिनेंस तैयार कर लिया है, जिसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा गया है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को पूर्ण दर्जा मिलने के बाद प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति खुद ही विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट पर नजर बनाए हुए हैं.

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विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के पुनर्गठन होने के बाद सरकार ने प्रदेश में 14 ऐसे संस्थान जो अभी तक ऑटोनॉमस के तौर पर संचालित थे, जिसमें बौद्ध शोध संस्थान, अयोध्या शोध संस्थान और मगहर में बना रहे कबीर शोध संस्थान सहित कुल 14 संस्थाओं को विश्वविद्यालय से संबंद्ध कर दिया गया है. इन सभी शोध संस्थानों का गठन जिन देश के लिए किया गया है, उसी को ध्यान में रखकर अब यहां पर पीएचडी की पढ़ाई भी शुरू कराई जाएगी. भगवान महावीर जैन सहित अन्य लोगों पर भी शोध किया जा सकेगा. इसी तरह अयोध्या में स्थित अयोध्या शोध संस्थान में भगवान श्री राम, रामायण और उससे जुड़ी चीजों पर शोध करने का मौका मिलेगा. इसके अलावा संत कबीर के नाम पर एक अकादमी की स्थापना मगहर में की जा रही है. इस अकादमी में भी कबीर से जुड़ी हुई चीजों पर रिसर्च करने का मौका दिया जाएगा.

विश्वविद्यालय में स्नातक व परास्नातक तक पाठ्यक्रमों का होगा विस्तार: कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह ने बताया कि इसके अलावा अकादमिक सत्र 2024/25 से विश्वविद्यालय स्नातक स्तर पर बैचलर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के अलावा कई और विषयों में भी पढ़ाई शुरू कराई जाएगी. इसके साथ ही पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर भी कई अन्य विषय भी शुरू किए जाएंगे. कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में मौजूदा समय में करीब 2000 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं. इस संख्या को 5000 से ऊपर ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

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