लखनऊ : भातखंडे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय लखनऊ की अपनी अलग पहचान है. इस विश्वविद्यालय का नाम यहां के महान संगीतकार पंडित विष्णु नारायण भातखंडे के नाम पर रखा गया था. पूर्व में इसका नाम मैरिज कॉलेज ऑफ म्यूजिक हुआ करता था. भातखंडे समविद्यालय (Bhatkhande Sangeet Sansthan University in lucknow) के नाम से विश्व विख्यात हुआ, लेकिन बीते साल योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस संस्थान को पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा देते हुए भातखंडे संस्थान से भारतीय संस्कृति विश्वविद्यालय बनाया. विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि इस संस्थान के खस्ताहाल व्यवस्था में सुधार होगा.
गठन के बाद से उम्मीद की जा रही थी कि इस संस्थान को 2 साल के बाद अपना नियमित कुलपति मिल जाएगा, लेकिन सरकार की ओर से नवंबर 2022 में कुलपति नियुक्त होने के बाद अभी तक कुलपति का इंतजार खत्म नहीं हुआ है. मौजूदा समय में विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी कल्चरल डिपार्टमेंट के अधिकारी को सौंपी गई है. 16 नवंबर 2022 को उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रो. मांडवी सिंह को भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त (no vice chancellor in university) किया. प्रो मांडवी छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रही हैं. लगभग दो वर्षों से खाली कुलपति के पद पर प्रो मांडवी ने अभी तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया है, वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन की मानें तो मुख्यमंत्री के नेतृत्व में रजिस्ट्रार व अन्य पदों के लिए भर्ती की प्रक्रिया चल रही है.
विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलसचिव तुहिन द्विवेदी ने बताया कि 'नई कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह को जब कुलपति नियुक्त किया गया तो उस समय शिमला में भारत सरकार के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही थीं. उसकी रिपोर्ट सबमिट करने के बाद उन्हें अपने मूल विश्वविद्यालय से रिलीविंग लेटर लेना था, पर इसी दौरान उनके पिताजी का देहांत हो गया. जिस कारण उनके ज्वाइन करने में थोड़ा विलंब हो रहा है. उन्होंने बताया कि वह अगले सप्ताह तक हर हाल में कुलपति का चार्ज ले लेंगी.
विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक, मौजूद समय में 25 शिक्षक हैं. जिनमें 180 यूजीसी के मानक के आधार पर हैं. गायन, नृत्य व वादन की कक्षाओं के लिए कुल 18 संगतकर्ता हैं. स्टूडेंट्स की संख्या कुल 1475 है. कभी 21 सौ की स्टूडेंट्स की तादाद वाले इस संस्थान के विश्वविद्यालय बनते घटकर पहले 1800 और आज 1475 हो गई है, वहीं कभी 23 संगतकर्ताओं का ये संस्थान आज 18 तक सीमित हो गया है. संस्थान के रिटायर हुए कर्मियों के बाद आज उनकी संख्या 25 से घटकर 15 ही रह गई है. शहर के संगीत विद्वानों के मुताबिक, भातखंडे में लगातार बनी अस्थिरता, शिक्षकों और स्टूडेंट्स की घटती संख्या कला संस्कृति के उत्तर प्रदेश में भारी गिरावट है. जिसका नतीजा है कि देशी ही नहीं, विदेशी स्टूडेंट्स की संख्या भी बेहद कम हो गई है.
विश्वविद्यालय से एक समय कई ऐसे मशहूर हस्तियां निकली हैं. जिन्होंने नृत्य और संगीत के क्षेत्र के साथ-साथ बॉलीवुड में भी अच्छा नाम कमाया है. संस्थान के पूर्व छात्रों में बेगम अख्तर, नीला देसाई, अनूप जलोटा, कनिका कपूर, तलत महमूद, फिल्म संगीतकर सरस्वती देवी, अमित मिश्रा, मालिनी अवस्थी व संगीतकार रोशन जैसे बड़े नाम यहां के पूर्व छात्र रह चुके हैं. इसके अलावा पड़ोसी देश श्रीलंका से भी कई छात्रों ने यहां से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त की है. जैसे श्रीलंकन सिंगर नंदा मालिनी, सुनील संथा व सनथ नंदासीरी जैसे बड़े श्रीलंकन कलाकार यहां से शिक्षा प्राप्त कर निकले हैं.