लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने लखनऊ में रिकॉर्ड तोड़ दिया है. नगर महापालिका से नगर निगम बनने के बाद पहली बार भाजपा के कुल 110 वार्ड में 81 पार्षद पद के प्रत्याशी जीत गए हैं. महानगर अध्यक्ष मुकेश शर्मा और नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल ने जानकारी दी है कि भाजपा के 81 पार्षद जीते हैं. 81 भाजपा, 21 समाजवादी पार्टी के, 04 कांग्रेस औऱ चार 04 निर्दलीय जीत गए हैं.
1995 में भारतीय जनता पार्टी के लखनऊ में 74 पार्षद जीते थे, जिसके बाद अब तक की सबसे बड़ी संख्या यही है. लखनऊ के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र जहां नगर निगम लगता है वहां हर और कमल का फूल खिला है, जबकि नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल भी पहले राउंड से लेकर आखिरी राउंड तक लगातार जीती रहीं. हर वार्ड में जहां भाजपा के प्रत्याशी ने जीत हासिल की वहां जश्न का माहौल रहा. जीत के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर भी जश्न मनाया गया और जमकर आतिशबाजी हुई. नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल की जीत करीब दो लाख से अधिक वोटों से हुई है.
भारतीय जनता पार्टी के राज्य मुख्यालय पर नगर निकाय चुनाव में मिली प्रचंड जीत पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों और आतिशबाजी कर जीत का जश्न मनाया. राज्य मुख्यालय पर नगर निकाय चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक विजय के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह, कैबिनेट मंत्री संजय निषाद, स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न मनाया.
कई वार्डों में भारतीय जनता पार्टी से टिकट ना मिलने से नाराज हुए भाजपाई बागी हो गए थे. कुछ ने चुनाव लड़ लिया था तो कुछ पर्दे के पीछे से अपने ही प्रत्याशी का विरोध कर रहे थे. मैथिलीशरण गुप्त वार्ड से भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान पार्षद दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने चुनाव लड़ा. मगर वे चुनाव हार गए. यह बात दीगर है कि इस वार्ड से भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार भी हार गया. इसी तरह से पूर्व कार्यवाहक महापौर सुरेश अवस्थी भी बगावत करने के बाद मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरे थे, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. मलाही टोला वार्ड 1 से भारतीय जनता पार्टी के टिकट की इच्छा रखने वाले अनुराग पांडेय ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था, मगर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी चंद्र बहादुर सिंह ने उनको करीब साढे़ 500 वोट से हरा दिया. ऐसे ही परदे के पीछे से भाजपा प्रत्याशी का विरोध करने वाले भाजपा नेताओं को कुछ खास फायदा नहीं हुआ.
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