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भैया दूज पर यमराज ने किया था अपनी बहन से यह खास वादा, यमुना से मांगा एक वरदान

इस साल भाई दूज Bhai dooj 2021 का त्योहार 6 नवंबर 2021 को पड़ रहा है. भाईदूज की पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान यमराज Yamraj अपनी बहन यमुना Yamuna से मिलने जाते हैं.

भाई दूज कथा
भाई दूज कथा
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Published : Nov 5, 2021, 1:13 PM IST

हैदराबाद : दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितिया को भाई दूज Bhai dooj 2021 का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस बार यह पर्व 6 नवंबर 2021 (शनिवार) को मनाया जाएगा.

भाईदूज की पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान यमराज Yamraj अपनी बहन यमुना Yamuna से मिलने जाते हैं. उन्हीं का अनुकरण करते हुए भारतीय भ्रातृ परंपरा अपनी बहनों से मिलती है और उनका यथेष्ट सम्मान पूजनादि कर उनसे आशीर्वाद रूप तिलक प्राप्त कर कृतकृत्य होती हैं.

ये है भाई दूज से जुड़ी कथा..Bhai dooj katha

सूर्य की पत्नी संज्ञा की दो संतानें थीं. संज्ञा के पुत्र का नाम यमराज और पुत्री का नाम यमुना था. संज्ञा अपने पति सूर्य की तेज किरणों को सहन नहीं कर सकने के कारण उत्तरी ध्रुव में छाया बनकर रहने लगी. इसी से ताप्ती नदी तथा शनिश्चर का जन्म हुआ. इसी छाया से सदा युवा रहने वाले अश्विनी कुमारों का भी जन्म हुआ, जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं. उत्तरी ध्रुव में बसने के बाद संज्ञा (छाया) का यम तथा यमुना के साथ व्यवहार में अंतर आ गया.

इससे व्यथित होकर यम ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई. यमुना अपने भाई यम को यमपुरी में पापियों को दंड देते देख दु:खी होती, इसलिए वह गोलोक चली गई. समय व्यतीत होता रहा. तब काफी सालों के बाद अचानक एक दिन यम को अपनी बहन यमुना की याद आई.

यम ने अपने दूतों को यमुना का पता लगाने के लिए भेजा, लेकिन वह कहीं नहीं मिली. फिर यम स्वयं गोलोक गए, जहां यमुनाजी की उनसे भेंट हुई. इतने दिनों बाद यमुना अपने भाई से मिलकर बहुत प्रसन्न हुई. यमुना ने भाई का स्वागत किया और स्वादिष्ट भोजन करवाया.

इससे भाई यम ने प्रसन्न होकर बहन से वरदान मांगने के लिए कहा. तब यमुना ने वर मांगा - 'हे भैया, मैं चाहती हूं कि जो भी मेरे जल में स्नान करे, वह यमपुरी नहीं जाए.' ​यह सुनकर यम चिंतित हो उठे और मन-ही-मन विचार करने लगे कि ऐसे वरदान से तो यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा.

भाई को चिंतित देख, बहन बोली- भैया आप चिंता न करें, मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन के यहां भोजन करें तथा मथुरा नगरी स्थित विश्रामघाट पर स्नान करें, वे यमपुरी नहीं जाएं. यमराज ने इसे स्वीकार कर वरदान दे दिया. बहन-भाई के मिलन के इस पर्व को अब भाई-दूज के रूप में मनाया जाता है.

हैदराबाद : दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितिया को भाई दूज Bhai dooj 2021 का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस बार यह पर्व 6 नवंबर 2021 (शनिवार) को मनाया जाएगा.

भाईदूज की पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान यमराज Yamraj अपनी बहन यमुना Yamuna से मिलने जाते हैं. उन्हीं का अनुकरण करते हुए भारतीय भ्रातृ परंपरा अपनी बहनों से मिलती है और उनका यथेष्ट सम्मान पूजनादि कर उनसे आशीर्वाद रूप तिलक प्राप्त कर कृतकृत्य होती हैं.

ये है भाई दूज से जुड़ी कथा..Bhai dooj katha

सूर्य की पत्नी संज्ञा की दो संतानें थीं. संज्ञा के पुत्र का नाम यमराज और पुत्री का नाम यमुना था. संज्ञा अपने पति सूर्य की तेज किरणों को सहन नहीं कर सकने के कारण उत्तरी ध्रुव में छाया बनकर रहने लगी. इसी से ताप्ती नदी तथा शनिश्चर का जन्म हुआ. इसी छाया से सदा युवा रहने वाले अश्विनी कुमारों का भी जन्म हुआ, जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं. उत्तरी ध्रुव में बसने के बाद संज्ञा (छाया) का यम तथा यमुना के साथ व्यवहार में अंतर आ गया.

इससे व्यथित होकर यम ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई. यमुना अपने भाई यम को यमपुरी में पापियों को दंड देते देख दु:खी होती, इसलिए वह गोलोक चली गई. समय व्यतीत होता रहा. तब काफी सालों के बाद अचानक एक दिन यम को अपनी बहन यमुना की याद आई.

यम ने अपने दूतों को यमुना का पता लगाने के लिए भेजा, लेकिन वह कहीं नहीं मिली. फिर यम स्वयं गोलोक गए, जहां यमुनाजी की उनसे भेंट हुई. इतने दिनों बाद यमुना अपने भाई से मिलकर बहुत प्रसन्न हुई. यमुना ने भाई का स्वागत किया और स्वादिष्ट भोजन करवाया.

इससे भाई यम ने प्रसन्न होकर बहन से वरदान मांगने के लिए कहा. तब यमुना ने वर मांगा - 'हे भैया, मैं चाहती हूं कि जो भी मेरे जल में स्नान करे, वह यमपुरी नहीं जाए.' ​यह सुनकर यम चिंतित हो उठे और मन-ही-मन विचार करने लगे कि ऐसे वरदान से तो यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा.

भाई को चिंतित देख, बहन बोली- भैया आप चिंता न करें, मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन के यहां भोजन करें तथा मथुरा नगरी स्थित विश्रामघाट पर स्नान करें, वे यमपुरी नहीं जाएं. यमराज ने इसे स्वीकार कर वरदान दे दिया. बहन-भाई के मिलन के इस पर्व को अब भाई-दूज के रूप में मनाया जाता है.

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