लखनऊः ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फर्जी एप्लीकेशंस की भरमार है. यही कारण है कि तमाम तरह के फर्जी एप्लीकेशन के माध्यम से इंस्टेंट लोन देने की बात होती है और मिनटों में ही लोगों को तत्काल लोन दिए जाने के झांसे में फंसा लिया जाता है. जब लोग इन फर्जी एप्लीकेशन के माध्यम से अपनी डिटेल्स देकर लोन लेते हैं तो फर्जीवाड़े का शिकार हो जाते हैं.
आरबीआई नहीं कस पा रही शिकंजा
बैंक और आरबीआई के स्तर पर इन फर्जी एप्लीकेशंस के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है. आरबीआई की तरफ से सिर्फ समय-समय पर गाइडलाइंस जारी करके अपील की जाती है. वहीं दूसरी तरफ साइबर क्राइम पुलिस भी ऐसे मामलों पर एविडेंस के आधार पर जांच कर कार्रवाई के दावे करती है लेकिन ऐसे प्लेटफॉर्म के खिलाफ बड़े स्तर पर शिकंजा कसने की कोई बड़ी तैयारी नहीं की जा सकी है. सिर्फ फर्जी इंस्टेंट लोन देने के दावे करने वाले एप्लीकेशन से जागरूकता ही बचाव का तरीका है.
सावधानी से ही हो सकेगा बचाव
जो भी लोग इस प्रकार का दावा करें उनसे सावधानी से बात करें. बेहतर यही होगा कि इन प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोन बिल्कुल न लें. नहीं तो, या तो आपके साथ फर्जीवाड़ा होगा या फिर जब संबंधित एप्लीकेशन या फोन कॉल के माध्यम से आपके खाते में लोन का पैसा भेजा जा रहा है. उसमें बाजार दर से चार गुना अधिक ब्याज लगाकर पैसे वसूलने को लेकर आपका शोषण होगा.
अधिक ब्याज पर लोन और फिर शोषण
सामान्य तौर पर 10 फीसद से लेकर 15 फीसद तक निजी और सरकारी बैंकों की तरफ से पर्सनल लोन पर ब्याज लगाया जाता है. फर्जीवाड़ा करने वाले एप्लीकेशन में 20 से 30 फीसद ब्याज वसूला जा रहा है. ऐसे में एप्लीकेशन के माध्यम से लोन लेने से अच्छा है, बैंकों के माध्यम से लोन लेकर अपनी जरूरतें पूरी करें.
फर्जी एप्लीकेशन से बनाएं दूरी
बैंक अधिकारियों का कहना है कि ऐसे फर्जी एप्लीकेशन से लोन लेकर मुसीबत में फंसने से अच्छा है कि इनसे दूरी बना कर रहे हैं. इनके झांसे में न आएं. अगर आपको लोन की आवश्यकता है तो सरकारी बैंक या फिर निजी क्षेत्र के बैंकों से लोन लें. बैंक में जाकर जरूरी कागजात देकर ही लोन प्राप्त करें. सिर्फ फोन कॉल या एप्लीकेशन से लोन का सीधा मतलब है फर्जीवाड़ा और अधिक ब्याज वसूली. ऐसी स्थिति में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों से सावधान रहने की आवश्यकता है.
सैकड़ों एप्स देते हैं ऑनलाइन लोन
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर तमाम तरह के नाम से इंस्टेंट लोन देने वाले एप्लीकेशंस मौजूद हैं. यहां ग्राहकों को भ्रमित करने के लिए मोबाइल नंबर और बैंक खाता की जानकारी प्राप्त करके ही इंस्टेंट लोन देने का दावा करते हैं. ऐसे एप्लीकेशन से सावधानी ही बचाव है. इन एप्लीकेशन के बारे में कोई सटीक सूचना भी नहीं है. आरबीआई स्तर से भी समय-समय पर गाइडलाइंस जारी की जाती है.
आरबीआई ने की अपील
आरबीआई के लखनऊ रीजन के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल ने कहा कि पिछले कुछ समय में ऐसी खबरें आई हैं कि कुछ लोग अनधिकृत डिजिटल लोन देने वाले प्लेटफॉर्म व मोबाइल एप की बढ़ती संख्या के कारण परेशान हुए हैं. ऐसी जानकारी मिल रही है कि ब्याज की अत्यधिक दरों और लोन देने वाले लोगों से कुछ छिपी शर्तों के आधार पर लोन दिया जा रहा है. बाद में फिर उनसे कठोर तरीके से लोन का पैसा वापस कराने का दबाव बनाया जाता है. ऐसे में आरबीआई यह चेतावनी जारी करता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से तुरंत लोन देने वालों से सावधान रहने की जरूरत है.
सिर्फ पंजीकृत बैंकों से ही लें लोन: आरबीआई
मुख्य महाप्रबंधक कहते हैं कि रिजर्व बैंक के साथ पंजीकृत बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) के अंतर्गत ही लोन लिया जा सकता है. अन्य माध्यम से अगर कोई तत्काल लोन की पेशकश करता है तो यह सिर्फ और सिर्फ फर्जीवाड़ा से संबंधित है. किसी ग्राहक के साथ कोई फर्जीवाड़ा होता है तो आरबीआई की वेबसाइट पर शिकायत की जा सकती है.
ऑनलाइन लोन मतलब फर्जीवाड़ाः पवन कुमार
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के यूपी इकाई के अध्यक्ष पवन कुमार कहते हैं कि लोन देने के लिए आरबीआई ने पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर की बैंकों को अधिकृत किया है. इसके अलावा एनबीएफसी लोन देने के लिए परमिटेड है. इसके अलावा कोई भी अगर आप से लोन देने की बात कर रहा है तो वह आप को ठगने की बात कर रहा है. सामान्य तौर पर यह होता है कि वह लोग फोन करते हैं. सिर्फ पांच मिनट में पर्सनल लोन देने का दावा करते हैं.
पवन कुमार ने बताया कि ऑनलाइन एप के माध्यम से लोन देने वाले कई तरह का फ्रॉड करते हैं. ये तमाम तरह के छिपे हुए चार्ज लगाते हैं. बाद में लोन लेने वाले व्यक्तियों का शोषण करते हैं. सरकारी और निजी क्षेत्र की बैंकों की तुलना में तीन से चार गुना अधिक ब्याज दर पर लोन देते हैं. बैंकों की तरफ से लगातार संदेश भेज कर लोगों को जागरूक किया जाता है कि ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोन लेने से बचा जाए. आरबीआई ने ऐसे फर्जीवाड़े को लेकर अपील जारी की है.
शिकायत पर करते हैं कार्रवाईः डीसीपी
लखनऊ के पुलिस उपायुक्त सोमेन वर्मा कहते हैं कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोन को लेकर कोई फ्रॉड होता है तो हम उसकी जांच कराकर कार्रवाई करते हैं. जिस भी कंपनी पर केस दर्ज कराया जाता है उसे ट्रेस किया जाता है. इसके बाद एविडेंस के आधार पर कार्रवाई की जाती है. वहीं जो फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के आधार पर नियमों के अनुसार लीगल तरीके से लोन लेता है और कंपनी लीगल ट्रांजेक्शन करती है तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं.