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पापा की लाडली बेटियों के लिए शायरी

पापा की छोटी सी परी से पहचाने जाने वाली बिटिया पर शायरी हम शेयर कर रहे है..हमें पूरी उम्मीद है आपको बिटिया पर लिखी गयी यह हिंदी शायरी जरुर पसंद आएगी.

बेटी के लिए शायरी
बेटी के लिए शायरी
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Published : Sep 26, 2021, 11:53 AM IST

लखनऊ : भारतीय समाज में सदियों से बेटियों को कई प्राचीन कुप्रथाओं, रीति-रिवाजों, पुरूषप्रधान मानसिकता के कारण अनेको दुःख-पीड़ा सहना पड़ा. आज के दौर में भी बहुत सारी ऐसी घटनाएं होती है, जिन्हें सुनकर या देखकर हमारा रूह तक काँप जाता है. पापा की प्यारी बिटिया रानी पर शायरी स्टेट्स कोट्स कुछ इस प्रकार से है :-

बड़े नसीब वालों के घर जन्म लेती है बेटी
घर आँगन को खुशियों से भर देती है बेटी
बस थोड़ा सा प्यार और दुलार चाहिए इसे
थोड़ी संभाल में लहलहाए वो खेती है बेटी

बेटा अंश हैं तो बेटी वंश हैं,

बेटा आन हैं तो बेटी शान हैं.

बेटियां सब के मुक़द्दर में कहां होती हैं,

घर खुदा को जो पसंद आये वहाँ होती हैं.

लक्ष्मी का वरदान हैं बेटी,

धरती पर भगवान हैं बेटी.

रोशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को,

दो दो कुलों की लाज होती है बेटियाँ.

वो शाख़ है न फूल अगर तितलियाँ न हो
वो घर भी कोई घर है जहाँ बच्चियाँ न हो

घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं,

बेटियाँ धान के पौधों की तरह होती हैं.

एक मीठी सी मुस्कान हैं बेटी
यह सच है कि मेहमान हैं बेटी
उस घर की पहचान बनने चली
जिस घर से अनजान हैं बेटी

फूलों सी कोमल हृदय वाली होती हैं बेटियां
माँ बाप की एक आह पर ही रोती हैं बेटियां
भाई के प्रेम में खुद को भुला देती हैं अक्सर
फिर भी आज गर्भ में जान खोती हैं बेटियाँ

बेटी को चांद जैसा मत बनाओ
कि हर कोई घूर घूर कर देखे
किंतु.. बेटी को सूरज जैसा बनाओ
ताकि घूरने से पहले सब की नजर झुक जाये

खिलती हुई कलियाँ हैं बेटियाँ
माँ-बाप का दर्द समझती हैं बेटियाँ
घर को रोशन करती हैं बेटियाँ
लड़के आज हैं तो आने वाला कल हैं बेटियाँ

ऐसा लगता है कि जैसे ख़त्म मेला हो गया,

उड़ गईं आँगन से चिड़ियाँ घर अकेला हो गया.

तो फिर जाकर कहीं मां- बाप को कुछ चैन पड़ता है,

कि जब ससुराल से घर आ के बेटी मुस्कुराती है.

ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी मिलती जुलती है,

कहीं भी शाख़े- गुल देखे तो झूला डाल देती है.

तू अगर बेटियां नहीं लिखता,

तो समझ खिड़कियां नहीं लिखता.

बेटी बचाओ और जीवन सजाओ,

बेटी पढ़ाओ और ख़ुशहाली बढ़ाओ.

बेटे भाग्य से होते हैं,

पर बेटियाँ सौभाग्य से होती हैं.

माँ जन्म देती है,

दादी कहानी सुनाती है,

बहन राखी बांधती है,

पत्नी जीवनभर साथ निभाती है

नारी के बिना जिंदगी कहाँ होती है.

एक मीठी सी मुस्कान हैं बेटी,

यह सच है कि मेहमान हैं बेटी,

उस घर की पहचान बनने चली,

जिस घर से अनजान हैं बेटी.

रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर रोने लगा,

वरना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी.

सारे जहां की खुशियाँ मैं तुझ पर लुटा दूं,

जिस राह से तूं गुज़रे वहां फूल बिछा दूं,

होगी विदा तूं जब भी मेरे आँगन से “बेटी”,

ख्वाहिश है यही ज़मीं से लेकर पूरा आसमां सजा दूं.

ऐ-खुदा, मैं तेरा शुक्रिया बार-बार करती हूँ,

अपनी बिटिया से मैं बहुत प्यार करती हूँ,

रखना तूं उसे सलामत जब तक ये चाँद तारे हैं,

बस यही दुआ मैं तुझसे हज़ार बार करती हूँ.

बेटी भार नही, है आधार
जीवन हैं उसका अधिकार
शिक्षा हैं उसका हथियार
बढ़ाओ कदम, करो स्वीकार

ये दाग जो लहू के, आँचल पर पड़े थे…

इस ढेर में बेजान से, अरमान पड़े थे…

वो हूबहू इंसान से, पर इंसान ना थे…

वासना की कामना धर, हैवान खड़े थे…

लुटेरा है अगर आज़ाद तो अपमान सबका है,

लुटी है एक बेटी, तो लुटा सम्मान सबका है!

बनो इंसान पहले छोड़ कर तुम बात मज़हब की

लड़ो मिलकर दरिंदो से, ये हिन्दोस्तान सबका हैं!!

सितम करने वालों की वर्दीया जला देना,

जुल्म करने वालों की तख्तीया जला देना,

बहु जलाने का हक तुम्हें अवश्य हैं,

पहले अपनी आंगन की बेटियां जला देना.

कविता

ख्वाबों में जो चाहा था वो प्यार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको.

भटक रहा था अब तक जिंदगी की गलियों में,

जब से तुझे पाया, जीवन का सार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको.

शुक्रिया बार-बार तेरा, जो तूं मेरी जिंदगी में आई,

कभी न टूटने वाला एतबार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको.

दोस्त कभी ऐसा मिला नहीं, जो उम्र भर साथ दे,

तेरे रुप में “बिटिया” वो यार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको.

खुशियाँ मिली इतनी की झोली में समाती नहीं,

तेरे आने से खुशियों का संसार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको.

ख्वाबों में जो चाहा था वो प्यार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है कहने का अधिकार मिला मुझको.

लखनऊ : भारतीय समाज में सदियों से बेटियों को कई प्राचीन कुप्रथाओं, रीति-रिवाजों, पुरूषप्रधान मानसिकता के कारण अनेको दुःख-पीड़ा सहना पड़ा. आज के दौर में भी बहुत सारी ऐसी घटनाएं होती है, जिन्हें सुनकर या देखकर हमारा रूह तक काँप जाता है. पापा की प्यारी बिटिया रानी पर शायरी स्टेट्स कोट्स कुछ इस प्रकार से है :-

बड़े नसीब वालों के घर जन्म लेती है बेटी
घर आँगन को खुशियों से भर देती है बेटी
बस थोड़ा सा प्यार और दुलार चाहिए इसे
थोड़ी संभाल में लहलहाए वो खेती है बेटी

बेटा अंश हैं तो बेटी वंश हैं,

बेटा आन हैं तो बेटी शान हैं.

बेटियां सब के मुक़द्दर में कहां होती हैं,

घर खुदा को जो पसंद आये वहाँ होती हैं.

लक्ष्मी का वरदान हैं बेटी,

धरती पर भगवान हैं बेटी.

रोशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को,

दो दो कुलों की लाज होती है बेटियाँ.

वो शाख़ है न फूल अगर तितलियाँ न हो
वो घर भी कोई घर है जहाँ बच्चियाँ न हो

घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं,

बेटियाँ धान के पौधों की तरह होती हैं.

एक मीठी सी मुस्कान हैं बेटी
यह सच है कि मेहमान हैं बेटी
उस घर की पहचान बनने चली
जिस घर से अनजान हैं बेटी

फूलों सी कोमल हृदय वाली होती हैं बेटियां
माँ बाप की एक आह पर ही रोती हैं बेटियां
भाई के प्रेम में खुद को भुला देती हैं अक्सर
फिर भी आज गर्भ में जान खोती हैं बेटियाँ

बेटी को चांद जैसा मत बनाओ
कि हर कोई घूर घूर कर देखे
किंतु.. बेटी को सूरज जैसा बनाओ
ताकि घूरने से पहले सब की नजर झुक जाये

खिलती हुई कलियाँ हैं बेटियाँ
माँ-बाप का दर्द समझती हैं बेटियाँ
घर को रोशन करती हैं बेटियाँ
लड़के आज हैं तो आने वाला कल हैं बेटियाँ

ऐसा लगता है कि जैसे ख़त्म मेला हो गया,

उड़ गईं आँगन से चिड़ियाँ घर अकेला हो गया.

तो फिर जाकर कहीं मां- बाप को कुछ चैन पड़ता है,

कि जब ससुराल से घर आ के बेटी मुस्कुराती है.

ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी मिलती जुलती है,

कहीं भी शाख़े- गुल देखे तो झूला डाल देती है.

तू अगर बेटियां नहीं लिखता,

तो समझ खिड़कियां नहीं लिखता.

बेटी बचाओ और जीवन सजाओ,

बेटी पढ़ाओ और ख़ुशहाली बढ़ाओ.

बेटे भाग्य से होते हैं,

पर बेटियाँ सौभाग्य से होती हैं.

माँ जन्म देती है,

दादी कहानी सुनाती है,

बहन राखी बांधती है,

पत्नी जीवनभर साथ निभाती है

नारी के बिना जिंदगी कहाँ होती है.

एक मीठी सी मुस्कान हैं बेटी,

यह सच है कि मेहमान हैं बेटी,

उस घर की पहचान बनने चली,

जिस घर से अनजान हैं बेटी.

रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर रोने लगा,

वरना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी.

सारे जहां की खुशियाँ मैं तुझ पर लुटा दूं,

जिस राह से तूं गुज़रे वहां फूल बिछा दूं,

होगी विदा तूं जब भी मेरे आँगन से “बेटी”,

ख्वाहिश है यही ज़मीं से लेकर पूरा आसमां सजा दूं.

ऐ-खुदा, मैं तेरा शुक्रिया बार-बार करती हूँ,

अपनी बिटिया से मैं बहुत प्यार करती हूँ,

रखना तूं उसे सलामत जब तक ये चाँद तारे हैं,

बस यही दुआ मैं तुझसे हज़ार बार करती हूँ.

बेटी भार नही, है आधार
जीवन हैं उसका अधिकार
शिक्षा हैं उसका हथियार
बढ़ाओ कदम, करो स्वीकार

ये दाग जो लहू के, आँचल पर पड़े थे…

इस ढेर में बेजान से, अरमान पड़े थे…

वो हूबहू इंसान से, पर इंसान ना थे…

वासना की कामना धर, हैवान खड़े थे…

लुटेरा है अगर आज़ाद तो अपमान सबका है,

लुटी है एक बेटी, तो लुटा सम्मान सबका है!

बनो इंसान पहले छोड़ कर तुम बात मज़हब की

लड़ो मिलकर दरिंदो से, ये हिन्दोस्तान सबका हैं!!

सितम करने वालों की वर्दीया जला देना,

जुल्म करने वालों की तख्तीया जला देना,

बहु जलाने का हक तुम्हें अवश्य हैं,

पहले अपनी आंगन की बेटियां जला देना.

कविता

ख्वाबों में जो चाहा था वो प्यार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको.

भटक रहा था अब तक जिंदगी की गलियों में,

जब से तुझे पाया, जीवन का सार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको.

शुक्रिया बार-बार तेरा, जो तूं मेरी जिंदगी में आई,

कभी न टूटने वाला एतबार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको.

दोस्त कभी ऐसा मिला नहीं, जो उम्र भर साथ दे,

तेरे रुप में “बिटिया” वो यार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको.

खुशियाँ मिली इतनी की झोली में समाती नहीं,

तेरे आने से खुशियों का संसार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको.

ख्वाबों में जो चाहा था वो प्यार मिला मुझको,

मेरी भी एक बेटी है कहने का अधिकार मिला मुझको.

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