लखनऊ : बीबीएयू में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के अपमान को लेकर चल रहे दलित विद्यार्थियों का प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शन के बीच संघमित्रा छात्रावास के मुख्य संरक्षिका ने इस मामले में आरोपी बताई जा रही तीन छात्राओं को हॉस्टल से 15 दिनों के लिए घर भेज दिया है. इस मामले को लेकर अब दूसरे गुट के विद्यार्थी वीसी आवास पर धरने पर बैठ गए हैं.
छात्रों का कहना है कि 'विश्वविद्यालय में पूजा पाठ करने के लिए क्या कुलपति से मंजूरी लेना अनिवार्य है. ज्ञात हो कि 26 जनवरी को बसंत पंचमी के अवसर पर संघमित्रा छात्रावास में रात को सरस्वती पूजा का आयोजन हुआ था. इस दौरान कुछ दलित विद्यार्थियों ने डॉक्टर अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद का विरोध किया था. जिसको लेकर छात्रावास में दलित और सवर्ण छात्र आमने-सामने आ गए थे. सवर्ण विद्यार्थियों पर डॉ. अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगा. विद्यार्थी बीते एक सप्ताह से विश्वविद्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.'
कार्रवाई से सवर्ण छात्र नाराज : विश्वविद्यालय प्रशासन को पूरे मामले की जांच करने के बाद अपमान से जुड़ा सबूत नहीं मिल पाया है, वहीं दूसरी ओर इन विद्यार्थियों को छात्रावास में बिना कुलपति के मंजूरी लिए पूजा का आयोजन करने पर कार्रवाई की गई है. मुख्य प्रशासनिक संरक्षिका की ओर से जारी आदेश में छात्रावास में रह रहीं छात्राओं को घर भेज दिया है. आदेश में विश्वविद्यालय के छात्रावास मैनुअल नियम बिंदु 4.10 व 4.28 में हवाला देते हुए कहा गया है कि छात्रावास में किसी भी तरह का धार्मिक या राजनीतिक आयोजन नहीं किया जा सकता है. अगर कोई भी आयोजन करना है तो उसके लिए विश्वविद्यालय के कुलपति से लिखित में अनुमति लेना अनिवार्य है. अब इसके विरोध में दूसरे गुट के विद्यार्थियों ने कुलपति आवास का घेराव कर प्रदर्शन शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि 'अब विश्वविद्यालय में पूजा पाठ करने को लेकर भी क्या कुलपति से मंजूरी लेनी होगी.'
कुलपति आवास पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि 'विश्वविद्यालय प्रशासन ने दलित विद्यार्थियों के दबाव में आरोपी छात्रा को छात्रावास से निलंबित कर घर भेज दिया है. ऐसे में इस कार्रवाई से छात्रों में गुस्सा बढ़ गया है.' ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय में 13 फरवरी को दसवां दीक्षांत समारोह आयोजित होना है. ऐसे में परिसर के माहौल को ठीक करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पूरे मामले पर प्रोफेसर सुदर्शन वर्मा की अध्यक्षता में पहले ही एक कमेटी का गठन कर दिया था. जो पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. इसके बाद भी दलित विद्यार्थी अपना प्रदर्शन समाप्त करने को नहीं तैयार थे.