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बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप - Mobile app became a headache for teachers

यूपी की सरकारी शिक्षा व्यवस्था सुधरने की दिशा में एक कदम आगे दो कदम पीछे की राह पर है. शिक्षकों पर शिक्षण कार्य के साथ कई सारे काम ऑनलाइन करने के लिए अलग से थोप दिए गए हैं. ऐसे में शिक्षकों के लिए ये तमाम ऐप सुविधा की बजाय सिर दर्द बन गए हैं.

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Published : Apr 19, 2023, 3:38 PM IST

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.

लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद में नया सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया है. सत्र शुरू होने के साथ ही बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के सामने बच्चों को पढ़ाने के साथ ही विभाग की ओर से मांगे जाने वाले विभिन्न कामों को लेकर कई चुनौतियां शुरू हो गई हैं. सबसे बड़ी चुनौतियां विभाग की ओर से समय-समय पर विद्यालय की गतिविधियों सहित रोजमर्रा की जानकारी से जुड़ा हुआ है. यह सभी जानकारी ऑनलाइन माध्यम से विभाग को भेजना पड़ता है. हर जानकारी के लिए विभाग में मोबाइल ऐप व ऑनलाइन पोर्टल बना रखा है. जिसका प्रयोग हर शिक्षक को दिन में कम से कम एक बार तो करना ही पड़ता है. ऐसे में जब शिक्षक समय पर जानकारी विभाग को नहीं मुहैया करा पाते हैं तो उन्हें कई तरह के विभागीय कार्रवाई का भी सामना करना पड़ता है.

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
एक शिक्षक के लिए 12 मोबाइल ऐप


प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग में मौजूदा समय में हर काम ऑनलाइन चल रहा है. हर काम के लिए एक अलग से मोबाइल ऐप या ऑनलाइन पोर्टल बना रखा है. सभी शिक्षकों को विद्यालय से जुड़ी हर एक जानकारी इन्हीं एप और पोर्टल के माध्यम से विभाग को भेजना पड़ता है. इनमें से ज्यादातर मोबाइल ऐप चलाने के लिए विभाग की ओर से ट्रेनिंग तक नहीं दी गई है. जो शिक्षक बहुत पुराने हैं वह आज की टेक्नोलॉजी से ज्यादा व्यस्त नहीं है. उन्हें ट्रेनिंग न मिलने के कारण इन सब मोबाइल ऐप व पोर्टल को चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.

ग्रामीण परिवेश के ज्यादातर विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक सभी जानकारियां ऑनलाइन माध्यम से भेजने के लिए स्कूल के दूसरे शिक्षकों या फिर बाहरी लोगों पर निर्भर हैं. ऐसे में जब कई बार समय पर जानकारियां नहीं पहुंचती हैं तो ब्लॉक स्तर पर इस शिक्षकों पर कार्रवाई कर दी जाती है. अप्रैल में ही पूरे प्रदेश में पीएफएमएस एप्पल विद्यालय के विकास अनुदान से जुड़े हुए डेटा की जानकारी अपलोड करनी थी. प्रदेश के 22 जिलों के शिक्षकों से डाटा न मिलने के कारण उन सभी पर कार्रवाई की गई. जिसके कारण करीब एक लाख से अधिक शिक्षकों का अप्रैल माह का वेतन रोक दिया गया था. जिसमें केवल राजधानी में ही पांच शिक्षकों का वेतन रोका गया था.

ग्रामीण परिवेश में नेटवर्क की बहुत दिक्कतें

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.


प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री आशुतोष मिश्रा ने बताया कि नगर क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या बहुत अधिक होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल ऐसे इंटीरियर एरिया में बने हैं कि वहां पर मोबाइल नेटवर्क ना के बराबर होता है. जिस कारण समय पर विभाग जो जानकारी हर दिन भेजी जानी है. वह शिक्षक अपने घर पहुंच कर या फिर सप्ताह में छुट्टी के दिन ही भेज पाता है. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों को अवकाश के दिन पूरा दिन बैठकर केवल विभिन्न मोबाइल एप व पोर्टल पर केवल जानकारी ही अपलोड करने में समय निकल जाता.

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.

आशुतोष मिश्र ने बताया कि मौजूदा समय में बेसिक शिक्षा विभाग करीब एक दर्जन से अधिक मोबाइल एप ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से शिक्षकों से जानकारी लेता है. इनमें से करीब 6 एप जिसमें रीड एलोग एप, निपुण, प्रेरणा, डीबीटी, समर्थ, प्रेरणा यूपी डॉट इन, संपर्क स्मार्ट शाला व एम स्थापना जैसे एप को प्रतिदिन प्रयोग करना होता है. वही बाकी जो एप बचे हैं जैसे दीक्षा एप, पीएफएमएस, एनआईएलपीएस व शारदा ऐप इन सब एप का प्रयोग सितंबर तक रोजाना करना पड़ता है. जब तक विभाग प्रवेश प्रक्रिया बंद नहीं कर देता है. एसोसिएशन की जिला अध्यक्ष ललित सिंह ने बताया कि एक साथ कितने मोबाइल एप के प्रयोग करने से शिक्षक काफी परेशान हैं. एक तो मोबाइल में इतने अधिक ऐप होने के कारण शिक्षकों को कई बार जानकारी अपलोड करने में भी दिक्कतें होती है. शिक्षकों को हर दिन औसतन 1.50 से 2 जीबी मोबाइल डाटा केवल इन्हीं ऐप में जानकारी अपलोड करने में खर्च होता है. ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों का कहना है कि कई बार नेटवर्क ना होने के कारण समय पर जानकारी नहीं पहुंचती हैं. जिसका खामियाजा उन्हें कार्रवाई के रूप में झेलना पड़ता है.

यह भी पढ़ें : India Tops In Population : चीन को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बना भारत

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.

लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद में नया सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया है. सत्र शुरू होने के साथ ही बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के सामने बच्चों को पढ़ाने के साथ ही विभाग की ओर से मांगे जाने वाले विभिन्न कामों को लेकर कई चुनौतियां शुरू हो गई हैं. सबसे बड़ी चुनौतियां विभाग की ओर से समय-समय पर विद्यालय की गतिविधियों सहित रोजमर्रा की जानकारी से जुड़ा हुआ है. यह सभी जानकारी ऑनलाइन माध्यम से विभाग को भेजना पड़ता है. हर जानकारी के लिए विभाग में मोबाइल ऐप व ऑनलाइन पोर्टल बना रखा है. जिसका प्रयोग हर शिक्षक को दिन में कम से कम एक बार तो करना ही पड़ता है. ऐसे में जब शिक्षक समय पर जानकारी विभाग को नहीं मुहैया करा पाते हैं तो उन्हें कई तरह के विभागीय कार्रवाई का भी सामना करना पड़ता है.

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
एक शिक्षक के लिए 12 मोबाइल ऐप


प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग में मौजूदा समय में हर काम ऑनलाइन चल रहा है. हर काम के लिए एक अलग से मोबाइल ऐप या ऑनलाइन पोर्टल बना रखा है. सभी शिक्षकों को विद्यालय से जुड़ी हर एक जानकारी इन्हीं एप और पोर्टल के माध्यम से विभाग को भेजना पड़ता है. इनमें से ज्यादातर मोबाइल ऐप चलाने के लिए विभाग की ओर से ट्रेनिंग तक नहीं दी गई है. जो शिक्षक बहुत पुराने हैं वह आज की टेक्नोलॉजी से ज्यादा व्यस्त नहीं है. उन्हें ट्रेनिंग न मिलने के कारण इन सब मोबाइल ऐप व पोर्टल को चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.

ग्रामीण परिवेश के ज्यादातर विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक सभी जानकारियां ऑनलाइन माध्यम से भेजने के लिए स्कूल के दूसरे शिक्षकों या फिर बाहरी लोगों पर निर्भर हैं. ऐसे में जब कई बार समय पर जानकारियां नहीं पहुंचती हैं तो ब्लॉक स्तर पर इस शिक्षकों पर कार्रवाई कर दी जाती है. अप्रैल में ही पूरे प्रदेश में पीएफएमएस एप्पल विद्यालय के विकास अनुदान से जुड़े हुए डेटा की जानकारी अपलोड करनी थी. प्रदेश के 22 जिलों के शिक्षकों से डाटा न मिलने के कारण उन सभी पर कार्रवाई की गई. जिसके कारण करीब एक लाख से अधिक शिक्षकों का अप्रैल माह का वेतन रोक दिया गया था. जिसमें केवल राजधानी में ही पांच शिक्षकों का वेतन रोका गया था.

ग्रामीण परिवेश में नेटवर्क की बहुत दिक्कतें

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.


प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री आशुतोष मिश्रा ने बताया कि नगर क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या बहुत अधिक होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल ऐसे इंटीरियर एरिया में बने हैं कि वहां पर मोबाइल नेटवर्क ना के बराबर होता है. जिस कारण समय पर विभाग जो जानकारी हर दिन भेजी जानी है. वह शिक्षक अपने घर पहुंच कर या फिर सप्ताह में छुट्टी के दिन ही भेज पाता है. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों को अवकाश के दिन पूरा दिन बैठकर केवल विभिन्न मोबाइल एप व पोर्टल पर केवल जानकारी ही अपलोड करने में समय निकल जाता.

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए सिर दर्द बने मोबाइल ऐप.

आशुतोष मिश्र ने बताया कि मौजूदा समय में बेसिक शिक्षा विभाग करीब एक दर्जन से अधिक मोबाइल एप ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से शिक्षकों से जानकारी लेता है. इनमें से करीब 6 एप जिसमें रीड एलोग एप, निपुण, प्रेरणा, डीबीटी, समर्थ, प्रेरणा यूपी डॉट इन, संपर्क स्मार्ट शाला व एम स्थापना जैसे एप को प्रतिदिन प्रयोग करना होता है. वही बाकी जो एप बचे हैं जैसे दीक्षा एप, पीएफएमएस, एनआईएलपीएस व शारदा ऐप इन सब एप का प्रयोग सितंबर तक रोजाना करना पड़ता है. जब तक विभाग प्रवेश प्रक्रिया बंद नहीं कर देता है. एसोसिएशन की जिला अध्यक्ष ललित सिंह ने बताया कि एक साथ कितने मोबाइल एप के प्रयोग करने से शिक्षक काफी परेशान हैं. एक तो मोबाइल में इतने अधिक ऐप होने के कारण शिक्षकों को कई बार जानकारी अपलोड करने में भी दिक्कतें होती है. शिक्षकों को हर दिन औसतन 1.50 से 2 जीबी मोबाइल डाटा केवल इन्हीं ऐप में जानकारी अपलोड करने में खर्च होता है. ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों का कहना है कि कई बार नेटवर्क ना होने के कारण समय पर जानकारी नहीं पहुंचती हैं. जिसका खामियाजा उन्हें कार्रवाई के रूप में झेलना पड़ता है.

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