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शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय में दो पाठ्यक्रम में दाखिला लेने पर लगाई गई रोक, जानिए क्या है वजह!

भारतीय पुनर्वास परिषद ने डॉक्टर शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में 2 पाठ्यक्रमों को सत्र 2021-22 में संचालित किए जाने पर रोक लगा दी है. इसमें बैचलर ऑफ ऑडियोलॉजी एंड स्पीक लैंग्वेज पैथालॉजी (बीएएसएलपी) और बैचलर इन प्रोस्थोटिक एंड ऑर्थोटिक (बीपीओ) शामिल हैं.

दो पाठ्यक्रम में दाखिला लेने पर लगाई गई रोक
दो पाठ्यक्रम में दाखिला लेने पर लगाई गई रोक
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Published : Jun 24, 2021, 4:42 AM IST

लखनऊः भारतीय पुनर्वास परिषद ने डॉक्टर शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास यूनिवर्सिटी में 2 पाठ्यक्रमों को सत्र 2021-22 में संचालित किए जाने पर रोक लगा दी है. यूनिवर्सिटी पर इन पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए पर्याप्त व्यवस्था न होने की वजह से ये कार्रवाई की गई है.

प्रोफेसर निशीथ राय ने की थी शुरुआत

डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय प्रदेश का एक मात्रा सा विश्वविद्यालय है, जिनमें इन पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाता है. यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर निशीथ राय ने बीएएसएलपी और बीपीओ पाठ्यक्रम की शुरुआत की थी. विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा कार्यक्रम के तहत इनका संचालन किया जा रहा था. ये प्रोफेशनल कोर्सेज हैं. दोनों में 25-25 सीट हैं. इनमें छात्रों को पैरामेडिकल से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराई जाती हैं. इन दोनों पाठ्यक्रम के संचालन के लिए भारतीय पुनर्वास परिषद का अप्रूवल अनिवार्य है.

ये खामियां पाई गईं

बीते दिनों राष्ट्रीय पुनर्वास परिषद की टीम ने विश्वविद्यालय में संचालित इन दोनों पाठ्यक्रमों का जायजा लिया था. निर्धारित मानकों के तहत सभी मापदंडों पर कम से कम 70% पर खरा उतरने की स्थिति में ही इन पाठ्यक्रमों को संचालित करने की अनुमति दी जा सकती है.

दो पाठ्यक्रम में दाखिला लेने पर लगाई गई रोक
दो पाठ्यक्रम में दाखिला लेने पर लगाई गई रोक

इसे भी पढ़ें- ज्येष्ठ पूर्णिमा पर करें भगवान विष्णु की आराधना, मिलेगा विशेष फल, जानें स्नान-दान का महत्व


काउंसिल की टीम ने बीपीओ पाठ्यक्रम के लिए जब जांच की तो पाया कि यह मानव संसाधन 60.6 प्रतिशत और फैकल्टी डेवलपमेंट एंड रिसर्च 47.5 प्रतिशत है. जो कि निर्धारित 70% के मापदंड से बेहद कम है.बीएएसएलपी पाठ्यक्रम के लिए की गई जांच में स्थिति और भी खराब पाई गई है. भवन के मानक 57 फीसदी ही पूरे पाए गए. इसी तरह मानव संसाधन 14.68 प्रतिशत, क्लिनिकल सर्विसेज 35 प्रतिशत, क्लीनिकल इंफ्रास्ट्रक्चर 20 प्रतिशत, लाइब्रेरी रिसोर्सेज 42.5 प्रतिशत, कम्युनिटी प्रमोशन एक्टिविटीज 62.5 प्रतिशत, फैकल्टी डेवलपमेंट 40 प्रतिशत के स्तर पर पाई गई.

यह है विश्वविद्यालय का पक्ष

विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमित कुमार राय ने बताया कि इन पाठ्यक्रमों में शिक्षकों को लेकर कुछ आपत्ति आ रही हैं. विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. जहां तक भी पियो और बीएएसएलपी की बात है, तो इनमें दाखिले के आवेदन जुलाई में लिए जाने हैं. वर्तमान में कोई परेशानी नहीं है. विश्वविद्यालय के स्तर पर पूरे प्रयास किए जा रहे हैं. पूरी उम्मीद है कि दाखिले लिए जाएंगे.

लखनऊः भारतीय पुनर्वास परिषद ने डॉक्टर शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास यूनिवर्सिटी में 2 पाठ्यक्रमों को सत्र 2021-22 में संचालित किए जाने पर रोक लगा दी है. यूनिवर्सिटी पर इन पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए पर्याप्त व्यवस्था न होने की वजह से ये कार्रवाई की गई है.

प्रोफेसर निशीथ राय ने की थी शुरुआत

डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय प्रदेश का एक मात्रा सा विश्वविद्यालय है, जिनमें इन पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाता है. यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर निशीथ राय ने बीएएसएलपी और बीपीओ पाठ्यक्रम की शुरुआत की थी. विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा कार्यक्रम के तहत इनका संचालन किया जा रहा था. ये प्रोफेशनल कोर्सेज हैं. दोनों में 25-25 सीट हैं. इनमें छात्रों को पैरामेडिकल से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराई जाती हैं. इन दोनों पाठ्यक्रम के संचालन के लिए भारतीय पुनर्वास परिषद का अप्रूवल अनिवार्य है.

ये खामियां पाई गईं

बीते दिनों राष्ट्रीय पुनर्वास परिषद की टीम ने विश्वविद्यालय में संचालित इन दोनों पाठ्यक्रमों का जायजा लिया था. निर्धारित मानकों के तहत सभी मापदंडों पर कम से कम 70% पर खरा उतरने की स्थिति में ही इन पाठ्यक्रमों को संचालित करने की अनुमति दी जा सकती है.

दो पाठ्यक्रम में दाखिला लेने पर लगाई गई रोक
दो पाठ्यक्रम में दाखिला लेने पर लगाई गई रोक

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काउंसिल की टीम ने बीपीओ पाठ्यक्रम के लिए जब जांच की तो पाया कि यह मानव संसाधन 60.6 प्रतिशत और फैकल्टी डेवलपमेंट एंड रिसर्च 47.5 प्रतिशत है. जो कि निर्धारित 70% के मापदंड से बेहद कम है.बीएएसएलपी पाठ्यक्रम के लिए की गई जांच में स्थिति और भी खराब पाई गई है. भवन के मानक 57 फीसदी ही पूरे पाए गए. इसी तरह मानव संसाधन 14.68 प्रतिशत, क्लिनिकल सर्विसेज 35 प्रतिशत, क्लीनिकल इंफ्रास्ट्रक्चर 20 प्रतिशत, लाइब्रेरी रिसोर्सेज 42.5 प्रतिशत, कम्युनिटी प्रमोशन एक्टिविटीज 62.5 प्रतिशत, फैकल्टी डेवलपमेंट 40 प्रतिशत के स्तर पर पाई गई.

यह है विश्वविद्यालय का पक्ष

विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमित कुमार राय ने बताया कि इन पाठ्यक्रमों में शिक्षकों को लेकर कुछ आपत्ति आ रही हैं. विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. जहां तक भी पियो और बीएएसएलपी की बात है, तो इनमें दाखिले के आवेदन जुलाई में लिए जाने हैं. वर्तमान में कोई परेशानी नहीं है. विश्वविद्यालय के स्तर पर पूरे प्रयास किए जा रहे हैं. पूरी उम्मीद है कि दाखिले लिए जाएंगे.

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