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लखनऊ: बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में खस्ताहाल कुर्सियां, जमीन पर हैं मरीज - बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में कुर्सियां खटारा

सरकारी अस्पतालों द्वारा तमाम सेवाओं और व्यवस्थाओं के दावे किए जाते हैं. दावे कितने जमीन पर हैं यह राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी देख कर जाना जा सकता है. ओपीडी में कुर्सियां तो रखी हैं लेकिन ये कुर्सियां बिल्कुल भी बैठने लायक नहीं हैं.

लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की बुरी हालत है
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Published : May 20, 2019, 10:38 PM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में तमाम सेवाओं और व्यवस्थाओं के दिये जाने के दावे किए जाते हैं. बलरामपुर अस्पताल में सोमवार होने की वजह से ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी हुई थी. ओपीडी में मरीजों के बैठने वाली कुर्सियां बहुत ही बुरे और खस्ताहाल में थी. जिसकी वजह से मरीज जमीन पर बैठे दिखाई दिए.

लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की बुरी हालत है.


सरकारी अस्पताल के खस्ता हाल...

  • राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों द्वारा तमाम सेवाओं और व्यवस्थाओं के दावे किए जाते हैं. दावे कितने जमीन पर हैं यह बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी देख कर जाना जा सकता है.
  • बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी की यह दशा देखकर यह साफ हो जाता है कि सरकारी सेवाएं जमीन पर लोगों के लिए कितना खरा उतर रही हैं.
  • सुबह से ही मरीज यहां पर अपने इलाज के लिए राजधानी के कोने-कोने से आते हैं.
  • मरीजों को उम्मीद रहती है कि यहां पर डॉक्टर उन्हें बेहतर इलाज देंगे.
  • मरीजों को यहां पर बेहतर इलाज मिलने से पहले जर्जर व्यवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है.
  • अस्पताल पहुंचते ही यहां पर लंबी कतारें लगी रहती हैं. जिसमें उन्हें डॉक्टर से मिलने से पहले लंबा इंतजार करना पड़ता है.
  • अस्पताल प्रशासन द्वारा ओपीडी में कुर्सियां तो रखी हैं लेकिन ये कुर्सियां बिल्कुल भी बैठने लायक नहीं हैं.
  • अस्पताल प्रशासन के दावों की तरह एक तरफ मरीज बिना कुर्सी के सुबह से खड़े हुए थे तो कहीं जमीन पर बैठे हुए मिले.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में तमाम सेवाओं और व्यवस्थाओं के दिये जाने के दावे किए जाते हैं. बलरामपुर अस्पताल में सोमवार होने की वजह से ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी हुई थी. ओपीडी में मरीजों के बैठने वाली कुर्सियां बहुत ही बुरे और खस्ताहाल में थी. जिसकी वजह से मरीज जमीन पर बैठे दिखाई दिए.

लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल की बुरी हालत है.


सरकारी अस्पताल के खस्ता हाल...

  • राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों द्वारा तमाम सेवाओं और व्यवस्थाओं के दावे किए जाते हैं. दावे कितने जमीन पर हैं यह बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी देख कर जाना जा सकता है.
  • बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी की यह दशा देखकर यह साफ हो जाता है कि सरकारी सेवाएं जमीन पर लोगों के लिए कितना खरा उतर रही हैं.
  • सुबह से ही मरीज यहां पर अपने इलाज के लिए राजधानी के कोने-कोने से आते हैं.
  • मरीजों को उम्मीद रहती है कि यहां पर डॉक्टर उन्हें बेहतर इलाज देंगे.
  • मरीजों को यहां पर बेहतर इलाज मिलने से पहले जर्जर व्यवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है.
  • अस्पताल पहुंचते ही यहां पर लंबी कतारें लगी रहती हैं. जिसमें उन्हें डॉक्टर से मिलने से पहले लंबा इंतजार करना पड़ता है.
  • अस्पताल प्रशासन द्वारा ओपीडी में कुर्सियां तो रखी हैं लेकिन ये कुर्सियां बिल्कुल भी बैठने लायक नहीं हैं.
  • अस्पताल प्रशासन के दावों की तरह एक तरफ मरीज बिना कुर्सी के सुबह से खड़े हुए थे तो कहीं जमीन पर बैठे हुए मिले.
Intro:राजधानी लखनऊ की बलरामपुर अस्पताल में सोमवार होने की वजह से आज ओपीडी में जमकर मरीजों की संख्या बढ़ी हुई थी। लेकिन ओपीडी में मरीजों के बैठने वाली कुर्सियां बहुत ही बुरे व खस्ताहाल में थी। जिसकी वजह से मरीज जमीन पर बैठे दिखाई दिए। इसकी वजह से मरीज परेशान दिखे।


Body:राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों द्वारा तमाम सेवाओं और व्यवस्थाओं के दावे किए जाते हैं। लेकिन यह दावे कितने जमीन पर हैं यह बलरामपुर की ओपीडी देख कर जाना जा सकता है। बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी की यह दशा देखकर यह साफ हो जाता है किस सरकारी सेवाएं जमीन पर लोगों के लिए कितना खरा उतर रही है।

दरअसल आज सोमवार को बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या बहुत अधिक रहती है। आज सुबह से ही मरीज यहां पर अपने इलाज के लिए राजधानी के कोने कोने से आए हुए थे। मरीजों को उम्मीद रहती है कि यहां पर डॉक्टर उन्हें बेहतर इलाह देंगे। लेकिन दूरदराज कोने कोने से आने वाले मरीजों को यहां पर बेहतर इलाज के पहले जर्जर व्यवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अस्पताल में आने वाले मरीज राजधानी के कोने-कोने से आते हैं। अस्पताल पहुंचते हैं तो यहां पर लंबी कतारें लगी हुई। जिसमें उन्हें डॉक्टर के सामने इलाज कराने से पहले लंबा इंतजार करना पड़ता है।। इस इंतजार में बूढ़े, बच्चे, महिलाएं सभी रहते हैं। लेकिन उनका इंतजार अब उन्हें परेशान करने लगा। अस्पताल प्रशासन द्वारा ओपीडी में कुर्सियां रखें है लेकिन ये कुर्सियां बिल्कुल भी बैठने लायक नहीं है और जर्जर हो चुकी है। बिल्कुल अस्पताल प्रशासन के दावों की तरह एक तरफ मरीज बिना कुर्सी के सुबह से खड़े हुए तो कहीं जमीन पर बैठे हुए। जब भी मरीज इन कुर्सियों को देखते हैं। तो उनका का दर्द और बढ़ जाता है पर अस्पताल प्रशासन सुधरने का नाम नहीं ले रहा।

बाइट- डॉ. राजीव लोचन, निदेशक, बलरामपुर अस्पताल


Conclusion:एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
7054605976

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