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कमलेश तिवारी हत्याकांड: अभियुक्त की जमानत याचिका खारिज

कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में अभियुक्त युसुफ खान की जमानत याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी. युसुफ खान पर सह-अभियुक्तों को कमलेश तिवारी की हत्या के लिए हथियार उपलब्ध कराने का आरोप है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच
इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच
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Published : Mar 26, 2021, 8:48 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कमलेश तिवारी की हत्या के मामले के अभियुक्त युसुफ खान की जमानत याचिका खारिज कर दी है. युसुफ खान पर सह-अभियुक्तों को कमलेश तिवारी की हत्या के लिए हथियार उपलब्ध कराने का आरोप है.

यह आदेश न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने युसुफ खान की याचिका पर पारित किया. न्यायालय ने पहली ही सुनवाई पर याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि मृतक हिंदू समाज पार्टी का नेता था. वर्ष 2016 में मोहम्मद मुफ्ती नईम काजमी ने मृतक के सिर की कीमत 51 लाख रुपये घोषित की. इसके बाद इमाम मौलाना अवारूल हक, बिजनौर ने मृतक के सिर की कीमत डेढ करोड़ रुपये लगाई.

अभियुक्त पर आरोप है कि उसने दो हमलावरों को हथियार उपलब्ध कराए, जिनसे मृतक की उसके घर में ही हत्या की गई. न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि अभियुक्त की बहुत ही वीभत्स तरीके से हत्या की गई थी. न्यायालय ने यह भी पाया कि अभियुक्त का 10 मुकदमों का आपराधिक इतिहास भी है. न्यायालय ने कहा कि एक ऐसी घटना जिसमें राजधानी के कानून व्यव्स्था की स्थिति को बिगाड़ के रख दिया था, उसमें अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं होगा.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कमलेश तिवारी की हत्या के मामले के अभियुक्त युसुफ खान की जमानत याचिका खारिज कर दी है. युसुफ खान पर सह-अभियुक्तों को कमलेश तिवारी की हत्या के लिए हथियार उपलब्ध कराने का आरोप है.

यह आदेश न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने युसुफ खान की याचिका पर पारित किया. न्यायालय ने पहली ही सुनवाई पर याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि मृतक हिंदू समाज पार्टी का नेता था. वर्ष 2016 में मोहम्मद मुफ्ती नईम काजमी ने मृतक के सिर की कीमत 51 लाख रुपये घोषित की. इसके बाद इमाम मौलाना अवारूल हक, बिजनौर ने मृतक के सिर की कीमत डेढ करोड़ रुपये लगाई.

अभियुक्त पर आरोप है कि उसने दो हमलावरों को हथियार उपलब्ध कराए, जिनसे मृतक की उसके घर में ही हत्या की गई. न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि अभियुक्त की बहुत ही वीभत्स तरीके से हत्या की गई थी. न्यायालय ने यह भी पाया कि अभियुक्त का 10 मुकदमों का आपराधिक इतिहास भी है. न्यायालय ने कहा कि एक ऐसी घटना जिसमें राजधानी के कानून व्यव्स्था की स्थिति को बिगाड़ के रख दिया था, उसमें अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं होगा.

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