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लखीमपुर खीरी कांड: अंकित दास समेत चार अभियुक्तों की जमानत याचिकाएं खारिज - news of ajay mishra teni

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखीमपुर खीरी मामले में अंकित दास समेत चार अभियुक्तों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं.

लखीमपुर खीरी कांड में अंकित दास समेत चार अभियुक्तों की जमानत याचिकाएं खारिज
लखीमपुर खीरी कांड में अंकित दास समेत चार अभियुक्तों की जमानत याचिकाएं खारिज
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Published : May 9, 2022, 7:37 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खीरी के तिकुनिया कांड मामले में अंकित दास, सुमित जायसवाल, लवकुश और शिशुपाल की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं. न्यायालय ने कहा है कि अभियुक्तों के विरुद्ध उपलब्ध मजबूत साक्ष्यों को देखते हुए उन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने उपरोक्त अभियुक्तों की ओर से दाखिल अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर पारित किया. न्यायालय ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि सभी अभियुक्त मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के साथ सक्रिय रूप से योजना बनाने व इस जघन्य कांड को कारित करने में शामिल थे.

कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले के अभियुक्त राजनीतिक रूप से अत्यधिक प्रभावशाली हैं लिहाजा उनके जमानत पर छूटने के बाद मामले के प्रभावित होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.


न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की भी इस मामले को लेकर आलोचना की. कहा कि उच्च राजनीतिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को गैर जिम्मेदराना बयान नहीं देने चाहिए. आगे कहा कि जैसा कि जवाबी हलफनामे में तथ्य आया है कि यदि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कथित बयान न दिया होता तो यह घटना ही न घटित हुई होती. कोर्ट ने चार्जशीट का उदाहरण देते हुए कहा कि किसान तो शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे.

न्यायालय ने आगे कहा कि हमें यह विश्वास नहीं है कि उप मुख्यमंत्री को उस क्षेत्र में धारा 144 के लागू होने की जानकारी न हो. धारा 144 लागू होने के बावजूद कुश्ती का आयोजन किया गया और केंद्रीय राज्य मंत्री तथा उप मुख्यमंत्री ने उक्त आयोजन में जाने का निर्णय लिया.

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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खीरी के तिकुनिया कांड मामले में अंकित दास, सुमित जायसवाल, लवकुश और शिशुपाल की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं. न्यायालय ने कहा है कि अभियुक्तों के विरुद्ध उपलब्ध मजबूत साक्ष्यों को देखते हुए उन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने उपरोक्त अभियुक्तों की ओर से दाखिल अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर पारित किया. न्यायालय ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि सभी अभियुक्त मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के साथ सक्रिय रूप से योजना बनाने व इस जघन्य कांड को कारित करने में शामिल थे.

कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले के अभियुक्त राजनीतिक रूप से अत्यधिक प्रभावशाली हैं लिहाजा उनके जमानत पर छूटने के बाद मामले के प्रभावित होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.


न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की भी इस मामले को लेकर आलोचना की. कहा कि उच्च राजनीतिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को गैर जिम्मेदराना बयान नहीं देने चाहिए. आगे कहा कि जैसा कि जवाबी हलफनामे में तथ्य आया है कि यदि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कथित बयान न दिया होता तो यह घटना ही न घटित हुई होती. कोर्ट ने चार्जशीट का उदाहरण देते हुए कहा कि किसान तो शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे.

न्यायालय ने आगे कहा कि हमें यह विश्वास नहीं है कि उप मुख्यमंत्री को उस क्षेत्र में धारा 144 के लागू होने की जानकारी न हो. धारा 144 लागू होने के बावजूद कुश्ती का आयोजन किया गया और केंद्रीय राज्य मंत्री तथा उप मुख्यमंत्री ने उक्त आयोजन में जाने का निर्णय लिया.

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