लखनऊ: राजधानी में गोमती आज भी बदहाल नजर आ रही है. गोमती के साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन धरातल पर गोमती अविरल निर्मल नहीं हुई. लोकसभा चुनाव चल रहा है, ऐसे में राजनीतिक दलों के मुद्दे में भी गोमती शामिल नहीं है.
हर तरफ गोमती नदी बदहाल नजर आ रही है. प्लास्टिक, कूड़ा-करकट सब गोमती की धारा में प्रवाहित हो रहा है. केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना और राज्य सरकार ने गोमती सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन गोमती की धारा अविरल और निर्मल नहीं हो पाई.
शुभ संस्कार समिति के महामंत्री वृद्धि किशोर गौड़ ने कहा कि राजनीतिक दलों के एजेंडे में गोमती नहीं है. गोमती को अविरल निर्मल बनाने के लिए सरकार और प्रशासन को खुले मन से काम करना होगा. गोमती सफाई के नाम पर 3500 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन फिर भी गोमती साफ नहीं की जा सकी है. उन्होंने कहा कि गोमती को राज्य सरकार को अपने एजेंडे में शामिल करना होगा. जो नाले गोमती में सीधे प्रवाहित हो रहे हैं, उन्हें शोधन करना होगा. साथ ही कहा कि जो करेगा गोमती को साफ, वही करेगा लखनऊ में राज.
राजधानी लखनऊ में करीब 32 नाले सीधे गोमती में प्रवाहित होते हैं. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री ने कहा कि नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा-गोमती कुछ अविरल हुईं हैं, लेकिन इसे राजनीतिक दलों के एजेंडे में शामिल किया जाना बहुत आवश्यक है.