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न निर्मल हुई न अविरल, चुनावी मुद्दा भी न बन सकी गोमती

राजधानी लखनऊ में गोमती आज भी बदहाल नजर आ रही है. गोमती की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन धरातल पर गोमती अविरल निर्मल नहीं हुई. हैरत की बात यह है कि इस सब के बावजूद भी गोमती नदी चुनावी मुद्दों में शामिल नहीं है.

लखनऊ में गोमती का हाल बदहाल
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Published : Apr 20, 2019, 8:08 PM IST

लखनऊ: राजधानी में गोमती आज भी बदहाल नजर आ रही है. गोमती के साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन धरातल पर गोमती अविरल निर्मल नहीं हुई. लोकसभा चुनाव चल रहा है, ऐसे में राजनीतिक दलों के मुद्दे में भी गोमती शामिल नहीं है.

लखनऊ में गोमती का हाल बदहाल.

हर तरफ गोमती नदी बदहाल नजर आ रही है. प्लास्टिक, कूड़ा-करकट सब गोमती की धारा में प्रवाहित हो रहा है. केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना और राज्य सरकार ने गोमती सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन गोमती की धारा अविरल और निर्मल नहीं हो पाई.


शुभ संस्कार समिति के महामंत्री वृद्धि किशोर गौड़ ने कहा कि राजनीतिक दलों के एजेंडे में गोमती नहीं है. गोमती को अविरल निर्मल बनाने के लिए सरकार और प्रशासन को खुले मन से काम करना होगा. गोमती सफाई के नाम पर 3500 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन फिर भी गोमती साफ नहीं की जा सकी है. उन्होंने कहा कि गोमती को राज्य सरकार को अपने एजेंडे में शामिल करना होगा. जो नाले गोमती में सीधे प्रवाहित हो रहे हैं, उन्हें शोधन करना होगा. साथ ही कहा कि जो करेगा गोमती को साफ, वही करेगा लखनऊ में राज.


राजधानी लखनऊ में करीब 32 नाले सीधे गोमती में प्रवाहित होते हैं. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री ने कहा कि नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा-गोमती कुछ अविरल हुईं हैं, लेकिन इसे राजनीतिक दलों के एजेंडे में शामिल किया जाना बहुत आवश्यक है.

लखनऊ: राजधानी में गोमती आज भी बदहाल नजर आ रही है. गोमती के साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन धरातल पर गोमती अविरल निर्मल नहीं हुई. लोकसभा चुनाव चल रहा है, ऐसे में राजनीतिक दलों के मुद्दे में भी गोमती शामिल नहीं है.

लखनऊ में गोमती का हाल बदहाल.

हर तरफ गोमती नदी बदहाल नजर आ रही है. प्लास्टिक, कूड़ा-करकट सब गोमती की धारा में प्रवाहित हो रहा है. केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना और राज्य सरकार ने गोमती सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन गोमती की धारा अविरल और निर्मल नहीं हो पाई.


शुभ संस्कार समिति के महामंत्री वृद्धि किशोर गौड़ ने कहा कि राजनीतिक दलों के एजेंडे में गोमती नहीं है. गोमती को अविरल निर्मल बनाने के लिए सरकार और प्रशासन को खुले मन से काम करना होगा. गोमती सफाई के नाम पर 3500 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन फिर भी गोमती साफ नहीं की जा सकी है. उन्होंने कहा कि गोमती को राज्य सरकार को अपने एजेंडे में शामिल करना होगा. जो नाले गोमती में सीधे प्रवाहित हो रहे हैं, उन्हें शोधन करना होगा. साथ ही कहा कि जो करेगा गोमती को साफ, वही करेगा लखनऊ में राज.


राजधानी लखनऊ में करीब 32 नाले सीधे गोमती में प्रवाहित होते हैं. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री ने कहा कि नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा-गोमती कुछ अविरल हुईं हैं, लेकिन इसे राजनीतिक दलों के एजेंडे में शामिल किया जाना बहुत आवश्यक है.

Intro:एंकर
लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में गोमती बदहाल नजर आती है, गोमती के साफ-सफाई और अविरल करने के नाम पर करोड़ों रुपए फूंक दिए गए लेकिन धरातल में गोमती अविरल निर्मल नहीं दिखती है। लोकसभा चुनाव चल रहे हैं ऐसे में एक सवाल लोगों के मन में यह भी है राजनीतिक दलों के झंडे में गोमती आखिर क्यों शामिल नहीं है और यह मुद्दा नहीं बन पा रही।



Body:वीओ लखनऊ में गोमती नदी हर तरफ बधाल नजर आती है गोमती में प्लास्टिक कूड़ा करकट सब गोमती की धारा में प्रवाहित होते हुए नजर आता है ऐसे में गोमती कितना साफ सुथरी होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना और राज्य सरकार गोमती सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन गोमती की धारा अविरल और निर्मल नहीं हो पाई।
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शुभ संस्कार समिति के महामंत्री वृद्धि किशोर गौड़ कहते हैं कि राजनीतिक दलों के एजेंडे में गोमती नहीं है गोमती को अविरल निर्मल बनाने के लिए सरकार और प्रशासन को खुले मन से काम करना होगा गोमती सफाई के नाम पर 3500 करोड रुपए खर्च कर दिए गये लेकिन गोमती साफ नही की जा सकी है। लखनऊ की जीवनदायिनी गोमती है और इसके साथ भेदभाव हो रहा है।
गोमती को अविरल निर्मल बनाने में सबसे बड़ी बाधा राजधानी में कूड़ा करकट और प्लास्टिक प्रवाहित करने की भी है इससे गोमती गंदी होती है और यही गोमती को प्रदूषित करता है लेकिन अफसरों की लापरवाही के चलते गोमती स्वच्छ नहीं हो पा रही है गोमती के घाटों पर गंदगी साफ साफ दिखती है।
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ऋद्धि गौड़, महामंत्री शुभ संस्कार समिति।
रिद्धि किशोर गौड कहते हैं कि गोमती को अविरल निर्मल बनाने के लिए राज्य सरकारों को इसे अपने एजेंडे में शामिल करना होगा और उसी के हिसाब से काम करना होगा जो नाले गोमती में सीधे प्रवाहित हो रहे हैं उन्हें शोधन करना होगा और फिर गोमती की सफाई हो पाएगी गोमती को प्रदूषण से बचाने के लिए यह सब किया जाना बहुत आवश्यक है। वह कहते हैं कि उनका नारा है जो करेगा गोमती को साफ वहीं लखनऊ में करेगा राज।
राजधानी लखनऊ में करीब 32 नाले सीधे-सीधे गोमती में प्रवाहित होते हैं इनके शोधन की व्यवस्था तो की गई है लेकिन यह धरातल पर हो नहीं पाता ऐसे में गोमती अविरल निर्मल कैसे होगी यह अपने आप में बड़ा सवाल है गोमती काजल नालों पर गिरने से काला काला नजर आता है।
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राजनीतिक विश्लेषक डॉ दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा गोमती कुछ अविरल हुई है लेकिन इसे राजनीतिक दलों के झंडे में शामिल किया जाना बहुत आवश्यक है वह कहते हैं अगर बीजेपी सरकार फिर बनी तो जरूर उम्मीद होगी गोमती अविरल निर्मल हो पाएगी।



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