लखनऊ : नवगठित पिछड़ा वर्ग आयोग अपनी रिपोर्ट निकाय चुनाव के आरक्षण को लेकर अगले 6 महीने में दे देगा. इसके बाद सरकार इस आरक्षण को हाईकोर्ट के जरिए अनुमोदित कराकर निकाय चुनाव करवाएगी. आयोग के अध्यक्ष राम अवतार सिंह (Commission chairman Ram Avtar Singh) ने इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जिलों में जाकर आरक्षण की स्थिति को परखा जाएगा. इसके बाद में आरक्षण लागू करने के लिए अपनी रिपोर्ट हम सरकार को देंगे.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद निकाय चुनाव के आरक्षण को लेकर सरकार ने पिछड़े वर्ग आयोग का गठन किया है. इसमें अध्यक्ष सहित पांच सदस्य हैं. सरकार ने इस आयोग को 6 महीने के लिए गठित किया है. सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में सरकार ने Special Leave Petition (एसएलपी) दायर कर दी है. इस याचिका के जरिए सरकार चाहती है कि हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत चुनाव कराने के लिए सरकार को समय मिल जाए. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 1 जनवरी के बाद सुनवाई करेगा. सरकार को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से उसको चुनाव कराने के लिए कम से कम 6 महीने का समय अवश्य मिल जाएगा. इसके बाद में वह आरक्षण की व्यवस्था को लागू कर देगी.
आयोग का गठन होने के बाद अध्यक्ष राम अवतार सिंह की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. राम अवतार सिंह ने कहा कि पिछड़े वर्ग का आरक्षण कठिन और चुनौतीपूर्ण काम है. प्रदेश के हर जिले में जाकर सर्वे किया जाएगा. उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश के हर जिले में जाकर डाटा इकट्ठा किया जाएगा. इस पूरे काम में 6 माह का समय लगेगा.
बता दें उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर पिछड़ों के आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट फार्मूला लागू करने की घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाईकोर्ट के निर्णय के बाद मंगलवार की दोपहर की थी. मुख्यमंत्री के आदेश के करीब 24 घंटे बाद ही बुधवार को नगर विकास विभाग की ओर से आयोग के गठन का शासनादेश जारी कर दिया गया था. इस आयोग में अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह व उनके साथ चार अन्य सदस्य बनाए गए हैं. आयोग का कार्यकाल 6 माह का तय किया गया है.
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