लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर तैयारियां तेजी से चल रही हैं. इस क्रम में जहां विगत पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के चुने गए जिला पंचायत अध्यक्ष अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की 65 सीटों पर चुनाव जीतने के मूड में हैं. इसको लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विगत एक सप्ताह पूर्व बैठक भी कर चुके हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी काफी गंभीर है.
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सबसे रोचक स्थिति समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में हैं. आजमगढ़ जनपद में 1995 से जिला पंचायत अध्यक्ष के गठन के बाद से लगातार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है. यही कारण है कि इस बार जब प्रदेश व केंद्र में भाजपा की सरकार है, तो भारतीय जनता पार्टी यह सीट समाजवादी पार्टी के कब्जे से अपने हाथ में लेने को लेकर हर प्रयास करेगी. जिला पंचायत के चुनाव में भले ही भारतीय जनता पार्टी के पास 84 सीटों में से 11 सदस्य ही हैं. पर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर भारतीय जनता पार्टी अपने ही लोगों को बिठाना चाहेगी.
यह है आजमगढ़ सीट की गणित
अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में 84 सीट की गणित की बात की जाए, तो 84 सीटों में से 14 सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी विजयी हुए हैं. जबकि 11 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी समर्थित प्रत्याशी विजयी हुए हैं. 10 सीटों पर बसपा के प्रत्याशी चुनाव जीते हैं जबकि 2 सीट पर भीम आर्मी, एक सीट पर उलेमा काउंसिल, 1 सीट कांग्रेस के कब्जे में आई है, जबकि आम आदमी पार्टी को 1 सीट, अपना दल को एक सीट और ओवैसी की पार्टी को भी एक सीट मिली है. ऐसे में 42 सीटों पर राजनीतिक दलों के समर्थित प्रत्याशी चुनाव जीते हैं.
42 निर्दल प्रत्याशी लिखेंगे जीत का इतिहास
आजमगढ़ जनपद के जिला पंचायत सदस्यों में जिस तरह से 42 सदस्य राजनीतिक दलों के समर्थन से चुनाव जीते हैं, ऐसे में 42 निर्दल सदस्य चुनाव जीते हैं. जिसमें से अधिकतर यादव सदस्य हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी इन यादव सदस्यों के सहारे अपनी नैया पार कराने की जुगत लगाएगी. वहीं भारतीय जनता पार्टी साम-दाम-दंड-भेद के सहारे यह कुर्सी हथियाने का प्रयास करेगी.
आजमगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी का इतिहास
वर्ष 1995 जिला पंचायत के गठन के बाद से ही आजमगढ़ जनपद में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का ही कब्जा रहा है. पर इस बार इस कुर्सी पर भाजपा की नजर है. जहां समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव अपने बेटे विजय यादव को जिताने के लिए पूर्व बाहुबली सांसद रमाकांत यादव पूर्व मंत्री बलराम यादव व समाजवादी पार्टी के विधायकों का सहारा लेगी. वहीं भारतीय जनता पार्टी अपने प्रत्याशी संजय निषाद को चुनाव जिताने के लिए धनबल और बाहुबल के साथ-साथ सत्ता बल का भी सहारा लेगी, ऐसे में 42 निर्दलीय प्रत्याशी इस जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
1995 से अब तक के जिला पंचायत अध्यक्ष
- 1995 रामजन्म यादव समाजवादी पार्टी
- 2000 कामेश्वरी देवी समाजवादी पार्टी
- 2002 मीरा आजाद बसपा
- 2006 हवलदार यादव समाजवादी पार्टी
- 2011 मीरा आजाद
- 2012 मीरा यादव समाजवादी पार्टी
- 2015 मीरा यादव समाजवादी पार्टी
यह है आजमगढ़ का राजनीतिक बैकग्राउंड
आजमगढ़ जनपद में यदि राजनीतिक समीकरण की बात की जाए तो 10 विधानसभा क्षेत्र वाले इस जनपद में 5 सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है, जबकि 4 सीटों पर बहुजन समाज पार्टी काबिज है, वहीं एक सीट भाजपा के पास है. आजमगढ़ जनपद 2 लोकसभा वाला जनपद है. जिसमें आजमगढ़ जनपद से अखिलेश यादव सांसद हैं, जबकि आजमगढ़ की दूसरी लोकसभा लालगंज से बसपा की मीरा आजाद सांसद हैं. राजनीतिक हिस्सेदारी की बात की जाए तो आजमगढ़ जनपद में समाजवादी पार्टी मजबूत स्थिति में है, जबकि भारतीय जनता पार्टी बाहुबल और सत्ता बल के सहारे जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को हथियाना चाहेगी. ऐसे में जहां समाजवादी पार्टी को अपनी कुर्सी बचाने की चिंता है. वहीं भारतीय जनता पार्टी किसी भी कीमत पर इस कुर्सी को हासिल करने का प्रयास करेगी.
इस दिन होगा चुनाव
पूरे प्रदेश में यदि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की बात की जाए तो 26 जून से नामांकन शुरू हो जाएगा. जबकि नामांकन पत्रों की जांच भी 26 को ही हो जाएगी. 29 जून तक नाम वापसी होगी. जबकि 3 जुलाई को सुबह 11 बजे से 3 बजे तक मतदान होगा. 3 बजे के बाद जीते प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी. ऐसे में इस चुनाव में जमकर धनबल बाहुबल और सत्ता बल का प्रयोग खूब होगा.
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बताते चलें कि 1995 से लगातार सपा और बसपा के कब्जे में रही आजमगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी, जहां सपा और बसपा को बचाना एक बड़ी चुनौती होगी. वही केंद्र और प्रदेश में भाजपा सरकार होने के कारण भारतीय जनता पार्टी इस सीट को हर हाल में जीतकर समाजवादी पार्टी को कड़ी टक्कर देना चाहेगी.