हैदराबादः बीते माह समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधायक आजम खां को उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद सीतापुर जेल से रिहा किया गया था. जेल से लौटने के बाद आजम खान कुछ दिन बेहद शांत रहे. मीडिया के तीखे सवालों का उन्होंने सधे हुए अंदाज में जवाब दिया. उनका यह अंदाज उनके पुराने अंदाज से काफी इतर था. न कोई तीखी बयानबाजी, न कोई बड़ा आरोप और न ही विपक्षी पर तंज कसने वाली बयानबाजी दिखी.
लोकसभा उपचुनाव आए तो आजम खान ने रामपुर से अपने करीबी आसिम रजा का नाम आगे बढ़ा दिया. सपा ने भी उन्हें टिकट दे दिया. भाजपा ने जैसे ही कभी उनके करीबी रहे घनश्याम लोधी के नाम का ऐलान किया तो आजम खान को मैदान पर आकर खुद मोर्चा संभालना पड़ा. जनसभाओं में आजम खान ने जेल में बिताए वक्त की यादें साझा करनी शुरू की.
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#WATCH | Samajwadi Party leader Azam Khan's angry response when asked about his party’s loss in the Rampur Lok Sabha by-poll pic.twitter.com/eKaNEIR7q4
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 26, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 26, 2022#WATCH | Samajwadi Party leader Azam Khan's angry response when asked about his party’s loss in the Rampur Lok Sabha by-poll pic.twitter.com/eKaNEIR7q4
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 26, 2022
कभी उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार उन्हें कहीं भी खड़ा करके गोली मार सकती है. उन्होंने कहा था कि मेरे खुदा ने जितनी मेरी जिंदगी दी है, तब तक मैं जिंदा हूं. मुन्ना बजरंगी को मारा गया था, उनके साथियों को भी मारा गया था. हमें इंतजार था, कहीं मुन्ना बजरंगी जैसा अंजाम हमारा भी हो सकता है. आजम खान ने कहा कि वह लोगों को चौकन्ना करने आए हैं.
एक जगह उन्होंने जेल में इंस्पेक्टर द्वारा धमकाए जाने का जिक्र किया था. कहा था कि इंस्पेक्टर ने उन्हें सलाह दी थी कि रामपुर में छुपकर रहिएगा. इसके अलावा वह जेल की काल कोठरी का जिक्र करते भी नजर आए थे. उन्होंने कहा था कि उन्हें उस कोठरी में रखा गया था जहां फांसी देने के लिए बंदियों को रखा जाता था.
इसके अलावा आजम खान ने एक जनसभा में कहा था कि 1942 से 2022 तक सबको जोड़ कर रखा था. कभी हिंदू-मुसलमान को आपस में टकराने नहीं दिया. मुझे मारने का पूरा मंसूबा था लेकिन, कत्ल का इल्जाम लेना नहीं चाहते थे. आजम खान ने कहा था कि मैंने बाबरी मस्जिद की तहरीक चलाई. लेकिन, कभी हिंदू देवी-देवताओं की शान में कोई तौहीन नहीं की. जनसभा के अंत में आजम खान ने हाथ फैलाकर आसिम रजा के लिए वोट भी मांगे थे.
यही नहीं 23 जून को मतदान वाले दिन आजम खान ने बयान दिया था कि भले कितने भी डंडे पड़े लेकिन वोट डालने से पीछे मत हटना. अब जबकि परिणाम सबके सामने हैं तो सवाल सिर्फ एक ही उठ रहा है कि इस बार आजम खान से आखिर ऐसी कौन सी खता हो गई जो ये सजा उनको मिली है? इस सवाल का जवाब आजम खान और सपा को तलाशना होगा.
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