ETV Bharat / state

इंजेक्शन से मिलेगा छुटकारा, आयुर्वेद से होगा 'ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस' का इलाज

'ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस' बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है. अब आयुर्वेद के लेप से इस बीमारी का सफाया होगा. केजीएमयू में चल रहे ट्रायल में इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं.

आयुर्वेद से होगा मुंह के कैंसर का सफाया
आयुर्वेद से होगा मुंह के कैंसर का सफाया
author img

By

Published : Jul 13, 2021, 2:30 PM IST

Updated : Jul 13, 2021, 6:11 PM IST

लखनऊ : गुटखा-धूम्रपान व्यक्ति को कई तरह की बीमारियों की चपेट में ले रहा है. यह बुरी लत सबसे पहले मुंह की लचीली त्वचा को सख्त बना देती है. धीरे-धीरे उस पर सफेद धब्बे- घाव बन जाते हैं. यही नहीं कुछ वक्त में यह कैंसर जैसी बीमारी में तब्दील हो जाती है. 'ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस' नाम से चर्चित इस बीमारी में मरीज को लम्बे वक्त तक स्टेरॉयड के इंजेक्शन लगाए जाते हैं. अब आयुर्वेद के लेप से इस बीमारी का सफाया होगा. केजीएमयू में चल रहे ट्रायल में इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं.

जानकारी देते केजीएमयू के रल एंड मैक्सिलोफेशियल विभाग के प्रो, डॉ. यूएस पाल

केजीएमयू के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल विभाग के डॉ. यूएस पाल के मुताबिक देश में हर वर्ष कैंसर के करीब 14 लाख मरीज आते हैं. इसमें ओरल कैंसर के सबसे ज्यादा रोगी होते हैं. वहीं मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण ओरल सब म्यूकस फाइब्रोसिस है. यह बीमारी गुटखा, धूम्रपान करने वालों में हो रही है. इसमें व्यक्ति के मुंह के अंदर की त्वचा कड़ी हो जाती है. मुंह खुलना कम हो जाता है.

उन्होंने बताया कि इससे मुंह के अंदर त्वचा पर सफेद धब्बे हो जाते हैं. त्वचा पर घाव बन जाते हैं. ऐसी स्थिति में मरीज के मुंह के अंदर स्टेरॉयड इंजेक्शन लगाए जाते हैं. कई महीनों तक मल्टीविटामिन दी जाती हैं. मगर अपेक्षति परिणाम नहीं मिलता है. ऐसे में भारत सरकार को आयुर्वेद दवा पर एक प्रोजेक्ट बनाकर भेजा गया. आयुष विभाग ने तय फार्मूला पर औषधि बनवाई. अब आयुर्वेदिक रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर केजीएमयू ने ओरल सब म्यूकस फाइब्रोसिस पर दवाओं का ट्रायल शुरू किया गया.

इसे भी पढ़ें:- साइंटिस्ट का दावा, चार जुलाई से ही दस्तक दे चुकी है तीसरी लहर

डॉ. यूएस पाल के मुताबिक आयुष विभाग ने तय फार्मूला पर दवा भेजी है. इसमें एक लेप बनाया गया है. इसको खाना खाने के घण्टे भर पहले दिन में दो वक्त लगाया जाता है. वहीं एक दवा पाउडर नुमा है. इस पाउडर को पानी में उबालकर दिन में दो बार कुल्ला करना होता है. सालभर में 70 मरीजों पर चले ट्रायल में सकारात्मक परिणाम मिले. केस बेस्ड स्टडी को केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय को भेजा जाएगा. इसके बाद दवा बाजार में उतारी जाएगी. इस दवा में एसटी मधु, देसी घी, हल्दी जड़ी-बूटी आदि का उपयोग किया गया है.

लखनऊ : गुटखा-धूम्रपान व्यक्ति को कई तरह की बीमारियों की चपेट में ले रहा है. यह बुरी लत सबसे पहले मुंह की लचीली त्वचा को सख्त बना देती है. धीरे-धीरे उस पर सफेद धब्बे- घाव बन जाते हैं. यही नहीं कुछ वक्त में यह कैंसर जैसी बीमारी में तब्दील हो जाती है. 'ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस' नाम से चर्चित इस बीमारी में मरीज को लम्बे वक्त तक स्टेरॉयड के इंजेक्शन लगाए जाते हैं. अब आयुर्वेद के लेप से इस बीमारी का सफाया होगा. केजीएमयू में चल रहे ट्रायल में इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं.

जानकारी देते केजीएमयू के रल एंड मैक्सिलोफेशियल विभाग के प्रो, डॉ. यूएस पाल

केजीएमयू के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल विभाग के डॉ. यूएस पाल के मुताबिक देश में हर वर्ष कैंसर के करीब 14 लाख मरीज आते हैं. इसमें ओरल कैंसर के सबसे ज्यादा रोगी होते हैं. वहीं मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण ओरल सब म्यूकस फाइब्रोसिस है. यह बीमारी गुटखा, धूम्रपान करने वालों में हो रही है. इसमें व्यक्ति के मुंह के अंदर की त्वचा कड़ी हो जाती है. मुंह खुलना कम हो जाता है.

उन्होंने बताया कि इससे मुंह के अंदर त्वचा पर सफेद धब्बे हो जाते हैं. त्वचा पर घाव बन जाते हैं. ऐसी स्थिति में मरीज के मुंह के अंदर स्टेरॉयड इंजेक्शन लगाए जाते हैं. कई महीनों तक मल्टीविटामिन दी जाती हैं. मगर अपेक्षति परिणाम नहीं मिलता है. ऐसे में भारत सरकार को आयुर्वेद दवा पर एक प्रोजेक्ट बनाकर भेजा गया. आयुष विभाग ने तय फार्मूला पर औषधि बनवाई. अब आयुर्वेदिक रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर केजीएमयू ने ओरल सब म्यूकस फाइब्रोसिस पर दवाओं का ट्रायल शुरू किया गया.

इसे भी पढ़ें:- साइंटिस्ट का दावा, चार जुलाई से ही दस्तक दे चुकी है तीसरी लहर

डॉ. यूएस पाल के मुताबिक आयुष विभाग ने तय फार्मूला पर दवा भेजी है. इसमें एक लेप बनाया गया है. इसको खाना खाने के घण्टे भर पहले दिन में दो वक्त लगाया जाता है. वहीं एक दवा पाउडर नुमा है. इस पाउडर को पानी में उबालकर दिन में दो बार कुल्ला करना होता है. सालभर में 70 मरीजों पर चले ट्रायल में सकारात्मक परिणाम मिले. केस बेस्ड स्टडी को केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय को भेजा जाएगा. इसके बाद दवा बाजार में उतारी जाएगी. इस दवा में एसटी मधु, देसी घी, हल्दी जड़ी-बूटी आदि का उपयोग किया गया है.

Last Updated : Jul 13, 2021, 6:11 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.