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लखनऊ: भ्रांतियों को मिटाने के लिए जरूरी है सांपों के प्रति जागरूकता - उत्तर प्रदेश

हर साल 16 जुलाई को विश्व सांप दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष भी सांपों के विशेषज्ञों ने सांपों के प्रति लोगों को जागरूक किया.

सांपों के प्रति दी गई जागरूकता
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Published : Jul 16, 2019, 6:58 PM IST

लखनऊ: हर साल 16 जुलाई को विश्व सांप दिवस के रूप में मनाया जाता है. सपेरे सांप के दांत तोड़कर और उन्हें किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचा कर अपना जीवन यापन करते हैं. इस सिलसिले में अब कुछ 'मॉडर्न सपेरे' भी आ गए हैं. जो सांपों को किसी तरह नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि उनकी रक्षा कर उनको किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाते हैं.

सांप विशेषज्ञ और सांप रेस्क्यूवर ने दी जानकारी.

सांप पर्यावरण के लिए जरूरी क्यों

  • सांपों के विशेषज्ञ कहते हैं कि सांपों के दांत तोड़कर जहर को निकाल दिया जाता है.
  • सपेरों से सांपों को बचाना जरूरी है, इनसे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है.
  • सांप रेस्क्यूवर कहती हैं कि सांप रेस्क्यू करना हमारे पर्यावरण के लिए जरूरी है.
  • सांप हमारे खाद्य श्रृंखला के लिए एक जरूरी जीव है.
  • सांप उन छोटे-मोटे जीवों को खाकर खत्म करते हैं, जिनसे इंसानों में बीमारियों का खतरा बढ़ता है.
  • कई ऐसी दवाइयां सांपों के जहर से बनती हैं, जिनसे बीमारियों का इलाज किया जाता है.
  • यदि सांप ही खत्म होते जाएंगे तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं इसका परिणाम इंसानों को भी भुगतना पड़ेगा.

लखनऊ: हर साल 16 जुलाई को विश्व सांप दिवस के रूप में मनाया जाता है. सपेरे सांप के दांत तोड़कर और उन्हें किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचा कर अपना जीवन यापन करते हैं. इस सिलसिले में अब कुछ 'मॉडर्न सपेरे' भी आ गए हैं. जो सांपों को किसी तरह नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि उनकी रक्षा कर उनको किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाते हैं.

सांप विशेषज्ञ और सांप रेस्क्यूवर ने दी जानकारी.

सांप पर्यावरण के लिए जरूरी क्यों

  • सांपों के विशेषज्ञ कहते हैं कि सांपों के दांत तोड़कर जहर को निकाल दिया जाता है.
  • सपेरों से सांपों को बचाना जरूरी है, इनसे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है.
  • सांप रेस्क्यूवर कहती हैं कि सांप रेस्क्यू करना हमारे पर्यावरण के लिए जरूरी है.
  • सांप हमारे खाद्य श्रृंखला के लिए एक जरूरी जीव है.
  • सांप उन छोटे-मोटे जीवों को खाकर खत्म करते हैं, जिनसे इंसानों में बीमारियों का खतरा बढ़ता है.
  • कई ऐसी दवाइयां सांपों के जहर से बनती हैं, जिनसे बीमारियों का इलाज किया जाता है.
  • यदि सांप ही खत्म होते जाएंगे तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं इसका परिणाम इंसानों को भी भुगतना पड़ेगा.
Intro:लखनऊ। हर साल 16 जुलाई को विश्व सांप दिवस के रूप में मनाया जाता है। अक्सर परंपरागत सपेरे सांप के दांत तोड़ कर या उन्हें किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचा कर अपना जीवन यापन करते हैं। इस सिलसिले में अब कुछ 'मॉडर्न सपेरे' भी आ गए हैं जो सांपों को किसी तरह नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि उनकी रक्षा कर उनको किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाते हैं।


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सांपों के विशेषज्ञ आदित्य तिवारी कहते हैं कि परंपरागत सपेरे अक्सर सांपों के दांत तोड़ कर या उनके जहर को निकालकर लोगों के सामने न चाहते हैं और लोग उन्हें पैसे देते हैं इसके अलावा कुछ बातें ऐसी भी होती है कि 30 दिन तक शाम को रखना है या 21 दिन तक सांपों को रखना है पर असलियत में सांप उसके बाद मर जाता है। ऐसे में परंपरागत सपेरों से सांपों को बचाना बेहद जरूरी है इन से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है।

स्नेक रेस्क्यूवर देवयानी सिंह चौहान कहती है कि स्नेक रेस्क्यू करना हमारे पर्यावरण के लिए एक जरूरी कदम बन गया है क्योंकि सांप हमारे खाद्य श्रंखला के लिए एक जरूरी जीव है। यह छोटे-मोटे जानवरों को खाकर खत्म करते हैं जिनसे इंसानों में बीमारियों और इनफेक्शंस का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा कई ऐसी ड्रग्स और दवाइयां सांपों के जहर से बनती है जिनसे बीमारियों का इलाज किया जाता है। यदि सांप ही खत्म होते जाएंगे तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं हम इंसानों को भी इसका हर्जाना भुगतना पड़ेगा।


Conclusion:सांप विशेषज्ञ और 'मॉडर्न सपेरे' कहे जाने वाले स्नेक रेस्क्यूवर कहते हैं कि समाज में सांपो के प्रति भ्रांतियां काफी तरह की फैली हुई है। इससे सर्पदंश से होने वाली मृत्यु भी काफी अधिक होती है। ऐसे में सांपों को बचाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है इन भ्रांतियों को खत्म करना ताकि सांपों के जीवन को भी बचाया जा सके जिससे मनुष्य का जीवन भी बचा रहे।

बाइट- आदित्य तिवारी, सांप विशेषज्ञ
बाइट- देवयानी सिंह चौहान, स्नेक रेस्क्यूवर

रामांशी मिश्रा
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