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लखनऊ में यौन उत्पीड़न जागरूकता अभियान की शुरूआत - यौन उत्पीड़न जागरूकता अभियान

लखनऊ के विधिक सहायता केंद्र द्वारा यौन उत्पीड़न पर स्टैनफोर्ड पब्लिक स्कूल जानकीपुरम में जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रो. सीपी सिंह और विधिक सहायता केंद्र के अध्यक्ष डॉ. अनुराग कुमार श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

यौन उत्पीड़न को लेकर दी गई जानकारी
यौन उत्पीड़न को लेकर दी गई जानकारी
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Published : Feb 16, 2021, 9:34 AM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के विधिक सहायता केंद्र द्वारा यौन उत्पीड़न (निवारण प्रतिबंध और प्रतिशोध अधिनियम 2013) पर स्टैनफोर्ड पब्लिक स्कूल जानकीपुरम में सोमवार को जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रो. सीपी सिंह और विधिक सहायता केंद्र के अध्यक्ष डॉ. अनुराग कुमार श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत अमन कुमार पांडे ने की.

यौन उत्पीड़न से कैसे बचें महिलाएं

कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बताया गया कि महिला यौन उत्पीड़न से कैसे बचा जा सकता है. विधिक सहायता केंद्र के सदस्य सौरभ राठौर ने शुरुआत में बताया कि विधिक सहायता केंद्र क्या है और महिला उत्पीड़न आज के समय में कैसे हो रहा है. स्कूल की एक अध्यापिका प्रज्ञा ने पूछा कि किस तरीके की गतिविधियां यौन उत्पीड़न के तहत आती हैं ? अध्यापिका के सवालों का जवाब देते हुए सौरभ ने 5 तरह के यौन उत्पीड़न को बताया. वहीं कार्यशाला के दौरान दूसरी वक्ता कृतिका सिंह ने यौन उत्पीड़न अधिनियम के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कार्य स्थान, यौन उत्पीड़न और कर्मचारी की परिभाषा को समझाते हुए लोगों को जागरूक किया.

यौन उत्पीड़न को लेकर दी गई जानकारी

विधिक सहायता केंद्र की सदस्य अर्चिता पांडे और कृतिका सिंह ने गलत और सही तरीके से छूने के चिन्हों को भी बताया. इसके बाद विधिक सहायता केंद्र के सदस्य मनीष तिवारी ने निवारण और प्रतिशोध की प्रक्रिया को विस्तृत रूप से समझाते हुए, लोगों को बताया कि किस तरीके से उनके साथ यौन उत्पीड़न हो सकता हैं. वहीं मनीष तिवारी ने ये भी बताया कि किस तरीके से आन्तरिक शिकायत समिती गठित की जाती है और इसमें कितने सदस्य होंते हैं. साथ ही शिकायत का निवारण करने की क्या प्रक्रिया होती है.

कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोज कुमार ने कहा कि वह अपने यहां आन्तरिक शिकायत समिति को गठित कराएंगे और अगर कोई शिकायत आती है तो उसका निष्पक्ष रुप से निवारण करने का प्रयास करेंगे.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के विधिक सहायता केंद्र द्वारा यौन उत्पीड़न (निवारण प्रतिबंध और प्रतिशोध अधिनियम 2013) पर स्टैनफोर्ड पब्लिक स्कूल जानकीपुरम में सोमवार को जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रो. सीपी सिंह और विधिक सहायता केंद्र के अध्यक्ष डॉ. अनुराग कुमार श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत अमन कुमार पांडे ने की.

यौन उत्पीड़न से कैसे बचें महिलाएं

कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बताया गया कि महिला यौन उत्पीड़न से कैसे बचा जा सकता है. विधिक सहायता केंद्र के सदस्य सौरभ राठौर ने शुरुआत में बताया कि विधिक सहायता केंद्र क्या है और महिला उत्पीड़न आज के समय में कैसे हो रहा है. स्कूल की एक अध्यापिका प्रज्ञा ने पूछा कि किस तरीके की गतिविधियां यौन उत्पीड़न के तहत आती हैं ? अध्यापिका के सवालों का जवाब देते हुए सौरभ ने 5 तरह के यौन उत्पीड़न को बताया. वहीं कार्यशाला के दौरान दूसरी वक्ता कृतिका सिंह ने यौन उत्पीड़न अधिनियम के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कार्य स्थान, यौन उत्पीड़न और कर्मचारी की परिभाषा को समझाते हुए लोगों को जागरूक किया.

यौन उत्पीड़न को लेकर दी गई जानकारी

विधिक सहायता केंद्र की सदस्य अर्चिता पांडे और कृतिका सिंह ने गलत और सही तरीके से छूने के चिन्हों को भी बताया. इसके बाद विधिक सहायता केंद्र के सदस्य मनीष तिवारी ने निवारण और प्रतिशोध की प्रक्रिया को विस्तृत रूप से समझाते हुए, लोगों को बताया कि किस तरीके से उनके साथ यौन उत्पीड़न हो सकता हैं. वहीं मनीष तिवारी ने ये भी बताया कि किस तरीके से आन्तरिक शिकायत समिती गठित की जाती है और इसमें कितने सदस्य होंते हैं. साथ ही शिकायत का निवारण करने की क्या प्रक्रिया होती है.

कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोज कुमार ने कहा कि वह अपने यहां आन्तरिक शिकायत समिति को गठित कराएंगे और अगर कोई शिकायत आती है तो उसका निष्पक्ष रुप से निवारण करने का प्रयास करेंगे.

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