लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के विधिक सहायता केंद्र के द्वारा सिटी पब्लिक स्कूल जानकीपुरम में बुधवार को विद्यालय के छात्र और छात्राओं, शिक्षक और शिक्षिकाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की चेयरपर्सन सपना त्रिपाठी और विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर सीपी सिंह तथा विधिक सहायता केंद्र के अध्यक्ष डॉ. अनुराग कुमार श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में यौन उत्पीड़न निवारण प्रतिबंध और प्रतिषेध अधिनियम 2013 के बारे में जानकारी दी. इस कार्यक्रम में विधिक सहायता केंद्र के सदस्य राजदीप जयसवाल, अनुपम गुप्ता, मनीष तिवारी, अदिति दीक्षित, सौरभ राठौर, यशवर्धन वर्मा, नवदीप कांत, सौरभ कुमार, राघव पाठक के साथ सिटी पब्लिक स्कूल जानकीपुरम के प्रधानाचार्य और शिक्षक, शिक्षिकाएं उपस्थित रहे.
सख्त कानून होने के बाद भी महिलाओं पर हो रहे अत्याचार
कार्यक्रम में अदिति दीक्षित ने कहा कि आधुनिक समय में जब हम 21वीं शताब्दी में अपना जीवन जी रहे हैं, तब भी महिलाओं को कई जगहों पर शारीरिक शोषण का शिकार बनना पड़ रहा है. सख्त कानून होने के बाद भी महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में कोई कमी दिखाई नहीं आई है. समाज को खुद ही इसके खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी होगी. साथ ही महिलाओं को अपने अधिकारों को लेकर जागरूक होना होना पड़ेगा.
बच्चों ने पूछे प्रश्न
इस दौरान अदिति दीक्षित ने बताया कि यदि किसी समूह में लोगों की संख्या 10 से कम है तो वह समूह असंगठित समूह कहलाएगा. वहीं किसी समूह में लोगों की संख्या 10 से अधिक है तो वह एक संगठित समूह कहलाएगा. बच्चों ने कार्यक्रम में अपनी रुचि दिखाते हुए कुछ पूरक प्रश्न भी पूछे. इनमें से विद्यालय की छात्रा रचना गौतम ने अदिति दीक्षित से पूछा कि यदि कोई घूर कर देखता है तो क्या मैं इसकी शिकायत कर सकती हूं. उन्होंने बताया कि यदि आप असहज महसूस करें तो आप इसकी शिकायत कर सकती हैं. वहीं उन्होंने छात्राओं की शिक्षा और सुरक्षा पर भी विशेष रूप से ध्यान देने के लिए विद्यालय प्रशासन से आग्रह किया.
किसी भी तरह की जबरदस्ती पर महिलाएं दर्ज करा सकती हैं रिपोर्ट
इसके उपरांत कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए अनुपम गुप्ता ने वर्कप्लेस के बारे में बताया कि अगर किसी फार्म, हॉस्पिटल, स्कूल, कंपनी, होटल आदि किसी जगह पर कार्य कर रही महिला के साथ किसी भी प्रकार का शोषण होता है तो वह उसके समाधान के लिए आईसीसी के पास सहायता हेतु जा सकती हैं. इसमें वह गलत तरीके से घूरने, छूने के संबंध में या फिर अवैध शारीरिक संबंध बनाने के बारे में दबाव डालने पर शिकायत दर्ज करा सकती हैं.
शिकायत समिति में महिलाओं की 50% भागीदारी आवश्यक
वहीं कार्यक्रम की अगली कड़ी में मनीष तिवारी ने बताया कि यदि आप किसी संस्था में कार्यरत है तो उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करें. इसके लिए उस संस्था को पहले से ही एक अच्छी नीति बनानी चाहिए. संस्था को चाहिए कि वह समय-समय पर मीटिंग बुलाकर अपने लोगों को इस संदर्भ में जागरूक करें. उन्होंने बताया की आंतरिक शिकायत समिति में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत होनी आवश्यक है. ठीक इसी प्रकार एलसीसी में भी महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए.
शिकायत दर्ज कराने वाली महिलाओं का नाम गोपनीय रखा जाता है
मनीष तिवारी ने बताया यदि कोई महिला शारीरिक शोषण के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराती है तो उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा. वहीं जांच करने वाली समिति उसके साथ किसी भी प्रकार का अनावश्यक दबाव नहीं डालेगी. साथ ही जांच करने वाली समिति रूढ़िवादी विचारों से दूर रहेगी. उन्होंने बताया कि आईसीसी या फिर एलसीसी यदि आपकी शिकायत किसी लोभ या फिर किसी दबाव में आकर स्वीकार नहीं करती है, तो आप कोर्ट के पास सहायता हेतु जा सकते हैं. वहीं विद्यालय की शिक्षिका वंदना ने पूछा की आईसीसी में महिलाओं की अधिकतम संख्या कितनी हो सकती है. जिस पर उन्होंने बताया कि आईसीसी में महिलाओं की संख्या की कोई निश्चित सीमा नहीं है.