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किराया कम होने से ऑटो चालकों पर बनी आफत, यूपी में पहले से ही कम है दर

राजधानी लखनऊ में ऑटो रिक्शा का किराया बेहद कम होने से चालकों को काफी परेशानी हो रही है. लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ ने परिवहन विभाग को ऑटो रिक्शा का किराया बढ़ाने के संबंध में प्रस्ताव सौंपा है.

लखनऊ परिवहन विभाग.
रिक्शा चालकों ने की मांग.
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Published : Aug 1, 2020, 9:25 AM IST

Updated : Aug 1, 2020, 7:40 PM IST

लखनऊ: देश के सभी राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में ऑटो का किराया आधे से भी कम है, जबकि सीएनजी की दर यहां पर काफी ज्यादा है. अब ऑटो यूनियन की तरफ से लगातार परिवहन विभाग से ऑटो के किराए की बढ़ोतरी की मांग की जा रही है. फिलहाल अभी ऑटो से सफर करना यात्रियों को अन्य परिवहन साधनों की तुलना में सस्ता पड़ रहा है.

ऑटो रिक्शा चालकों ने की मांग.

प्रदेश में सीएनजी महंगी
राजधानी लखनऊ में देश के किसी भी राज्य से ऑटो रिक्शा का किराया बेहद कम है, जबकि ईंधन काफी महंगा है. लगातार ऑटो चालक परिवहन विभाग के सामने अपनी समस्या उठा रहे हैं. 2014 से ही लगातार मांग की जा रही है कि ऑटो के किराए में इजाफा किया जाए, लेकिन परिवहन विभाग ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया. अब लॉकडाउन में ऑटो संचालकों की हालत बेहद खस्ता हो गई है.

हालांकि कम किराए का फायदा सीधे तौर पर यात्रियों को मिल रहा है. हर तरफ महंगाई है, लेकिन ऑटो का सफर करना अभी भी यात्रियों के लिए काफी सस्ता है. सस्ते दर पर ऑटो से सफर करना यात्रियों के लिए राहत की बात है, लेकिन ऑटो चालकों के लिए किसी आफत से कम नहीं है.

प्रदेश में 1 किलोमीटर के लिए यात्रियों को 6.39 पैसे की दर से भुगतान करना पड़ता है. वहीं अगले 500 मीटर या उससे अधिक के लिए 3.95 पैसे का भुगतान होता है. यहीं पर अगर सीएनजी के दामों की बात की जाए तो इस समय सीएनजी की दर 63 रुपये से भी ऊपर है. ऐसे में ऑटो चालकों का सीएनजी का खर्च भी निकल पाना मुश्किल हो रहा है.

लखनऊ परिवहन विभाग.
परिवहन विभाग को सौंपा प्रस्ताव.

अन्य राज्यों में ऑटो रिक्शा का किराया ज्यादा
जयपुर में ऑटो रिक्शा के पहले किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 15 रुपये और उसके बाद 1 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 10 रुपये किराया है. इंदौर में पहले किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 14 रुपये और इसके बाद 1 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 12 रुपये किराया है.

भुवनेश्वर में ऑटो रिक्शा का पहले 2 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 30 रुपये और उसके बाद 1 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 10 रुपये किराया है. इसी तरह कोलकाता में भी पहले डेढ़ किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 20 रुपये किराया और उसके बाद 100 मीटर या उसके अन्य भाग के लिए 1.10 पैसे हैं.

इन सभी महानगरों में रात का किराया निर्धारित किराये के अतिरिक्त 25 प्रतिशत अधिक है. वेटिंग चार्ज 60 रुपये प्रति घंटा है. वर्तमान में लखनऊ महानगर में ऐप आधारित बाइक सेवा का किराया भी पहले किलोमीटर के लिए 8 रुपये निर्धारित है, यानी कि लखनऊ में कैब भी ऑटो से महंगी है.

यूनियन का किराया बढ़ोतरी प्रस्ताव
लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ ने परिवहन विभाग को पहले 2 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए रुपये 25 और उसके बाद 1 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 12 रुपये किराया रखने का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा रात का किराया निर्धारित किराये के अतिरिक्त 15 प्रतिशत और वेटिंग चार्ज 2 रुपये प्रति मिनट करने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि अभी तक परिवहन विभाग की तरफ से किराया बढ़ोतरी के संबंध में कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है.

यूनियन की तरफ से परिवहन विभाग को किराया बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव सौंपा गया है. यूपी में ऑटो किराया सबसे सस्ता है, जबकि यहां पर सीएनजी काफी महंगी है. लगातार परिवहन विभाग से ऑटो का किराया बढ़ाने का अनुरोध किया जा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. ऑटो चालकों का खर्च भी नहीं निकल रहा है.

लखनऊ: देश के सभी राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में ऑटो का किराया आधे से भी कम है, जबकि सीएनजी की दर यहां पर काफी ज्यादा है. अब ऑटो यूनियन की तरफ से लगातार परिवहन विभाग से ऑटो के किराए की बढ़ोतरी की मांग की जा रही है. फिलहाल अभी ऑटो से सफर करना यात्रियों को अन्य परिवहन साधनों की तुलना में सस्ता पड़ रहा है.

ऑटो रिक्शा चालकों ने की मांग.

प्रदेश में सीएनजी महंगी
राजधानी लखनऊ में देश के किसी भी राज्य से ऑटो रिक्शा का किराया बेहद कम है, जबकि ईंधन काफी महंगा है. लगातार ऑटो चालक परिवहन विभाग के सामने अपनी समस्या उठा रहे हैं. 2014 से ही लगातार मांग की जा रही है कि ऑटो के किराए में इजाफा किया जाए, लेकिन परिवहन विभाग ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया. अब लॉकडाउन में ऑटो संचालकों की हालत बेहद खस्ता हो गई है.

हालांकि कम किराए का फायदा सीधे तौर पर यात्रियों को मिल रहा है. हर तरफ महंगाई है, लेकिन ऑटो का सफर करना अभी भी यात्रियों के लिए काफी सस्ता है. सस्ते दर पर ऑटो से सफर करना यात्रियों के लिए राहत की बात है, लेकिन ऑटो चालकों के लिए किसी आफत से कम नहीं है.

प्रदेश में 1 किलोमीटर के लिए यात्रियों को 6.39 पैसे की दर से भुगतान करना पड़ता है. वहीं अगले 500 मीटर या उससे अधिक के लिए 3.95 पैसे का भुगतान होता है. यहीं पर अगर सीएनजी के दामों की बात की जाए तो इस समय सीएनजी की दर 63 रुपये से भी ऊपर है. ऐसे में ऑटो चालकों का सीएनजी का खर्च भी निकल पाना मुश्किल हो रहा है.

लखनऊ परिवहन विभाग.
परिवहन विभाग को सौंपा प्रस्ताव.

अन्य राज्यों में ऑटो रिक्शा का किराया ज्यादा
जयपुर में ऑटो रिक्शा के पहले किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 15 रुपये और उसके बाद 1 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 10 रुपये किराया है. इंदौर में पहले किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 14 रुपये और इसके बाद 1 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 12 रुपये किराया है.

भुवनेश्वर में ऑटो रिक्शा का पहले 2 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 30 रुपये और उसके बाद 1 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 10 रुपये किराया है. इसी तरह कोलकाता में भी पहले डेढ़ किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 20 रुपये किराया और उसके बाद 100 मीटर या उसके अन्य भाग के लिए 1.10 पैसे हैं.

इन सभी महानगरों में रात का किराया निर्धारित किराये के अतिरिक्त 25 प्रतिशत अधिक है. वेटिंग चार्ज 60 रुपये प्रति घंटा है. वर्तमान में लखनऊ महानगर में ऐप आधारित बाइक सेवा का किराया भी पहले किलोमीटर के लिए 8 रुपये निर्धारित है, यानी कि लखनऊ में कैब भी ऑटो से महंगी है.

यूनियन का किराया बढ़ोतरी प्रस्ताव
लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ ने परिवहन विभाग को पहले 2 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए रुपये 25 और उसके बाद 1 किलोमीटर या उसके अन्य भाग के लिए 12 रुपये किराया रखने का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा रात का किराया निर्धारित किराये के अतिरिक्त 15 प्रतिशत और वेटिंग चार्ज 2 रुपये प्रति मिनट करने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि अभी तक परिवहन विभाग की तरफ से किराया बढ़ोतरी के संबंध में कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है.

यूनियन की तरफ से परिवहन विभाग को किराया बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव सौंपा गया है. यूपी में ऑटो किराया सबसे सस्ता है, जबकि यहां पर सीएनजी काफी महंगी है. लगातार परिवहन विभाग से ऑटो का किराया बढ़ाने का अनुरोध किया जा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. ऑटो चालकों का खर्च भी नहीं निकल रहा है.

Last Updated : Aug 1, 2020, 7:40 PM IST
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