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लखनऊ: प्राचीन शीतला माता मंदिर में लगा आठों का मेला, श्रद्धालुओं का लगा तांता

राजधानी लखनऊ के टिकैत राय तालाब के पास शीतला देवी माता का ऐतिहासिक मंदिर है. हर वर्ष यहां आठों का बड़ा मेला लगता है. मंगलवार को जहां इस मेले में काफी भीड़ नजर आई, वहीं मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किया.

लखनऊ: प्राचीन शीतला माता मंदिर में लगा आठों का मेला
लखनऊ: प्राचीन शीतला माता मंदिर में लगा आठों का मेला
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Published : Mar 17, 2020, 3:27 PM IST

लखनऊ: राजधानी के टिकैत राय तालाब स्थित शीतला देवी माता का ऐतिहासिक मंदिर है. जहां हर साल आठों का बड़ा मेला लगता है. इस साल भी मेले में काफी भीड़ नजर आई. साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने माता का दर्शन किया.

कहा जाता है, कि भगवान श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ के दौरान लव ने मंदिर की स्थापना की थी. मंदिर परिसर में घोड़ा पकड़े हुए प्राचीन मूर्तियां भी लगी हैं. मंदिर के पास गोमती नदी का रास्ता भी था. 1775 में नवाब आसिफुद्दौला के दीवान राजा टिकैत ने शीतला देवी मंदिर का जीर्णोद्धार करके नवाबी काल की कला का उत्कृष्ट नमूना पेश किया है.

शीतला माता मंदिर में अष्टमी के दिन महिलाएं हलवा पूड़ी गुलगुला, पुआ, बसेड़ा का भोग लगाती हैं. स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए मां को बसेड़ा चढ़ाने के बाद बासी भोजन न करने का संकल्प लिया जाता है. होली के बाद आठवें दिन यह मेला लगता है. यह मेला पुरखों के समय से चला आ रहा है. शीतला माता के मंदिर में त्रिदेव, शेषनाग और माता सीता स्वयं 7 देवियों के रूप में स्थित हैं.

इसे भी पढ़ें: कोरोना को लेकर सीतापुर जेल प्रशासन सतर्क, आजम से मिलने पहुंचे सपा नेताओं के धुलवाए हाथ

लखनऊ: राजधानी के टिकैत राय तालाब स्थित शीतला देवी माता का ऐतिहासिक मंदिर है. जहां हर साल आठों का बड़ा मेला लगता है. इस साल भी मेले में काफी भीड़ नजर आई. साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने माता का दर्शन किया.

कहा जाता है, कि भगवान श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ के दौरान लव ने मंदिर की स्थापना की थी. मंदिर परिसर में घोड़ा पकड़े हुए प्राचीन मूर्तियां भी लगी हैं. मंदिर के पास गोमती नदी का रास्ता भी था. 1775 में नवाब आसिफुद्दौला के दीवान राजा टिकैत ने शीतला देवी मंदिर का जीर्णोद्धार करके नवाबी काल की कला का उत्कृष्ट नमूना पेश किया है.

शीतला माता मंदिर में अष्टमी के दिन महिलाएं हलवा पूड़ी गुलगुला, पुआ, बसेड़ा का भोग लगाती हैं. स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए मां को बसेड़ा चढ़ाने के बाद बासी भोजन न करने का संकल्प लिया जाता है. होली के बाद आठवें दिन यह मेला लगता है. यह मेला पुरखों के समय से चला आ रहा है. शीतला माता के मंदिर में त्रिदेव, शेषनाग और माता सीता स्वयं 7 देवियों के रूप में स्थित हैं.

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