लखनऊ : संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित भारतीय सांख्यकीय सेवा (आईएसएस) में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों ने अपना दबदबा बनाए रखा है. इसमें लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र अस्तित्व रंजन श्रीवास्तव ने देश में पहली रैंक हासिल की है, जबकि हर्षा चड्ढा ने 11वीं रैंक प्राप्त की है.
देश में पहली रैंक हासिल करने वाले अस्तित्व रंजन श्रीवास्तव ने बताया कि तीसरी बार में मेरा चयन हुआ है. दोस्तों ने चयनित होने की सूचना दी. मुझे उम्मीद नहीं थी देश में पहली रैंक आ जाएगी. चयन हो जाने का विश्वास जरूर था. दिल्ली में शोध कर रहीं बड़ी बहन स्तुति श्रीवास्तव ने इस क्षेत्र में तैयारी करने के लिए प्रेरित किया. इनके पिता अजय कुमार श्रीवास्तव शिक्षक और मां प्रेमलता श्रीवास्तव गृहिणी हैं. उन्होंने बताया कि इससे पहले दो बार लिखित परीक्षा पास कर चुके हैं, लेकिन चयन नहीं हो पाया था. इस बार न केवल चयन हुआ, बल्कि पहली रैंक भी अर्जित की. इन्होंने गोंडा से 92.2 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास की थी. उसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से 2018 में बीएससी (गणित, सांख्यिकी) से किया. चार गोल्ड मेडल भी हासिल किए. इसमें गणित में सर्वाधिक अंकों के लिए दो गोल्ड और दो गोल्ड बीएससी में टॉप करने के लिए मिले. उन्होंने विश्वविद्यालय के लाल बहादुर शास्त्री और हबीबुल्लाह हाॅस्टल में रहकर पढ़ाई की. 2020 में बीएचयू से एमएससी किया, फिर एक वर्ष का ब्रेक लेकर तैयारी की. इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में ग्रेड बी-आफीसर्स के लिए परीक्षा दी और चयन हो गया, लेकिन ज्वाइन न करके आईएसएस के लिए जून में लिखित परीक्षा दी और 19 दिसंबर को साक्षात्कार दिया था और सफलता हासिल की.
शिक्षकों के सहयोग व प्रेरणा से लिया निर्णय : देश में 11वीं रैंक हासिल करने वाली हर्षा चड्ढा ने बताया कि वह लखनऊ की रहने वाली हैं. उन्होंने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की है. इसके पूर्व उन्होंने लिखित परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन चयन नहीं हो पाया था. इनके पिता धीरज प्रकाश चड्ढा बिजनेसमैन और मां सुचित्रा चड्ढा शिक्षिका हैं. उन्होंने वर्ष 2014 में यूपी बोर्ड से 12वीं में 95.4 प्रतिशत अंकों के साथ 10 स्थान हासिल किया है. वर्ष 2017 में नवयुग कन्या महाविद्यालय से बीएससी में 76 प्रतिशत अंक प्राप्त किया और लखनऊ विश्वविद्यालय में एमएससी 2019 में 80 प्रतिशत अंक अर्जित कर विभाग में टॉप किया. उन्होंने बताया कि बीएससी और एमएससी के दौरान शिक्षकों के सहयोग और प्रेरणा से आईएसएस करने का निर्णय लिया था.
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