ETV Bharat / state

69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में नियुक्ति से ज्यादा अड़चनें हुईं, जानिए क्यों लग रहे आरोप

उत्तर प्रदेश सरकार 69 हजार सहायक अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरत पाई है. यही कारण है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद 6800 शिक्षक आंदोलनरत हैं. सरकार पर आरक्षित और अनारक्षित श्रेणी के निर्धारण में अनियमितता के आरोप लग रहे हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Mar 28, 2023, 7:36 PM IST

लखनऊ : 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही विवादों में गिरती चली गई. सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 के आयोजन के बाद से ही इस पूरी भर्ती परीक्षा में आरक्षण के संबंध में अत्यधिक अनियमितता की शिकायतें आने लगी थी. जिसके परिणाम स्वरूप हजारों परीक्षा वर्ग अभ्यर्थियों ने आरक्षण के लाभ पाने से वंचित होने का आरोप लगाना शुरू कर दिया था. इसके बात पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों में हाई कोर्ट द्वारा 29 अगस्त 2019 शिखा सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के रिट के अनुपालन में पारित आदेश मैं कहा था कि इस भर्ती प्रक्रिया में एनआरसी लागू करने में घोर अनियमितता बढ़ती गई है.


उत्तर प्रदेश सरकार ने एक दिसंबर 2018 को 69 हजार सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी किया था. इसके बाद सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 6 जनवरी 2019 को आयोजित किया गया. जिसका परिणाम 12 मई 2020 को घोषित किया गया. एटीआरई के परिणाम और गुणवत्ता के अंक के निष्कर्ष के बाद वेबसाइट पर राज्य द्वारा अंतिम सूची एक जून 2020 को प्रकाशित की गई. शिक्षक अभ्यर्थी प्रदीप बघेल ने बताया कि इस पूरे मामले की शिकायत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी किया गया था जहां पर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना था की इस भर्ती प्रक्रिया में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में भारी अनियमितता बरती गई है. उसी का खामियाजा आज 6800 शिक्षकों को उठाना पड़ रहा है.

अभ्यर्थी प्रदीप बघेल ने बताया कि पिछड़ा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि सरकार की ओर से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का जो नियम निर्धारित किया है. वह गलत है आयोग की रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि आरक्षण का नियम यह निर्धारित करता है कि यदि आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिता में सामान्य उम्मीदवारों के साथ चुना जाता है, तो उस स्थिति में उसे आरक्षित रिक्तियों की ओर समायोजित नहीं किया जाएगा अर्थात उसे अनारक्षित की ओर समायोजित किया जाएगा. रिक्त पद भले ही उसके पास आरक्षित श्रेणी की उम्मीदवारी हो इसलिए इस सिद्धांत के अनुसार यदि आरक्षित श्रेणी का कोई उम्मीदवार अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवार के लिए कट-ऑफ अंक प्राप्त करता है तो उसकी उम्मीदवारी को अनारक्षित श्रेणी में माना जाएगा और परिणामी रिक्ति के परिणामस्वरूप आरक्षित वर्ग में परिणाम रिक्ति का उपयोग अन्य आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार द्वारा किया जाएगा. हालांकि वर्तमान चयन में आरक्षित उम्मीदवारों को अनारक्षित श्रेणी में रखा जा रहा है, लेकिन इस तरह से उत्पन्न समस्त रिक्ति का लाभ आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को नहीं मिल रहा है, जिससे आरक्षण के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है.

पहले ओबीसी उम्मीदवारों की संख्या 19805 बताई बाद में 13007 बताई : उन्होंने बताया कि आयोग ने माना है कि अनारक्षित उम्मीदवारों के लिए निर्धारित कुल पदों में से यानी 34589 पदों में से विभाग द्वारा तैयार अंतिम सूची में क्रमांक 1 से 34589 तक कुल सामान्य उम्मीदवारों की संख्या 19805 बताई गई है. जबकि जारी सूची के क्रमांक 1 से 34589 तक अनारक्षित श्रेणी में चयनित होने वाले ओबीसी उम्मीदवारों की कुल संख्या 13007 बताई गई है.

वास्तव में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार उच्चतम गुणांक के आधार पर क्रमांक नंबर 1 से 34589 तक चुने गए कुल सामान्य उम्मीदवारों में 12962 उम्मीदवार हैं और ओबीसी उम्मीदवारों की कुल संख्या जिन्हें अनारक्षित श्रेणी की मेरिट सूची में दिखाया गया है, 18851 उम्मीदवार हैं. इसलिए 5844 ओबीसी उम्मीदवारों का अंतर है. जिन्हें मेरिट सूची में दिखाया जा सकता था, लेकिन यह नहीं दिखाया गया है. अनारक्षित उम्मीदवारों की सूची में आरक्षित उम्मीदवारों के ओवरलैपिंग को विभाग द्वारा गलत तरीके से लागू किया गया है. इसी तरह उत्तर प्रदेश के समस्त जिला स्तर से व शासन से विस्तृत सूची प्राप्त की गई है. सूची में क्रमांक 34590 से 67867 तक चयनित ओबीसी उम्मीदवारों की कुल संख्या 18598 है. हालांकि वास्तव में प्राप्त आंकड़ों में उच्चतम गुणांक के आधार पर क्रमांक नंबर 34590 से 67867 तक केवल 12754 ओबीसी उम्मीदवार हैं. उसी समय क्रमांक नंबर 34590 से 67867 तक चुने गए सामान्य उम्मीदवारों की कुल संख्या 6843 है जो दर्शाती है कि सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीटों पर समायोजित किया गया है. चयन का बहुत आधार राज्य के अधिकारियों को स्पष्ट नहीं है. चयन की इकाई राज्य है या जिला अपने आप में संदिग्ध है.

यह भी पढ़ें : सियासत में फंस गई शहर की बेहतरीन सौगात, बियाबान हो रहा 860 करोड़ रुपये से बना जेपी सेंटर

लखनऊ : 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही विवादों में गिरती चली गई. सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 के आयोजन के बाद से ही इस पूरी भर्ती परीक्षा में आरक्षण के संबंध में अत्यधिक अनियमितता की शिकायतें आने लगी थी. जिसके परिणाम स्वरूप हजारों परीक्षा वर्ग अभ्यर्थियों ने आरक्षण के लाभ पाने से वंचित होने का आरोप लगाना शुरू कर दिया था. इसके बात पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों में हाई कोर्ट द्वारा 29 अगस्त 2019 शिखा सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के रिट के अनुपालन में पारित आदेश मैं कहा था कि इस भर्ती प्रक्रिया में एनआरसी लागू करने में घोर अनियमितता बढ़ती गई है.


उत्तर प्रदेश सरकार ने एक दिसंबर 2018 को 69 हजार सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी किया था. इसके बाद सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 6 जनवरी 2019 को आयोजित किया गया. जिसका परिणाम 12 मई 2020 को घोषित किया गया. एटीआरई के परिणाम और गुणवत्ता के अंक के निष्कर्ष के बाद वेबसाइट पर राज्य द्वारा अंतिम सूची एक जून 2020 को प्रकाशित की गई. शिक्षक अभ्यर्थी प्रदीप बघेल ने बताया कि इस पूरे मामले की शिकायत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी किया गया था जहां पर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना था की इस भर्ती प्रक्रिया में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में भारी अनियमितता बरती गई है. उसी का खामियाजा आज 6800 शिक्षकों को उठाना पड़ रहा है.

अभ्यर्थी प्रदीप बघेल ने बताया कि पिछड़ा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि सरकार की ओर से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का जो नियम निर्धारित किया है. वह गलत है आयोग की रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि आरक्षण का नियम यह निर्धारित करता है कि यदि आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिता में सामान्य उम्मीदवारों के साथ चुना जाता है, तो उस स्थिति में उसे आरक्षित रिक्तियों की ओर समायोजित नहीं किया जाएगा अर्थात उसे अनारक्षित की ओर समायोजित किया जाएगा. रिक्त पद भले ही उसके पास आरक्षित श्रेणी की उम्मीदवारी हो इसलिए इस सिद्धांत के अनुसार यदि आरक्षित श्रेणी का कोई उम्मीदवार अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवार के लिए कट-ऑफ अंक प्राप्त करता है तो उसकी उम्मीदवारी को अनारक्षित श्रेणी में माना जाएगा और परिणामी रिक्ति के परिणामस्वरूप आरक्षित वर्ग में परिणाम रिक्ति का उपयोग अन्य आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार द्वारा किया जाएगा. हालांकि वर्तमान चयन में आरक्षित उम्मीदवारों को अनारक्षित श्रेणी में रखा जा रहा है, लेकिन इस तरह से उत्पन्न समस्त रिक्ति का लाभ आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को नहीं मिल रहा है, जिससे आरक्षण के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है.

पहले ओबीसी उम्मीदवारों की संख्या 19805 बताई बाद में 13007 बताई : उन्होंने बताया कि आयोग ने माना है कि अनारक्षित उम्मीदवारों के लिए निर्धारित कुल पदों में से यानी 34589 पदों में से विभाग द्वारा तैयार अंतिम सूची में क्रमांक 1 से 34589 तक कुल सामान्य उम्मीदवारों की संख्या 19805 बताई गई है. जबकि जारी सूची के क्रमांक 1 से 34589 तक अनारक्षित श्रेणी में चयनित होने वाले ओबीसी उम्मीदवारों की कुल संख्या 13007 बताई गई है.

वास्तव में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार उच्चतम गुणांक के आधार पर क्रमांक नंबर 1 से 34589 तक चुने गए कुल सामान्य उम्मीदवारों में 12962 उम्मीदवार हैं और ओबीसी उम्मीदवारों की कुल संख्या जिन्हें अनारक्षित श्रेणी की मेरिट सूची में दिखाया गया है, 18851 उम्मीदवार हैं. इसलिए 5844 ओबीसी उम्मीदवारों का अंतर है. जिन्हें मेरिट सूची में दिखाया जा सकता था, लेकिन यह नहीं दिखाया गया है. अनारक्षित उम्मीदवारों की सूची में आरक्षित उम्मीदवारों के ओवरलैपिंग को विभाग द्वारा गलत तरीके से लागू किया गया है. इसी तरह उत्तर प्रदेश के समस्त जिला स्तर से व शासन से विस्तृत सूची प्राप्त की गई है. सूची में क्रमांक 34590 से 67867 तक चयनित ओबीसी उम्मीदवारों की कुल संख्या 18598 है. हालांकि वास्तव में प्राप्त आंकड़ों में उच्चतम गुणांक के आधार पर क्रमांक नंबर 34590 से 67867 तक केवल 12754 ओबीसी उम्मीदवार हैं. उसी समय क्रमांक नंबर 34590 से 67867 तक चुने गए सामान्य उम्मीदवारों की कुल संख्या 6843 है जो दर्शाती है कि सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीटों पर समायोजित किया गया है. चयन का बहुत आधार राज्य के अधिकारियों को स्पष्ट नहीं है. चयन की इकाई राज्य है या जिला अपने आप में संदिग्ध है.

यह भी पढ़ें : सियासत में फंस गई शहर की बेहतरीन सौगात, बियाबान हो रहा 860 करोड़ रुपये से बना जेपी सेंटर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.