लखनऊ: यूपी की योगी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट 22 फरवरी को पेश किया जाएगा. उत्तर प्रदेश जनसंख्या के मामले में देश के सबसे बड़े राज्यों में है. कोरोना काल के मद्देनजर बजट में स्वास्थ्य के मुद्दे पर अहम कदम उठाने की जरूरत होगी. सरकार के लिए लोगों का स्वास्थ्य ही पहली प्राथमिकता है. कोरोना वैक्सीन हर वर्ग के लोगों तक पास पहुंचे. उसका भंडारण से लेकर पहुंचाने तक की व्यवस्था हो. इसकी झलक आपको 22 फरवरी को आने वाले प्रदेश सरकार के बजट में भी नजर आएगी. उम्मीद है कि सरकार इसको पिछले वर्षों के मुकाबले काफी महत्व देगी.
रोजगार के अवसर पैदा करना भी होगी प्राथमिकता
स्वास्थ्य के बाद नंबर आता है रोजगार का. कोरोना काल में लोगों की नौकरियां गई हैं. हजारों लोग बेरोजगार हुए हैं. इस स्थिति को संभालने के लिए सरकार की ओर से भी पहले से कदम उठाए जा रहे हैं. सेवायोजन कार्यालयों से लेकर श्रम विभाग और विश्वविद्यालयों से लेकर प्रशिक्षण संस्थाओं तक रोजगार के अवसर तैयार किए जा रहे हैं. यह बजट सरकार के लिए सबसे बेहतरीन अवसर होगा, जहां वो रोजगार के मुद्दे पर मजबूती से खड़ी नजर आएगी. इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिलेगी.
उद्योगों को बढ़ावा देने पर रहेगी नजर
लोगों को रोजगार देने के लिए बड़े-बड़े उद्योगों को प्रदेश में बुलाना होगा. यह तभी संभव है जब उन्हें यहां सुविधाएं मिलेंगी. सड़क, बिजली, जमीन, पानी और सुरक्षा यह अहम मुद्दे होते हैं. इनको देखने के बाद ही उद्योग आते हैं. प्रदेश में पहले ही एक्सप्रेस-वे का जाल बिछाया जा रहा है. आने वाले समय में पूर्वांचल और बुंदेलखंड के दूर-दराज के इलाके भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे. मौजूदा आर्थिक हालातों के मद्देनजर इसे रफ्तार देने की जरूरत है. बुंदेलखंड जैसे इलाकों में जमीनों की कमी नहीं है. ऐसे इलाकों को विशेष पैकेज की मदद से तैयार कर उद्योंगों का आकर्षित किया जा सकता है. इससे न केवल इन जैसे इलाकों से बड़े शहरों की ओर होने वाले लोगों का0 पलायन रुकेगा बल्कि युवाओं के लिए रोजगार की समस्याएं भी दूर होंगी. स्थानीय और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
छोटे उद्योगों के लिए भी करना होगा काम
इन सबके साथ सरकार को छोटे उद्योगों को पनपने के लिए भी माहौल तैयार करना होगा. अभी एक जिला एक उत्पाद के माध्यम से इस दिशा में सकारात्मक पहल की गई है. इसे अब गांव गांव तक पहुंचाने की जरूरत है. इस योजना के तहत गांव-गांव में बेरोजगार घूम रहे युवकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ा जाए. पहले प्रशिक्षण दें और दूसरे चरण में स्वरोजगार के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराएं. इससे न केवल वह अपनी जरूरतों को पूरा कर सकेंगे, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगे.
शिक्षा क्षेत्र में लाना होगा परिवर्तन
स्वास्थ्य, रोजगार के बाद तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा शिक्षा है. केंद्र सरकार की ओर से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति घोषित कर दी गई है. अब इसे प्रभावी ढंग से प्रदेश में लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. इस को ध्यान में रखते हुए बजट में विशेष व्यवस्था होनी चाहिए. प्रदेश में शिक्षा के लिए अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए. सरकारी स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालय तक संसाधनों को विकसित किया जाए. इसके साथ ही, पठन-पाठन में सुधार के लिए टीचर्स ट्रेनिंग पर भी जोड़ देने की जरूरत पड़ेगी. 12वीं की पढ़ाई के बाद छात्र उच्च शिक्षा के लिए छात्र बड़ी संख्या में दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों की ओर पलायन करते हैं. हमारे यहां संस्थानों की कमी नहीं है, लेकिन समस्या सिर्फ गुणवत्ता की है. नई शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग लागू करते हुए स्थानीय संस्थाओं को मजबूत बनाने की जरूरत है, ताकि बच्चे को अपने घर के पास ही अच्छी शिक्षा का विकल्प मिल सके.
कोरोना काल में उद्योग ठप हुए. नौकरियां गई. ऐसे में व्यापारी से लेकर आम आदमी तक परेशान है. अभी तक इससे उभर नहीं पाएं हैं. ऐसे में अब महंगाई की चिंता सता रही है. इन हालातों में इस बजट से आम जनता को काफी उम्मीदें हैं.
डॉ. रितु नारंग (असिस्टेंट प्रोफेसर, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, लखनऊ विश्वविद्यालय)