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हिटलर से प्रेरित इंदिरा ने आपातकाल लगाकर स्वतंत्रता का गला घोंटा था: हृदय नारायण दीक्षित - आपातकाल 1975

उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित ने आपातकाल के 45वें वर्ष की पूर्व संध्या पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए संविधान का दुरुपयोग किया था.

हृदय नारायण दीक्षित का बयान
हृदय नारायण दीक्षित का बयान
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Published : Jun 24, 2020, 9:10 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष और संविधान के जानकार हृदय नारायण दीक्षित ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के आपातकाल लागू करने के फैसले को तानाशाह हिटलर से प्रेरित बताया. आपातकाल के 45वें वर्ष की पूर्व संध्या पर विधानसभा अध्यक्ष ने अपने विचार रखते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय बताया है. उन्होंने कहा कि इससे संविधान की अवमानना हुई थी.

आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है
उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित ने आपातकाल के 45वें वर्ष की पूर्व संध्या पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए संविधान का दुरुपयोग किया था. गांधी को यह प्रेरणा हिटलर की तरफ से 1933 में जर्मनी में लगाई गई इमरजेंसी से प्राप्त हुई थी. भारत में लगाए गए आपातकाल के समय स्वतंत्रता का गला घोंट दिया गया था. प्रेस के साथ भी उत्पीड़न हुआ था और समूचे देश में पुलिस राज था. हजारों लोग जेल में डाल दिए गए थे. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की तानाशाही लगभग पौने दो साल तक रही.

विधानसभा अध्यक्ष ने साझा किए अनुभव
विधानसभा अध्यक्ष ने आपातकाल के अपने रोचक अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि पूरे आपातकाल के दौरान वह उन्नाव जेल में रहे. उन्होंने अपना अनुभव सुनाते हुए कहा कि इसी अवधि में लोकसभा के चुनाव हुए थे. चुनाव नतीजे आकाशवाणी पर सुनने के लिए उनके पास एक छोटा ट्रांजिस्टर था. रात के तीन बजे जेलर आया और उसने उन्हें बहुत डांट फटकार लगाई और अपशब्द कहे. सुबह 5:30 बजे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस्तीफा दिया. 6:30 बजे जेलर फिर आया और उसने कहा कि सबको बधाई हो, आपकी सरकार बनने जा रही है. मैं डेढ़ घंटे के भीतर ही अपशब्दों से नवाजे जाने वाले से मान्यवर हो गया था. उन्होंने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है. इससे संविधान की अवमानना हुई थी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष और संविधान के जानकार हृदय नारायण दीक्षित ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के आपातकाल लागू करने के फैसले को तानाशाह हिटलर से प्रेरित बताया. आपातकाल के 45वें वर्ष की पूर्व संध्या पर विधानसभा अध्यक्ष ने अपने विचार रखते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय बताया है. उन्होंने कहा कि इससे संविधान की अवमानना हुई थी.

आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है
उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित ने आपातकाल के 45वें वर्ष की पूर्व संध्या पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए संविधान का दुरुपयोग किया था. गांधी को यह प्रेरणा हिटलर की तरफ से 1933 में जर्मनी में लगाई गई इमरजेंसी से प्राप्त हुई थी. भारत में लगाए गए आपातकाल के समय स्वतंत्रता का गला घोंट दिया गया था. प्रेस के साथ भी उत्पीड़न हुआ था और समूचे देश में पुलिस राज था. हजारों लोग जेल में डाल दिए गए थे. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की तानाशाही लगभग पौने दो साल तक रही.

विधानसभा अध्यक्ष ने साझा किए अनुभव
विधानसभा अध्यक्ष ने आपातकाल के अपने रोचक अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि पूरे आपातकाल के दौरान वह उन्नाव जेल में रहे. उन्होंने अपना अनुभव सुनाते हुए कहा कि इसी अवधि में लोकसभा के चुनाव हुए थे. चुनाव नतीजे आकाशवाणी पर सुनने के लिए उनके पास एक छोटा ट्रांजिस्टर था. रात के तीन बजे जेलर आया और उसने उन्हें बहुत डांट फटकार लगाई और अपशब्द कहे. सुबह 5:30 बजे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस्तीफा दिया. 6:30 बजे जेलर फिर आया और उसने कहा कि सबको बधाई हो, आपकी सरकार बनने जा रही है. मैं डेढ़ घंटे के भीतर ही अपशब्दों से नवाजे जाने वाले से मान्यवर हो गया था. उन्होंने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है. इससे संविधान की अवमानना हुई थी.

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