लखनऊ : विधानसभा का बजट सत्र इस बार व्यवस्थित तरीके से चला और देर रात तक सदन की कार्यवाही चलती रही तो कई रिकॉर्ड भी बने गए. अमूमन पहले सदन की कार्यवाही के दौरान खूब शोर शराबा होता था. बजट सत्र 2023 में सदन की कार्यवाही के दौरान स्थगित होने के मामले होते रहे हैं, लेकिन इस बार विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने व्यवस्थित तरीके से सदन चलाया और रिकॉर्ड भी बनाए. विधानसभा सत्र की कार्यवाही में इस बार कई चीजें नई सामने आई हैं. सत्र की कार्यवाही 11 दिन चली और सिर्फ 36 मिनट सदन की कार्यवाही स्थगित रही.
खास बात यह रही सदन की कार्यवाही में अदालत लगी और भाजपा विधायक के विशेषाधिकार हनन के मामले में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सजा सुनाई गई. साथ ही बजट सत्र के दौरान ढाई सौ से अधिक विधायकों को बोलने का मौका दिया गया और सदन की कार्यवाही रात 10:00 बजे तक भी कई दिन तक चली. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के कार्यकाल में कई तरह के नए प्रयोग भी सामने आए. सदन की कार्यवाही के दौरान आम लोगों को कार्यवाही का हिस्सा बनाना, छात्रों और प्रोफेशनल्स को संसदीय परंपराओं के बारे में जानकारी देना, आम लोगों को विधानसभा के इतिहास के बारे में जानकारी देने के लिए डिजिटल लाइब्रेरी बनाना जैसे कई तरह के प्रयोग किए गए.
इसके अलावा कमजोर विपक्ष की वजह से सत्ता पक्ष भी विपक्ष पर पूरी तरह से आक्रामक रहा. प्रयागराज में उमेश पाल मर्डर केस की गूंज भी विधानसभा में गूंजी तो सरकार पूरी ताकत और तेवर के साथ नजर आई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में कहा कि हम माफिया को मिट्टी में मिला देंगे. इस बात से नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव असहमत नजर आए और उन्होंने कहा कि मिट्टी में मिलाने की बात कर रहे हैं माफिया को. इससे सदन के अंदर उनकी हंसाई भी हुई कि माफिया को मिट्टी में मिलाने में आखिर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव को परेशानी क्या है.
कुल मिलाकर इस बार सदन की कार्यवाही में कई नए तरह के रिकॉर्ड सामने आए हैं. सबसे खास बात तो यह थी कि विधायक के विशेषाधिकार हनन के मामले में विधानसभा सदन अदालत के रूप में रही और 6 पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों को सजा सुनाई गई. विधानसभा परिसर में मनाई गई प्रतीकात्मक जेल में उन्हें रखा गया और यह संदेश दिया गया कि विधायिका के मान सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं होने दिया जाएगा.
सदन की कार्यवाही : विधानसभा का सत्र 20 फरवरी से शुरू हुआ था औऱ 3 मार्च को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुआ. सदन की कार्यवाही 11 दिनों में 83 घंटे 38 मिनट तक चली. 36 मिनट स्थगन और 1 घंटा 51 मिनट भोजन अवकाश के बाद 83 घंटा 02 मिनट सदन चला. 11 दिनों की कार्यवाही में अल्पसूचित प्रश्न 02, तारांकित प्रश्न 362, अतारांकित प्रश्न 2519, प्राप्त हुए. इनमें कुल 1259 प्रश्न पूछे गए. सरकार का ध्यान आकर्षित करने वाले नियम-301 की तमाम सूचनाओं पर शासन का ध्यान आकृष्ट किया गया. इसी सत्र में कुल-3866 याचिकाएं सदन में प्रस्तुत की गईं. विशेषाधिकार हनन के मामले में सदन अदालत के रूप में परिवर्तित हुई और दोषी पुलिसकर्मियों अधिकारियों के खिलाफ सजा सुनाने का काम भी किया गया.
वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक विजय शंकर पंकज कहते हैं कि यह सही है कि सदन की कार्यवाही लंबे समय तक चली और शांतिपूर्ण तरीके से चली. सदन की कार्यवाही के दौरान चर्चा भी सार्थक रूप से हुईं. पहली बार विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का प्रभाव था और उनका प्रयास था ज्यादा से ज्यादा सभी विधायक बजट पर बोले और राज्यपाल के भाषण पर चर्चा करें. इस बार देर रात तक भी इस बार सदन की कार्यवाही चलाई गई. हंगामा इस बार नहीं के बराबर ही हुआ, लेकिन फिर भी संसदीय परंपरा है कि सदन को विशेषकर बजट सत्र को और लंबा चलाए जाने की जरूरत है. सदन की कार्यवाही कम से कम 1 महीने होनी चाहिए. इस बार 9 दिन सदन की कार्यवाही चली है और इसको बढ़ाए जाने का प्रयास किया जाना चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का कहना है कि इसे और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है. पूर्व में हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही व्यवस्थित रूप से नहीं चल पाती थी, लेकिन अब सदन की कार्यवाही व्यवस्थित रूप से और घंटे के हिसाब से देखे तो सदन की कार्यवाही काफी लंबी चली है.
इसके साथ ही भाजपा विधायक सलिल विश्नोई के विशेषाधिकार हनन के मामले में बड़ा संदेश देने वाली कार्यवाही हुई है. कानपुर क्षेत्र से ही सतीश महाना विधायक हैं. उन्होंने कहा कि हमें याद है कि सलिल विश्नोई को 2005 में जो घटना हुई थी तो उन्हें स्ट्रेचर में लादकर सदन की कार्यवाही में पेश किया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उस समय विशेषाधिकार हनन की कमेटी गठित की थी, रिपोर्ट भी आई थी, लेकिन उस पर कार्यवाही नहीं हो पाई थी. वर्ष 2005 के बाद अब 2023 में इस मामले में कार्यवाही हुई है. निश्चित रूप से इसका व्यापक संदेश जाएगा और इसका श्रेय विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को दिया जाएगा. विशेषाधिकार के मामले को विधायकों के महत्व को और प्रभाव को बनाए रखने के लिए ठोस कार्यवाही की प्रतीकात्मक रूप से अदालत बना कर कार्यवाही की गई. निश्चित रूप से यह बड़ी प्रतीकात्मक रूप से कार्यवाही है और इससे देशभर में संदेश गया कि विधायिका सर्वोपरि है. विशेष संदेश गया है कि विधायकों की गरिमा को बनाए रखना शासन प्रशासन का कर्तव्य है. सदन की कार्यवाही में अदालत के रूप में फैसला सुनाया गया और प्रतीकात्मक रूप से विधानसभा परिसर में बनाई गई जेल में दोषी पुलिसकर्मियों को रखा गया.
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