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राम मंदिर आंदोलन के नायक रहे अशोक सिंघल को भूले भगवा संगठन, नहीं हुआ कोई कार्यक्रम - लखनऊ खबर

विहिप संगठन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल की पुण्यतिथि पर राजधानी लखनऊ स्थित विहिप मुख्यालय में श्रद्धांजलि सभा तक का आयोजन नहीं किया गया, जिससे कि उन्हें याद किया जा सके. वहीं इस मामले पर विहिप का कोई भी नेता बोलने से बचता नजर आ रहा है.

अशोक सिंघल.
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Published : Nov 17, 2019, 9:32 PM IST

लखनऊ: हिंदुत्व के पुरोधा और मुखर योद्धा रहे अशोक सिंघल की आज यानी 17 नवंबर को पुण्यतिथि है, लेकिन किसी भी प्रकार से किसी भी भगवा संगठन में कोई हलचल उन्हें याद करने को लेकर नहीं दिखाई पड़ी. यहां तक कि वह जिस विहिप संगठन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, वहां भी उनको लेकर कोई औपचारिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया, जिससे कि युवा कार्यकर्ताओं को उनके आंदोलन और रणनीति के बारे में परिचित कराया जा सके.

जानकारी देते संवाददाता.

विहिप मुख्यालय में भी अशोक सिंघल को नहीं दी गई श्रद्धांजलि
विहिप मुख्यालय लखनऊ में ऐसी किसी भी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन तक नहीं किया गया, जिससे कि अशोक सिंघल को याद किया जा सके. हैरानगी की बात तो यह है कि ऐसा तब हुआ है जब श्री राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय रामलला के पक्ष में आया है. अब ऐसे में भगवा संगठन विश्व हिंदू परिषद का कोई भी नेता इस पूरे मामले में बोलने से भी कतरा रहा है कि आखिरकार अपने ही पूर्व अध्यक्ष को भूल गए तो इस पर क्या जवाब दिया जाए.

जोशीले भाषणों से युवाओं के दिलों पर राज करते थे अशोक सिंघल
90 के दशक से हिंदुत्व की अलख जगाकर चर्चा का केंद्र बने अशोक सिंघल विहिप संगठन को बहुत पहले से संभालते आए थे. उन्होंने श्री राम जन्मभूमि मामले पर जिस तरह से युवाओं को जोड़ा और पूरे मंदिर आंदोलन को धार देते हुए उसकी दिशा तय की, उसके बाद से उनकी तूती बोलती थी. अपने जोशीले भाषणों से वह युवाओं के दिलों पर राज करने लगे थे. यह वही समय था, जब भाजपा अपने आप को खड़ा करने में लगी थी और भाजपा का संगठन धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था.

इसे भी पढ़ें- मस्जिद तोड़ने की भरपाई नहीं हो सकती जमीन: AIMPLB सचिव

मंदिर आंदोलन में अशोक सिंघल का रहा महत्वपूर्ण योगदान
वह विश्व हिंदू परिषद और अशोक सिंघल ही थे, जिन्होंने भाजपा को सत्ता में पहुंचने तक का रास्ता दिखाया और उसकी सीढ़ी बने. जिस तरह से मंदिर आंदोलन ने भाजपा को संजीवनी दी, उसके पीछे निश्चित तौर पर अशोक सिंघल का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इसके बावजूद अशोक सिंघल के नाम पर कोई चर्चा तक न होना, बेहद महत्वपूर्ण और गंभीर विषय माना जा रहा है.

ईटीवी भारत ने जब भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद के नेताओं से अशोक सिंघल की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए किसी कार्यक्रम के आयोजन को लेकर जानकारी मांगी तो कोई जानकारी नेताओं की तरफ से नहीं दी गई. साथ ही सभी नेता इस मामले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए. हालांकि कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया पर मात्र सिंघल को याद करने का काम किया.

लखनऊ: हिंदुत्व के पुरोधा और मुखर योद्धा रहे अशोक सिंघल की आज यानी 17 नवंबर को पुण्यतिथि है, लेकिन किसी भी प्रकार से किसी भी भगवा संगठन में कोई हलचल उन्हें याद करने को लेकर नहीं दिखाई पड़ी. यहां तक कि वह जिस विहिप संगठन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, वहां भी उनको लेकर कोई औपचारिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया, जिससे कि युवा कार्यकर्ताओं को उनके आंदोलन और रणनीति के बारे में परिचित कराया जा सके.

जानकारी देते संवाददाता.

विहिप मुख्यालय में भी अशोक सिंघल को नहीं दी गई श्रद्धांजलि
विहिप मुख्यालय लखनऊ में ऐसी किसी भी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन तक नहीं किया गया, जिससे कि अशोक सिंघल को याद किया जा सके. हैरानगी की बात तो यह है कि ऐसा तब हुआ है जब श्री राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय रामलला के पक्ष में आया है. अब ऐसे में भगवा संगठन विश्व हिंदू परिषद का कोई भी नेता इस पूरे मामले में बोलने से भी कतरा रहा है कि आखिरकार अपने ही पूर्व अध्यक्ष को भूल गए तो इस पर क्या जवाब दिया जाए.

जोशीले भाषणों से युवाओं के दिलों पर राज करते थे अशोक सिंघल
90 के दशक से हिंदुत्व की अलख जगाकर चर्चा का केंद्र बने अशोक सिंघल विहिप संगठन को बहुत पहले से संभालते आए थे. उन्होंने श्री राम जन्मभूमि मामले पर जिस तरह से युवाओं को जोड़ा और पूरे मंदिर आंदोलन को धार देते हुए उसकी दिशा तय की, उसके बाद से उनकी तूती बोलती थी. अपने जोशीले भाषणों से वह युवाओं के दिलों पर राज करने लगे थे. यह वही समय था, जब भाजपा अपने आप को खड़ा करने में लगी थी और भाजपा का संगठन धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था.

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मंदिर आंदोलन में अशोक सिंघल का रहा महत्वपूर्ण योगदान
वह विश्व हिंदू परिषद और अशोक सिंघल ही थे, जिन्होंने भाजपा को सत्ता में पहुंचने तक का रास्ता दिखाया और उसकी सीढ़ी बने. जिस तरह से मंदिर आंदोलन ने भाजपा को संजीवनी दी, उसके पीछे निश्चित तौर पर अशोक सिंघल का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इसके बावजूद अशोक सिंघल के नाम पर कोई चर्चा तक न होना, बेहद महत्वपूर्ण और गंभीर विषय माना जा रहा है.

ईटीवी भारत ने जब भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद के नेताओं से अशोक सिंघल की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए किसी कार्यक्रम के आयोजन को लेकर जानकारी मांगी तो कोई जानकारी नेताओं की तरफ से नहीं दी गई. साथ ही सभी नेता इस मामले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए. हालांकि कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया पर मात्र सिंघल को याद करने का काम किया.

Intro:एंकर
लखनऊ। हिंदुत्व के पुरोधा और मुखर योद्धा रहे अशोक सिंघल की आज पुण्यतिथि है, लेकिन किसी भी प्रकार से किसी भी भगवा संगठन में कोई हलचल उन्हें याद करने को लेकर नहीं दिखाई पड़ी। यहां तक कि वह जिस विहिप संगठन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे वहाँ भी उनको लेकर कोई औपचारिक कार्यक्रम नहीं किया गया, जिससे युवा कार्यकर्ताओं को उनके आंदोलन और रणनीति से रूबरू कराया जा सके। विहिप मुख्यालय लखनऊ में ऐसी किसी भी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन तक नहीं किया गया, जिससे उन्हें याद किया जा सके। यह तब हुआ है जब श्री राम जन्म भूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में निर्णय रामलला के पक्ष में आया है। अब ऐसे में भगवा संगठन विश्व हिंदू परिषद का कोई भी नेता इस पूरे मामले में बोलने से भी कतरा रहा है कि आखिरकार अपने ही पूर्व अध्यक्ष को कैसे भूल गए।


Body:वीओ
90 के दशक से हिंदुत्व की अलख जगाकर चर्चा का केंद्र बने अशोक सिंघल विहिप संगठन को बहुत पहले से संभालते आए हैं लेकिन उन्होंने श्री राम जन्मभूमि मामले से जिस तरह से युवाओं को जोड़ा और पूरे मंदिर आंदोलन को धार दी और उसकी दिशा तय की उसके बाद से उनकी तूती बोलती थी और अपने जोशीले भाषणों से वह युवाओं के दिलों पर राज करने लगे थे। यह वही समय था जब भाजपा अपने आप को खड़ा कर रही थी और भाजपा का संगठन धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था वही विश्व हिंदू परिषद और अशोक सिंघल थे जिन्होंने भाजपा को सत्ता में पहुंचने तक का रास्ता दिखाया और उसकी सीढ़ी बने, जिस तरह से मंदिर आंदोलन ने भाजपा को संजीवनी दी उसके पीछे निश्चित तौर पर अशोक सिंघल का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है लेकिन भाजपा संगठन भाजपा नेतृत्व का है उसके बावजूद अशोक सिंघल के नाम पर कोई चर्चा तक नहीं होना, एक महत्वपूर्ण और गंभीर विषय माना जा रहा है। कार्यक्रम क्या होंगे कैसे होंगे इस नेतृत्व ही तय करता है लेकिन शीर्ष नेतृत्व के पास इतना भी समय नहीं है कि अब वह अपने शीर्ष नेतृत्व को याद कर सके।




Conclusion:ईटीवी भारत ने जब भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद के नेताओं से अशोक सिंघल की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए किसी कार्यक्रम के आयोजन को लेकर जानकारी मांगी तो कोई जानकारी नेताओं की तरफ से नहीं दी जा सकी। सभी नेता इस मामले में बचते हुए नजर आए। हालांकि कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया पर मात्र सिंघल को याद करते हुए नजर आए।


धीरज त्रिपाठी

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