लखनऊ: प्रदेश के समस्त जनपदों में दिमागी बुखार, कोविड-19 संक्रामक रोगों के संबंध में व्यापाक जन-जागरूकता के लिए 10 से 24 मार्च तक दस्तक अभियान आयोजित किया जा रहा है, जिसमें प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर संक्रामक बीमारियों से बचाव और उपचार के संबंध में जानकारी देंगे. अभियान में आशा बहू और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर जागरूकता फैलाने का कार्य करेंगी.
महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने अवगत कराया कि इस बार दस्तक अभियान में प्रंट लाइन वर्कर्स आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर किए जाने वाले संवेदीकरण तथा सर्वेक्षण कार्य में कुछ नई जिम्मेदारियों को भी शामिल किया गया है. आशा बहू और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रत्येक घर में क्षय रोग के संभावित रोगियों के विषय में भी जानकारी प्राप्त करेंगी. ऐसे व्यक्ति की सूचना प्राप्त होने पर उसका विवरण एएनएम को देना होगा.
आशाएं जन्म-मृत्यु के पंजीकरण से छूटे शिशु और व्यक्तियों का पंजीकरण और दिमागी बुखार से विकलांग हुए लोगों की जानकारी एकत्र करने का कार्य भी करेंगी. उन्होंने बताया कि आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रतिदिन कार्य समाप्ति पर पांच सूचियां ब्लॉक मुख्यालय पर उपलब्ध कराएंगी, जिसमें बुखार के रोगी, क्षय रोग के लक्षण वाले लोगों की सूची, जन्म-मृत्यु पंजीकरण की सूची, कुपोषित बच्चों की सूची और दिमागी बुखार से विकलांग लोगों की सूची शामिल है.
प्रदेश सरकार द्वारा दस्तक अभियान के माध्यम से व्यापक स्वास्थ्य शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन संचार की क्रन्तिकारी रणनीति अपनाई गई है. इसके माध्यम से लोगों को बचाव और सही समय पर उपचार के संदेश पहुंचा कर दिमागी बुखार की समस्या पर प्रभावी नियंत्रण प्राप्त किया गया है. दस्तक का शाब्दिक अर्थ दरवाजा खटखटाना है. इस अभियान के जरिये दिमागी बुखार से सम्बन्धित शिक्षा एवं व्यवहार परिवर्तन के संदेश गांव के हर एक घर और परिवार तक का लक्ष्य है. अभियान को प्रभावी बनाने के लिए आशा बहू, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम के साथ-साथ स्कूल शिक्षक मुख्य भूमिका में रहेंगे.