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नई शिक्षा नीति में कला और खेल जैसे विषय अब मूल पाठ्यक्रम के अंग होंगे : अशोक गांगुली

विज्ञान और वाणिज्य के साथ कल और खेल को भी छात्रों के 360 डिग्री विकास के मूल्यांकन पर भी जोड़ देना होगा. यह बातें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार ने कही हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 26, 2023, 8:10 AM IST

लखनऊ : नई शिक्षा नीति 2020 में छात्रों के सतत विकास को लेकर नए आयाम तय किए हैं. अभी तक जिन विषयों को केवल सहयोगी विषय के तौर पर जाना और पढ़ाया जाता था. वह विषय अब मुख्य विषय के तौर पर बच्चे चुन रहे हैं. नई शिक्षा नीति में बच्चों को केवल विज्ञान और कॉमर्स विषय की पढ़ाई पर विशेष बल नहीं दिया गया है. नई शिक्षा नीति के माध्यम से कला व खेल जैसे विषयों में भी बच्चों को अपने कॅरियर बनाने और उसके बहुआयामी विकास का जोड़ दिया गया है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रगति एवं कार्ययोजना विषयक पर कार्यशाला.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रगति एवं कार्ययोजना विषयक पर कार्यशाला.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रगति एवं कार्ययोजना विषयक पर कार्यशाला का आयोजन शुक्रवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में हुआ. इस कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार ने पाठ्यक्रम, मूल्यांकन, प्रबंधन, तकनीक एवं व्यावसायिक शिक्षा आदि विषयों में विभाजित कर कार्य करने की बात कही. उन्होंने छात्रों के 360 डिग्री विकास के मूल्यांकन पर बल दिया. साथ ही कहा कि अब विद्यालयों में कला व खेल अब मूल पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रगति एवं कार्ययोजना विषयक पर कार्यशाला.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रगति एवं कार्ययोजना विषयक पर कार्यशाला.

कार्यशाला के पूर्व चेयरमैन सीबीएससी अशोक गांगुली ने नवीन पाठ्यचर्या, फ्रेमवर्क के प्रमुख बिन्दुओं पर व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में विज्ञान, कला एवं वाणिज्य वर्ग आदि की व्यवस्था में छात्रों को विषय चयन की स्वतंत्रता प्रदान की गई है. आज छात्र अपने रुचि के अनुसार अपने विषय का चुनाव कर सकते हैं. अभी तक छात्रों को उन विषयों को मुख्य विषय के तौर पर चयन की छूट नहीं थी जिसे वह रुचि लेकर पढ़ना चाहता है. नई शिक्षा नीति में छात्र को अपने महत्वपूर्ण विषय के साथ उस विषय का भी चयन करने की छूट दे दी है जिसे वह आसानी से और रुचि लेकर पढ़ सकता है. ऐसे में विद्यालयों को इस तरह के कोर्स पढ़ने पर फोकस करना चाहिए. कार्यशाला में शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव, निदेशालय अधिकारी, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, उपशिक्षा निदेशक एवं विभिन्न जनपदों के जिला विद्यालय निरीक्षकों ने प्रतिभाग किया.

यह भी पढ़ें : महिला का अपहरण और रेप मामले में फरार चल रहे सपा नेता का करीबी 9 साल बाद गिरफ्तार

लखनऊ : नई शिक्षा नीति 2020 में छात्रों के सतत विकास को लेकर नए आयाम तय किए हैं. अभी तक जिन विषयों को केवल सहयोगी विषय के तौर पर जाना और पढ़ाया जाता था. वह विषय अब मुख्य विषय के तौर पर बच्चे चुन रहे हैं. नई शिक्षा नीति में बच्चों को केवल विज्ञान और कॉमर्स विषय की पढ़ाई पर विशेष बल नहीं दिया गया है. नई शिक्षा नीति के माध्यम से कला व खेल जैसे विषयों में भी बच्चों को अपने कॅरियर बनाने और उसके बहुआयामी विकास का जोड़ दिया गया है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रगति एवं कार्ययोजना विषयक पर कार्यशाला.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रगति एवं कार्ययोजना विषयक पर कार्यशाला.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रगति एवं कार्ययोजना विषयक पर कार्यशाला का आयोजन शुक्रवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में हुआ. इस कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार ने पाठ्यक्रम, मूल्यांकन, प्रबंधन, तकनीक एवं व्यावसायिक शिक्षा आदि विषयों में विभाजित कर कार्य करने की बात कही. उन्होंने छात्रों के 360 डिग्री विकास के मूल्यांकन पर बल दिया. साथ ही कहा कि अब विद्यालयों में कला व खेल अब मूल पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रगति एवं कार्ययोजना विषयक पर कार्यशाला.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रगति एवं कार्ययोजना विषयक पर कार्यशाला.

कार्यशाला के पूर्व चेयरमैन सीबीएससी अशोक गांगुली ने नवीन पाठ्यचर्या, फ्रेमवर्क के प्रमुख बिन्दुओं पर व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में विज्ञान, कला एवं वाणिज्य वर्ग आदि की व्यवस्था में छात्रों को विषय चयन की स्वतंत्रता प्रदान की गई है. आज छात्र अपने रुचि के अनुसार अपने विषय का चुनाव कर सकते हैं. अभी तक छात्रों को उन विषयों को मुख्य विषय के तौर पर चयन की छूट नहीं थी जिसे वह रुचि लेकर पढ़ना चाहता है. नई शिक्षा नीति में छात्र को अपने महत्वपूर्ण विषय के साथ उस विषय का भी चयन करने की छूट दे दी है जिसे वह आसानी से और रुचि लेकर पढ़ सकता है. ऐसे में विद्यालयों को इस तरह के कोर्स पढ़ने पर फोकस करना चाहिए. कार्यशाला में शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव, निदेशालय अधिकारी, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, उपशिक्षा निदेशक एवं विभिन्न जनपदों के जिला विद्यालय निरीक्षकों ने प्रतिभाग किया.

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