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यूपी चुनाव में जाली नोट खपाने की थी साजिश, UP ATS करेगी जांच

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Published : Jan 19, 2022, 9:52 PM IST

यूपी चुनाव में जाली नोटों को खपाने की फिराक में तस्करों को लखनऊ पुलिस ने बीते दिनों गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ और पुलिस की जांच में कई अहम खुलासे हो रहे हैं. पुलिस को पता चला है कि जाली नोटों की तस्करी के तार पश्चिमी यूपी से जुड़े हैं. जहां, बाकायदा जाली नोट छापने की ट्रेनिंग दी जाती है. जाली नोटों को यूपी चुनाव में खपाने की फिराक में थे तस्कर. पढ़िए ये रिपोर्ट...

जाली नोट का UP ATS करेगी जांच
जाली नोट का UP ATS करेगी जांच

लखनऊ : राजधानी के गुडंबा व तालकटोरा की पुलिस ने जाली नोटों के तस्करी के गिरोह का कुछ दिनों पहले पर्दाफाश किया था. इस मामले में तालकटोरा पुलिस ने सलमान समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. तस्करों के पास से करीब 50 हजार के जाली नोट बरामद हुए थे. इस गिरोह में सबसे सक्रिय जीआरपी का सिपाही राहुल था. उसके नेटवर्क का प्रयोग कर गिरोह पूरे प्रदेश में जाली नोटों की आपूर्ति करता था.

इस गिरोह के पकड़े जाने के बाद खुलासा हुआ था कि इनका यूपी में पूरा नेटवर्क तैयार करने वाला मुख्य आरोपी जमील है. वह नेपाल सीमा तक जाली नोटों की तस्करी करवा रहा है. पुलिस के मुताबिक, जांच में पता चला है कि जाली नोटों की तस्करी के तार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से जुड़े हैं. इस तस्कर गिरोह के मुख्य आरोपी जमील व सलमान ने काफी दिनों तक मुजफ्फरनगर में रहकर नोट छापने की तकनीक सीखी थी.


इस पूरे रैकेट का खुलासा करने वाले लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के डीसीपी वेस्ट सोमेन वर्मा ने बताया कि जाली नोटों को छापने के लिए कुछ लोग देश के बाहर से बाकायदा ट्रेनिंग लेकर पश्चिमी यूपी में आये थे. यहीं के मुजफ्फरनगर, मेरठ समेत कई जिलों में घर के अंदर प्रिंटिंग मशीन लगाकर जाली नोट छापते थे. जैसी डिमांड उसी हिसाब से 50, 100 और 200 कि नोट छापी जाती थी.

पश्चिमी यूपी से बाहर फैला था जाली नोटों को छापने का रैकट

सोमेन वर्मा ने बताया कि जब डिमांड बढ़ती है तो ये गैंग पश्चिमी यूपी से निकल कर प्रदेश के अन्य जिलों में जाकर अलग अलग इलाकों में नोटों की छपाई करते हैं और उसकी सप्लाई करते हैं. ये गैंग 10 हजार रुपये में 60 हजार की नकली नोट बेचते थे. इसमें एक लंबी चेन काम करती है. छापने वाले से लेकर तस्कर तक इस पूरे रैकट का हिस्सा रहते हैं. यही नहीं, नोटों को खरीदने वालों को ढूंढने के लिए दलाल अलग अलग जिलों में स्लीपिंग सेल की तरह काम कर रहे हैं.


यूपी चुनाव के लिए विशेष गैंग ने की थी तैयारी

डीसीपी सोमेन ने ईटीवी भारत को बताया कि ये गैंग यूपी चुनाव को देखते ही एक्टिव हो गया था. उन्होंने बताया, पूछताछ में उन्हें पता चला कि ऐसे अपराधी किस्म के राजनेता जो चुनावों में अवैध रूप से धन का प्रयोग करते हैं, वो इसी गैंग से जाली नोटों की खरीद करते थे. हालांकि, इस बार भी ये जाली नोटों की खेप तैयार करने की फिराक में थे, लेकिन कोई खरीददार न मिलने के कारण तैयार नहीं कर पाए थे.


अब यूपी एटीएस करेगी इस मामले की जांच

डीसीपी सोमेन ने बताया कि लखनऊ में जाली नोटों को बरामद कर जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनसे नेपाल और पूरे देश में रैकट फैले होने की सूचना मिली है. ऐसे में अब इस पूरे मामले को लेकर यूपी एटीएस को केस से जुड़े दस्तावेज सौंप दिए गए हैं. उन्होंने बताया उम्मीद है कि चुनाव से पहले जिस तरह जाली नोटों को बरामद किया गया है. आगे बढ़ी संख्या में गिरफ्तारी और नोटों की बरामदगी हो सकती है.

इसे भी पढ़ें- भाजपा में शामिल हुईं अपर्णा यादव, बोलीं- पीएम मोदी की कार्यशैली से हूं प्रभावित

पश्चिम जोन में तैनात अधिकारी के मुताबिक, जमील और सलमान ने मुजफ्फरनगर में रहकर जाली नोटों के छापने की तकनीक सीखी थी. पुलिस अधिकारियों ने तस्करों से बरामद नोटों को आरबीआई में जांच के लिए भेजा था. वहां के अधिकारी भी नोटों को देखकर ये नहीं बात पाए कि असली नोट कौन सी है और नकली कौन. उनका भी मानना है कि 50, 100 और 200 के नोट असली से काफी करीब है. इस पर बैंक भी आसानी से धोखा खा सकता है.

हालांकि इसे नासिक भेजा गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. यही नहीं, पुलिस के मुताबिक, पुलिस की दबिश लीक हो गयी थी, जिससे आरोपियों ने बाल्टी में भरकर नोटों को जला दिया था. जिसकी कीमत करीब 50 से 60 लाख रुपये हो सकती है.


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लखनऊ : राजधानी के गुडंबा व तालकटोरा की पुलिस ने जाली नोटों के तस्करी के गिरोह का कुछ दिनों पहले पर्दाफाश किया था. इस मामले में तालकटोरा पुलिस ने सलमान समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. तस्करों के पास से करीब 50 हजार के जाली नोट बरामद हुए थे. इस गिरोह में सबसे सक्रिय जीआरपी का सिपाही राहुल था. उसके नेटवर्क का प्रयोग कर गिरोह पूरे प्रदेश में जाली नोटों की आपूर्ति करता था.

इस गिरोह के पकड़े जाने के बाद खुलासा हुआ था कि इनका यूपी में पूरा नेटवर्क तैयार करने वाला मुख्य आरोपी जमील है. वह नेपाल सीमा तक जाली नोटों की तस्करी करवा रहा है. पुलिस के मुताबिक, जांच में पता चला है कि जाली नोटों की तस्करी के तार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से जुड़े हैं. इस तस्कर गिरोह के मुख्य आरोपी जमील व सलमान ने काफी दिनों तक मुजफ्फरनगर में रहकर नोट छापने की तकनीक सीखी थी.


इस पूरे रैकेट का खुलासा करने वाले लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के डीसीपी वेस्ट सोमेन वर्मा ने बताया कि जाली नोटों को छापने के लिए कुछ लोग देश के बाहर से बाकायदा ट्रेनिंग लेकर पश्चिमी यूपी में आये थे. यहीं के मुजफ्फरनगर, मेरठ समेत कई जिलों में घर के अंदर प्रिंटिंग मशीन लगाकर जाली नोट छापते थे. जैसी डिमांड उसी हिसाब से 50, 100 और 200 कि नोट छापी जाती थी.

पश्चिमी यूपी से बाहर फैला था जाली नोटों को छापने का रैकट

सोमेन वर्मा ने बताया कि जब डिमांड बढ़ती है तो ये गैंग पश्चिमी यूपी से निकल कर प्रदेश के अन्य जिलों में जाकर अलग अलग इलाकों में नोटों की छपाई करते हैं और उसकी सप्लाई करते हैं. ये गैंग 10 हजार रुपये में 60 हजार की नकली नोट बेचते थे. इसमें एक लंबी चेन काम करती है. छापने वाले से लेकर तस्कर तक इस पूरे रैकट का हिस्सा रहते हैं. यही नहीं, नोटों को खरीदने वालों को ढूंढने के लिए दलाल अलग अलग जिलों में स्लीपिंग सेल की तरह काम कर रहे हैं.


यूपी चुनाव के लिए विशेष गैंग ने की थी तैयारी

डीसीपी सोमेन ने ईटीवी भारत को बताया कि ये गैंग यूपी चुनाव को देखते ही एक्टिव हो गया था. उन्होंने बताया, पूछताछ में उन्हें पता चला कि ऐसे अपराधी किस्म के राजनेता जो चुनावों में अवैध रूप से धन का प्रयोग करते हैं, वो इसी गैंग से जाली नोटों की खरीद करते थे. हालांकि, इस बार भी ये जाली नोटों की खेप तैयार करने की फिराक में थे, लेकिन कोई खरीददार न मिलने के कारण तैयार नहीं कर पाए थे.


अब यूपी एटीएस करेगी इस मामले की जांच

डीसीपी सोमेन ने बताया कि लखनऊ में जाली नोटों को बरामद कर जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनसे नेपाल और पूरे देश में रैकट फैले होने की सूचना मिली है. ऐसे में अब इस पूरे मामले को लेकर यूपी एटीएस को केस से जुड़े दस्तावेज सौंप दिए गए हैं. उन्होंने बताया उम्मीद है कि चुनाव से पहले जिस तरह जाली नोटों को बरामद किया गया है. आगे बढ़ी संख्या में गिरफ्तारी और नोटों की बरामदगी हो सकती है.

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पश्चिम जोन में तैनात अधिकारी के मुताबिक, जमील और सलमान ने मुजफ्फरनगर में रहकर जाली नोटों के छापने की तकनीक सीखी थी. पुलिस अधिकारियों ने तस्करों से बरामद नोटों को आरबीआई में जांच के लिए भेजा था. वहां के अधिकारी भी नोटों को देखकर ये नहीं बात पाए कि असली नोट कौन सी है और नकली कौन. उनका भी मानना है कि 50, 100 और 200 के नोट असली से काफी करीब है. इस पर बैंक भी आसानी से धोखा खा सकता है.

हालांकि इसे नासिक भेजा गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. यही नहीं, पुलिस के मुताबिक, पुलिस की दबिश लीक हो गयी थी, जिससे आरोपियों ने बाल्टी में भरकर नोटों को जला दिया था. जिसकी कीमत करीब 50 से 60 लाख रुपये हो सकती है.


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