लखनऊ: यूपी सरकार की तरफ से राजधानी के आईटीआई अलीगंज में अप्रेंटिसशिप मेले का आयोजन किया गया. इस दौरान नौकरी पाने की आस में सैकड़ों छात्र-छात्राएं मेले में पहुंचे. किसी को इस मेले में नौकरी मिलने की उम्मीद थी तो कई लोगों को कहना था कि अप्रेंटिसशिप के साथ वह 2017 से भटक रहे है. अभी तक कहींं नौकरी नहीं मिली है. इसके चलते वह खासा परेशान हैं.
Etv Bharat से खास बातचीत में इन छात्रों ने बताया कि दो साल तक आईटीआई की पढ़ाई की. कंपनी खुद चलकर कैंपस आई. अप्रेटिंसशिप के नाम पर छात्रों का चयन किया गया. दावा किया कि 6 महीने से एक साल कर का प्रशिक्षण देकर नौकरी दी जाएगी और छात्र अप्रेंटिसशिप के लिए चले भी गए जबकि कॉलेज ने इसे अपना प्लेसमेंट दिखाया. अप्रेंटिसशिप के नाम पर 1-1 साल की बेगारी कराकर निकाल दिया गया जिसके चलते तमाम छात्र नौकरी पाने की आस में भटक रहे हैं.
छात्र सुरेश कुमार ने बताया कि उसने 2015 में आईटीआई में दाखिले लिया. अप्रेंटिसशिप के साथ 2017 से भटक रहा है. अभी तक कहीं नौकरी नहीं मिली है. वहीं, कुछ ऐसी ही कहानी 2008 में आईटीआई करने वाले सौरभ की भी है. सौरभ बताते हैं कि उन्होंने एचएएल में अप्रेंटिसशिप की. लेकिन सिर्फ एक प्रमाण पत्र देकर छोड़ दिया गया.
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मंत्री जी का दावा : इस दौरान व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास विभाग राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार युवाओं को स्किल्ड बनाने पर जोर दे रही है. छात्रों को रोजगार मिले इसलिए इंडस्ट्री पार्टनर्स के साथ भी समझौता किया जाता है. सरकार की कोशिश की है कि छात्र प्रशिक्षण के बाद स्वरोजगार के लिए आगे बढ़े. वह सिर्फ नौकरी मांगने वाले न बनकर रह जाएं.
लाख से ज्यादा हर साल दाखिले : देश के राजकीय और निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में 67 विभिन्न व्यवसायों में "शैक्षिक योग्यता की मेरिट" के आधार पर प्रशिक्षण के लिए छात्रों का चयन होता है. इसमें, 1,05,086 सीटें एनसीवीटी (नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल प्रशिक्षण) और 14,788 सीटें एससीवीटी (स्टेट काउन्सिल ऑफ वोकेशनल प्रशिक्षण) पाठ्यक्रम के अन्तर्गत प्रवेश के लिए उपलब्ध हैं. निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण के लिए 3,93,000 सीटें एनसीवीटी (नेशनल कॉउंसिल ऑफ़ वोकेशनल प्रशिक्षण) पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्रवेश के लिए उपलब्ध हैं.
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