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एसजीपीजीआई में फिर से एपेक्स ट्रॉमा सेंटर शुरू, घायलों के इलाज में राहत - एपेक्स ट्रॉमा सेंटर

वृंदावन कॉलोनी स्थित एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर मार्च 2020 से कोविड अस्पताल में तब्दील था. इसे लेवल-थ्री का कोविड अस्पताल बनाया गया था. निदेशक डॉ आर के धीमान ने सोमवार को ट्रॉमा सेवाओं की शुरुआत कर दी. अभी 36 बेड पर भर्ती की व्यवस्था की गई है. कुछ ही दिनों में सभी बेडों पर इलाज मिल सकेगा.

एपेक्स ट्रॉमा सेंटर शुरू
एपेक्स ट्रॉमा सेंटर शुरू
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Published : Nov 8, 2021, 10:34 PM IST

लखनऊ: एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर अब फिर से शुरू हो गया है. ऐसे में घायलों को इलाज में राहत मिली. यह डेढ़ साल से कोविड अस्पताल के तौर पर रिजर्व था. ऐसे में ट्रॉमा के मरीजों को इलाज के लिए केजीएमयू भटकना पड़ रहा था. प्रदेश में तीन एपेक्स ट्रॉमा सेंटर हैं. इसमें एक लखनऊ का केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर, दूसरा बीएचयू ट्रॉमा सेंटर और तीसरा एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर है.

वृंदावन कॉलोनी स्थित एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर मार्च 2020 से कोविड अस्पताल में तब्दील था. इसे लेवल-थ्री का कोविड अस्पताल बनाया गया था. निदेशक डॉ आर के धीमान ने सोमवार को ट्रॉमा सेवाओं की शुरुआत कर दी. अभी 36 बेड पर भर्ती की व्यवस्था की गई है. कुछ ही दिनों में सभी बेडों पर इलाज मिल सकेगा.

वेंटिलेटर बढ़े, अब हर बेड पर ऑक्सीजन
एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर अब अपग्रेड हो गया है. पहले यहां सिर्फ 20 बेड का आईसीयू था. वहीं कुल 180 बेड थे. कोविड अस्पताल बनने के बाद संसाधन बढ़ा दिए गए हैं. ऐसे में कुल 240 बेड हो गए हैं. यह सभी ऑक्सीजन सपोर्टेड हैं. साथ ही करीब 100 बेड पर वेंटीलेटर की सुविधा है. ऐसे में गंभीर मरीजों को इलाज के लिए भटकना नहीं होगा.

हेडइंजरी के मरीजों को मिलेगी राहत
एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर शुरू होने से हेडइंजरी, मल्टीपल फ्रैक्चर, स्ट्रोक आदि के गंभीर मरीजों को राहत मिलेगी. अभी तक शहर में हेड इंजरी के मरीजों के 24 घंटे इलाज की सुविधा सिर्फ केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में है. लोहिया संस्थान में भी हेड इंजरी के मरीजों का इमरजेंसी में इलाज मुमकिन नहीं है. ऐसे में केजीएमयू में बेड न मिलने पर मरीजों को भटकना पड़ता है.

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एसजीपीजीआई में बढ़ेंगे 550 बेड
एसजीपीजीआई के कैंपस में 550 बेडों वाला नया भवन बनकर तैयार हो रहा है. ऐसे में मरीजों को अब बेडों की समस्‍या से जूझना नहीं होगा. इसमें 220 बेड इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के होंगे. इसके अलावा 165 बेड नेफ्रोलॉजी विभाग के होंगे.साथ ही 115 बेड डायलिसिस के होंगे. शेष बेड यूरोलॉजी विभाग के लिए होंगे. वर्तमान में पीजीआई में 1610 बेड हैं. बेड बढ़ने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी.

इसे भी पढ़ें- प्रतापगढ़: IAS अधिकारी राकेश शुक्ल के भाई की लाठी से पीटकर हत्या

लखनऊ: एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर अब फिर से शुरू हो गया है. ऐसे में घायलों को इलाज में राहत मिली. यह डेढ़ साल से कोविड अस्पताल के तौर पर रिजर्व था. ऐसे में ट्रॉमा के मरीजों को इलाज के लिए केजीएमयू भटकना पड़ रहा था. प्रदेश में तीन एपेक्स ट्रॉमा सेंटर हैं. इसमें एक लखनऊ का केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर, दूसरा बीएचयू ट्रॉमा सेंटर और तीसरा एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर है.

वृंदावन कॉलोनी स्थित एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर मार्च 2020 से कोविड अस्पताल में तब्दील था. इसे लेवल-थ्री का कोविड अस्पताल बनाया गया था. निदेशक डॉ आर के धीमान ने सोमवार को ट्रॉमा सेवाओं की शुरुआत कर दी. अभी 36 बेड पर भर्ती की व्यवस्था की गई है. कुछ ही दिनों में सभी बेडों पर इलाज मिल सकेगा.

वेंटिलेटर बढ़े, अब हर बेड पर ऑक्सीजन
एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर अब अपग्रेड हो गया है. पहले यहां सिर्फ 20 बेड का आईसीयू था. वहीं कुल 180 बेड थे. कोविड अस्पताल बनने के बाद संसाधन बढ़ा दिए गए हैं. ऐसे में कुल 240 बेड हो गए हैं. यह सभी ऑक्सीजन सपोर्टेड हैं. साथ ही करीब 100 बेड पर वेंटीलेटर की सुविधा है. ऐसे में गंभीर मरीजों को इलाज के लिए भटकना नहीं होगा.

हेडइंजरी के मरीजों को मिलेगी राहत
एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर शुरू होने से हेडइंजरी, मल्टीपल फ्रैक्चर, स्ट्रोक आदि के गंभीर मरीजों को राहत मिलेगी. अभी तक शहर में हेड इंजरी के मरीजों के 24 घंटे इलाज की सुविधा सिर्फ केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में है. लोहिया संस्थान में भी हेड इंजरी के मरीजों का इमरजेंसी में इलाज मुमकिन नहीं है. ऐसे में केजीएमयू में बेड न मिलने पर मरीजों को भटकना पड़ता है.

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एसजीपीजीआई में बढ़ेंगे 550 बेड
एसजीपीजीआई के कैंपस में 550 बेडों वाला नया भवन बनकर तैयार हो रहा है. ऐसे में मरीजों को अब बेडों की समस्‍या से जूझना नहीं होगा. इसमें 220 बेड इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के होंगे. इसके अलावा 165 बेड नेफ्रोलॉजी विभाग के होंगे.साथ ही 115 बेड डायलिसिस के होंगे. शेष बेड यूरोलॉजी विभाग के लिए होंगे. वर्तमान में पीजीआई में 1610 बेड हैं. बेड बढ़ने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी.

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