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KGMU के हेल्थ वर्कर्स में खोजी जाएगी कोरोना प्रतिरोधक क्षमता - covid 19 medicine

केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में कोरोना वायरस से ठीक हो चुके व्यक्तियों से प्लाज्मा डोनेशन की अपील की जा रही है. कई कोरोना वायरस सर्वाइवर KGMU में आकर प्लाज्मा डोनेशन कर चुके हैं, लेकिन विभाग की मानें तो यह संख्या अभी कम है. इसे और अधिक बढ़ाने की जरूरत है. प्लाजमा डोनेशन कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर मरीजों के इलाज में काफी मददगार साबित हो रहा है.

केजीएमयू
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Published : Jul 6, 2020, 7:57 AM IST

लखनऊः कोविड-19 का संक्रमण दिन-ब-दिन पांव पसार रहा है. प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. इनमें से ज्यादातर मरीज खुद ठीक हो रहे हैं और उनमें प्रतिरोधक क्षमता भी बन रही है. मरीजों के साथ-साथ अब किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी कोविड-19 यूनिट में काम करने वाले हेल्थ केयर वर्कर्स का रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट करने जा रही है, ताकि उनमें भी प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाया जा सके. इसके जरिए आगे चलकर यह हेल्थ केयर वर्कर प्लाजमा डोनेशन में सहायक सिद्ध हो सकते हैं.

केजीएमयू के हेल्थ वर्कर्स का होगा रैपिड एन्टीबॉडी टेस्ट.

जांच में हेल्थ वर्कर्स होंगे शामिल
ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्र बताती हैं कि हम अपने हेल्थकेयर वर्कर्स का एंटीबॉडी टेस्ट करवा रहे हैं. इस एंटीबॉडी टेस्ट के तहत हम उनमें इम्यूनो ग्लोबिन जी एंटीबॉडी की जांच कर रहे हैं. सोमवार से इसे पूरी तरह से हेल्थ केयर वर्कर्स की जांच पर केंद्रित कर दिया जाएगा. डॉ. चंद्रा बताती हैं कि हम इस जांच के तहत उन हेल्थ केयर वर्कर्स को शामिल कर रहे हैं. जिन्होंने कोविड-19 यूनिट में काम किया है और अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद अपने-अपने विभागों में दोबारा कार्यरत हो गए हैं.

कोरोना से लड़ने वालों की होगी तलाश
डॉक्टर चंद्रा ने बताया कि हम यहां एक संभावना लेकर चल रहे हैं कि हो सकता है कि इन हेल्थ केयर वर्कर्स में से कुछ व्यक्तियों को कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ हो और वह इससे स्वतः ही ठीक हो चुके हों. इससे उनके शरीर में एंटीबॉडी बन गई होगी. इस एंटीबॉडी टेस्ट से हम उन हेल्थ केयर वर्कर्स की प्रतिरोधक क्षमता के बारे में पता लगा सकते हैं. यदि हेल्थ केयर वर्कर्स में इम्यूनो ग्लोबिन जी एंटीबॉडी मिलती है तो हम इस बात की तस्दीक कर सकते हैं कि वह स्वस्थ हैं और कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने में सक्षम हैं. इस प्रकार वह हर तरह से अपने लिए भी फायदेमंद है और संस्थान के लिए भी. वे असल कोरोना वॉरियर्स के रूप में सामने आ सकते हैं.

जिनकी इम्यूनिटी खराब होगी उनको एक्सरसाइज कराया जाएगा
डॉ. तूलिका के अनुसार, हम यह टेस्ट इसलिए भी कर रहे हैं ताकि हमें इस बात का पता हो कि किन हेल्थ केयर वर्कर्स में कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ और वह खुद ठीक हो गए. उनमें इम्यूनिटी विकसित हो गई है और साथ ही ऐसे कितने हेल्थ केयर वर्कर्स हैं जिनमें में इम्यूनिटी विकसित नहीं हो पा रही है. उन हेल्थ केयर वर्कर्स में इम्यूनिटी या प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज और कुछ अन्य माध्यमों से हम उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास भी करेंगे.

500 लोगों का होगा टेस्ट
रैपिड एन्टीबॉडी टेस्ट के बारे में डॉक्टर तूलिका चंद्रा ने बताया कि इम्यूनो ग्लोबिन जी एंटीबॉडीज इन भी हेल्थ केयर वर्कर में मिलेगी वह आगे चलकर प्लाज्मा डोनर के रूप में भी संस्थान का सहयोग कर सकते हैं. यह प्लाज्मा उन मरीजों को दिया जा सकेगा जो कोरोना वायरस के संक्रमण में रिकवर नहीं कर पा रहे हैं या जिनकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. केजीएमयू के लगभग 500 हेल्थ केयर वर्कर्स में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लक्ष्य की प्रतिपूर्ति सोमवार से ही शुरू कर दी जाएगी.

लखनऊः कोविड-19 का संक्रमण दिन-ब-दिन पांव पसार रहा है. प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. इनमें से ज्यादातर मरीज खुद ठीक हो रहे हैं और उनमें प्रतिरोधक क्षमता भी बन रही है. मरीजों के साथ-साथ अब किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी कोविड-19 यूनिट में काम करने वाले हेल्थ केयर वर्कर्स का रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट करने जा रही है, ताकि उनमें भी प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाया जा सके. इसके जरिए आगे चलकर यह हेल्थ केयर वर्कर प्लाजमा डोनेशन में सहायक सिद्ध हो सकते हैं.

केजीएमयू के हेल्थ वर्कर्स का होगा रैपिड एन्टीबॉडी टेस्ट.

जांच में हेल्थ वर्कर्स होंगे शामिल
ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्र बताती हैं कि हम अपने हेल्थकेयर वर्कर्स का एंटीबॉडी टेस्ट करवा रहे हैं. इस एंटीबॉडी टेस्ट के तहत हम उनमें इम्यूनो ग्लोबिन जी एंटीबॉडी की जांच कर रहे हैं. सोमवार से इसे पूरी तरह से हेल्थ केयर वर्कर्स की जांच पर केंद्रित कर दिया जाएगा. डॉ. चंद्रा बताती हैं कि हम इस जांच के तहत उन हेल्थ केयर वर्कर्स को शामिल कर रहे हैं. जिन्होंने कोविड-19 यूनिट में काम किया है और अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद अपने-अपने विभागों में दोबारा कार्यरत हो गए हैं.

कोरोना से लड़ने वालों की होगी तलाश
डॉक्टर चंद्रा ने बताया कि हम यहां एक संभावना लेकर चल रहे हैं कि हो सकता है कि इन हेल्थ केयर वर्कर्स में से कुछ व्यक्तियों को कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ हो और वह इससे स्वतः ही ठीक हो चुके हों. इससे उनके शरीर में एंटीबॉडी बन गई होगी. इस एंटीबॉडी टेस्ट से हम उन हेल्थ केयर वर्कर्स की प्रतिरोधक क्षमता के बारे में पता लगा सकते हैं. यदि हेल्थ केयर वर्कर्स में इम्यूनो ग्लोबिन जी एंटीबॉडी मिलती है तो हम इस बात की तस्दीक कर सकते हैं कि वह स्वस्थ हैं और कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने में सक्षम हैं. इस प्रकार वह हर तरह से अपने लिए भी फायदेमंद है और संस्थान के लिए भी. वे असल कोरोना वॉरियर्स के रूप में सामने आ सकते हैं.

जिनकी इम्यूनिटी खराब होगी उनको एक्सरसाइज कराया जाएगा
डॉ. तूलिका के अनुसार, हम यह टेस्ट इसलिए भी कर रहे हैं ताकि हमें इस बात का पता हो कि किन हेल्थ केयर वर्कर्स में कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ और वह खुद ठीक हो गए. उनमें इम्यूनिटी विकसित हो गई है और साथ ही ऐसे कितने हेल्थ केयर वर्कर्स हैं जिनमें में इम्यूनिटी विकसित नहीं हो पा रही है. उन हेल्थ केयर वर्कर्स में इम्यूनिटी या प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज और कुछ अन्य माध्यमों से हम उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास भी करेंगे.

500 लोगों का होगा टेस्ट
रैपिड एन्टीबॉडी टेस्ट के बारे में डॉक्टर तूलिका चंद्रा ने बताया कि इम्यूनो ग्लोबिन जी एंटीबॉडीज इन भी हेल्थ केयर वर्कर में मिलेगी वह आगे चलकर प्लाज्मा डोनर के रूप में भी संस्थान का सहयोग कर सकते हैं. यह प्लाज्मा उन मरीजों को दिया जा सकेगा जो कोरोना वायरस के संक्रमण में रिकवर नहीं कर पा रहे हैं या जिनकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. केजीएमयू के लगभग 500 हेल्थ केयर वर्कर्स में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लक्ष्य की प्रतिपूर्ति सोमवार से ही शुरू कर दी जाएगी.

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