लखनऊः कोरोना समय समय पर अपने व्यवहार में नए-नए बदलाव लाता है. इसी कड़ी में इस बार एक नया बदलाव एंटीबॉडी के रूप में सामने आया है. जिसमें सामने आया है कि कोरोना वायरस से जीतने वाले 40 फ़ीसदी मरीजों में एंटीबॉडी नहीं है. अब तक लखनऊ में 64000 से ज्यादा लोगों को कोरोना वायरस अपनी गिरफ्त में ले चुका है इनमें से तकरीबन 60000 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं और 889 संक्रमित दम तोड़ चुके हैं. कोरोना से संक्रमित गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी की जा रही है. लखनऊ में लोहिया, केजीएमयू और पीजीआई प्लाज्मा निकालने के लिए अधिकृत हैं. कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को कोरोना को हरा चुके लोगों का प्लाज्मा को चढ़ाया जाता है, ताकि मरीज में कोरोनाएंटीबॉडी तैयार पर हो सके.
कोरोना के गंभीर मरीजों को दी जा रही प्लाज्मा थेरेपी
राजधानी लखनऊ के केजीएमयू में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना के गंभीर मरीजों को सही करने की प्रक्रिया चल रही है. इसी कड़ी में कोरोना वायरस को मात दे चुके लोगों के एंटीबॉडी लेकर कोरोना के गंभीर मरीजों को चढ़ाए जा रहा हैं. केजीएमयू के ब्लड एंड ट्रांसवर्जन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तुलिका चंद्रा ने बताया कि कोरोना वायरस को हरा चुके लोगों द्वारा यहां पर एंटीबॉडी दान करने का काम चल रहा है. लेकिन इसी दौरान ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो चौंकाने वाले हैं. यह आंकड़े सामने आ रहे हैं कि 40 फ़ीसदी कोरोना को हरा कर चुके लोगों में एंटीबॉडी नहीं बन रही है.
एंटीबॉडी न डेवलप होने की वजह नहीं पता
कोरोना से जंग जीत चुके मरीजों में तीन से चार महीने बाद तक कि एंटीबॉडी डिवेलप नहीं हो रही है. इसकी वजह से कोरोना को हरा चुके लोग अपना एंटीबॉडी दान नहीं कर पा रहे हैं. एसजीपीजीआई के ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन विभाग के चिकित्सक डॉक्टर अनुपम वर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस को परास्त चुके मरीजों में एंटीबॉडी डेवेलप नहीं होना एक चौंकाने वाला विषय है, ऐसा क्यों हो रहा है इसका पता नहीं लग पा रहा है.