लखनऊ: केजीएमयू में वैक्सीनेशन करा चुके स्टाफ में एंटीबॉडी की पड़ताल शुरू की गई. जहां सप्ताह भर में 500 डॉक्टर, नर्स और अस्पताल कर्मियों के सैंपल की टेस्टिंग की गई. जिसमें 98 फीसदी शरीर मे एंटीबॉडी मौजूद मिले. वहीं, 2 फीसदी स्टाफ में डबल डोज के बावजूद भी एंटीबॉडी नहीं मिला है.
केजीएमयू ने वैक्सीनेशन के प्रभाव का आंकलन करने के लिए अध्ययन शुरू किया. संस्थान में 500 डॉक्टर, 700 रेजीडेंट व 10 हजार के करीब कर्मचारी हैं. यह सभी वैक्सीनेटेड हो चुके हैं. दोनों डोज लेने के बावजूद गत महीनों में संस्थान के कुलपति, चिकित्सा अधीक्षक समेत 800 के करीब डॉक्टर-स्टाफ संक्रमित हो गए. कई डॉक्टर दो दोबारा संक्रमित हुए हैं. ऐसे में अब संस्थान ने वैक्सीनेशन के प्रभाव का आंकलन करने के लिए स्टडी शुरू की है. जिसमें 500 स्टाफ की जांच की गई.
एंटीबॉडी ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक सप्ताह भर से एंटीबॉडी टेस्ट किया जा रहा है. इसमें अभी तक 500 स्टाफ ने सैंपल दिए हैं. उनमें से 98 फीसदी में एंटीबॉडी मिली. वहीं 2 फीसदी में कोरोना के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी नहीं मिली है. कुछ में एंटीबॉडी टाइटर 25 हजार तक मिला. यह हाईलेवल की श्रेणीं में हैं.
डॉ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि अभी अध्ययन की शुरुआत है. 98 फीसदी में कितने में हाई लेवल व कितने में लो लेवल एंटीबॉडी मिली है. अब इसकी रीडिंग कर औसत निकाला जाएगा. वहीं एंटीबॉडी जिनमें नहीं मिली. उसके पीछे के कारणों की पड़ताल की जाएगी. आखिर उन्होंने कब-कब डोज ली है. कहीं वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी भी तो एक निश्चित समय तक तो नहीं हैं. जैसे कोरोना पॉजिटिव होने पर 3 माह ही एंटीबॉडी रहती हैं.
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