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सरकार ने कहा हर रोमियो पर स्क्वॉड की नजर, महिलाओं ने कहा सब बेअसर

प्रदेश की योगी सरकार का दावा है कि हर रोमियो पर स्क्वॉड की नजर है, जबकि राजनीति व सामाजिक कार्यों में सक्रिय महिलाओं ने प्रदेश सरकार के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है. महिलाओं का कहना है कि सरकार के महिला सुरक्षा के वादे झूठे हैं. महिलाओं पर अपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. आइए देखते हैं, देश-प्रदेश में महिला सुरक्षा और एंटी रोमियो स्क्वॉड टीम पर यह स्पेशल रिपोर्ट.

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महिला सुरक्षा और एंटी रोमियो स्क्वॉड टीम पर स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Aug 12, 2020, 12:47 PM IST

Updated : Aug 12, 2020, 1:37 PM IST

लखनऊ: वर्ष 2017, जब प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी, तो मनचलों पर लगाम लगाने के लिए 'एंटी रोमियो स्क्वॉड' का गठन किया गया. शुरुआती दौर में सरकार के निर्देशों पर पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की और मनचलों के साथ-साथ प्रेमी युगलों को भी पुलिस कर्मचारियों ने निशाना बनाया. आज 3 साल बाद एंटी रोमियो की चर्चाएं न के बराबर हो रही हैं, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में एंटी रोमियो स्क्वॉड के तहत की जाने वाली कार्रवाई का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. हालांकि राजनीति व सामाजिक कार्य में सक्रिय महिलाएं विभागीय आंकड़ों को झूठा करार दे रही हैं.

महिला सुरक्षा और एंटी रोमियो स्क्वॉड टीम पर स्पेशल रिपोर्ट.

पुलिस विभाग से मिले आंकड़ों के तहत पिछले 3 वर्षों से भी अधिक समय में एंटी रोमियो स्क्वॉड के तहत पूरे उत्तर प्रदेश में 7,134 एफआईआर दर्ज की गई. इसके तहत 11,222 गिरफ्तारियां की गई हैं. आंकड़ों में पुलिस की सक्रियता उम्मीद से भी अधिक है. पिछले 3 सालों से अधिक समय में 29,31,652 स्थानों पर एंटी रोमियो स्क्वॉड के तहत चेकिंग की गई है. 81,70,707 व्यक्तियों की चेकिंग एंटी रोमियो स्क्वॉड के तहत की गई है. कुल 34,26,323 को एंटी रोमियो स्क्वॉड की टीम ने कार्रवाई की चेतावनी दी है.

आंकड़ों में भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एंटी रोमियो स्क्वॉड सक्रिय नजर आ रहा हो, लेकिन जमीन पर इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है. महिलाओं का कहना है कि आज भी मनचलों के हौसले बुलंद हैं. सड़कों पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं होती हैं, जिन्हें रोकने में पुलिस नाकामयाब है.

दिखावा नहीं प्रयास की जरूरत
महिलाओं के लिए काम करने वाली समाज सेविका उषा विश्वकर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन किया था, लेकिन जमीन पर इसका असर देखने को नहीं मिला. आज भी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की जाती है. हमने कई बार एंटी रोमियो स्क्वॉड के प्रभाव को देखने के लिए सड़कों पर नाट्य रूप से छेड़छाड़ की घटना को अंजाम दिया, लेकिन इस दौरान महिलाओं की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. एंटी रोमियो स्क्वॉड छेड़छाड़ पर क्या रोक लगाएगा, जब राजधानी लखनऊ में ही महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले दर्ज किए जाते हैं, लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी तक नहीं की जाती. सरकार को महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए दिखावा नहीं प्रयास करने की जरूरत है.

एंटी रोमियो स्कॉड एक सांकेतिक घोषणा
समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह का कहना है कि एंटी रोमियो स्क्वॉड एक सांकेतिक घोषणा थी. एंटी रोमियो स्क्वॉड का न कोई वजूद है और न ही जमीन पर कोई अस्तित्व. हमने महिलाओं को टेक्नोलॉजी की मदद से सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए 1090 (वूमेन पावर लाइन) की शुरुआत की थी. महिलाओं के प्रति अपने काम को दिखाने के लिए योगी सरकार ने इस एंटी रोमियो स्क्वॉड की शुरुआत कर दी, लेकिन इसके तहत काम नहीं किया गया. पुलिस विभाग के जो आंकड़े बताए जा रहे हैं, वह हास्यप्रद हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के तहत उत्तर प्रदेश महिला व बाल अपराधों के मामले में पहले स्थान पर है.

महिलाओं को सुरक्षा देने में बीजेपी फेल
कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा का कहना है कि सरकार का गठन होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन किया, जिससे महिलाओं को काफी उम्मीद थी, लेकिन योगी सरकार में सड़कों पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़, दुष्कर्म के बाद हत्या व डोमेस्टिक वायलेंस में बढ़ोतरी हुई है. उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध में गिरावट नहीं आई है. मेरा कहना है कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी अन्य विकास के मुद्दों पर फेल रही है. उस तरह से महिलाओं को सुरक्षा देने में भी वह विफल है.

2016 के बाद हुआ इजाफा
प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अपराध पर लगाम लगाने के लिए भले ही कई प्रयास किए गए हों, लेकिन महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वर्ष 2018 के एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालें, तो वर्ष 2018 में 4,322 रेप की घटनाएं दर्ज की गईं. महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों के तहत 59,445 मामले दर्ज किए गए. एनसीआरबी के आंकड़ों के तहत उत्तर प्रदेश में हर 2 घंटे में एक दुष्कर्म की घटना होती है. वहीं 90 मिनट में एक मासूम के साथ दरिंदगी की घटना को अंजाम दिया जाता है.

आपराधिक आंकड़ों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद प्रदेश में 2017 में आपराधिक आंकड़े भी बढ़े. वर्ष 2017 में 56,011 मामले दर्ज किए गए, जबकि वर्ष 2016 में 49,262 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. इस हिसाब से वर्ष 2017 में प्रतिदिन 154 महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध दर्ज किए गए. वर्ष 2015 में 35,908, 2016 में 49,262 और वर्ष 2017 में 56,011 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. वहीं साल 2018 में भी महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में इजाफा हुआ है.

लखनऊ में महिला अपराध के मामले
योगी सरकार कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए भले ही तमाम दावे करती हो, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होने वाले महिला अपराधों की बात की जाए, तो वर्ष 2018 में 2,736 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 119 मामले महिलाओं के साथ दुष्कर्म के हैं.

वहीं 2017 में महिला अपराध के 2,468 मामले दर्ज किए गए थे. आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगातार महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध बढ़ रहे हैं. यह आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2018 की रिपोर्ट से सामने आए हैं.

महिला अपराधों की बात की जाए तो लखनऊ शहर देश भर में चौथे स्थान पर है. पहले स्थान पर दिल्ली, दूसरे स्थान पर मुंबई, तीसरे स्थान पर बेंगलुरु, चौथे स्थान पर लखनऊ व पांचवें स्थान पर हैदराबाद है.

महिला अपराध के मामले में यह शहर हैं सबसे आगे-

  1. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 2017 में 11,542, 2018 में 11,724 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. दिल्ली में वर्ष 2018 में 1,080 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए.
  2. मुंबई में वर्ष 2017 में 5,433 वर्ष 2018 में 6,058 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. वहीं वर्ष 2018 में मुंबई में 319 दुष्कर्म की घटनाएं रिकॉर्ड की गई.
  3. बेंगलुरु में वर्ष 2017 में 3,565 व वर्ष 2018 में 3,427 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. वहीं वर्ष 2018 में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 106 मामले दर्ज किए गए.
  4. लखनऊ में वर्ष 2017 में 2,468 व 2018 में 2,736 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. वहीं वर्ष 2018 में 199 महिला दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए.
  5. हैदराबाद में वर्ष 2017 में 2,272 वर्ष 2018 में 2,332 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. वहीं 2018 में 89 मामले दुष्कर्म के दर्ज किए गए.

लखनऊ: वर्ष 2017, जब प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी, तो मनचलों पर लगाम लगाने के लिए 'एंटी रोमियो स्क्वॉड' का गठन किया गया. शुरुआती दौर में सरकार के निर्देशों पर पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की और मनचलों के साथ-साथ प्रेमी युगलों को भी पुलिस कर्मचारियों ने निशाना बनाया. आज 3 साल बाद एंटी रोमियो की चर्चाएं न के बराबर हो रही हैं, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में एंटी रोमियो स्क्वॉड के तहत की जाने वाली कार्रवाई का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. हालांकि राजनीति व सामाजिक कार्य में सक्रिय महिलाएं विभागीय आंकड़ों को झूठा करार दे रही हैं.

महिला सुरक्षा और एंटी रोमियो स्क्वॉड टीम पर स्पेशल रिपोर्ट.

पुलिस विभाग से मिले आंकड़ों के तहत पिछले 3 वर्षों से भी अधिक समय में एंटी रोमियो स्क्वॉड के तहत पूरे उत्तर प्रदेश में 7,134 एफआईआर दर्ज की गई. इसके तहत 11,222 गिरफ्तारियां की गई हैं. आंकड़ों में पुलिस की सक्रियता उम्मीद से भी अधिक है. पिछले 3 सालों से अधिक समय में 29,31,652 स्थानों पर एंटी रोमियो स्क्वॉड के तहत चेकिंग की गई है. 81,70,707 व्यक्तियों की चेकिंग एंटी रोमियो स्क्वॉड के तहत की गई है. कुल 34,26,323 को एंटी रोमियो स्क्वॉड की टीम ने कार्रवाई की चेतावनी दी है.

आंकड़ों में भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एंटी रोमियो स्क्वॉड सक्रिय नजर आ रहा हो, लेकिन जमीन पर इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है. महिलाओं का कहना है कि आज भी मनचलों के हौसले बुलंद हैं. सड़कों पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं होती हैं, जिन्हें रोकने में पुलिस नाकामयाब है.

दिखावा नहीं प्रयास की जरूरत
महिलाओं के लिए काम करने वाली समाज सेविका उषा विश्वकर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन किया था, लेकिन जमीन पर इसका असर देखने को नहीं मिला. आज भी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की जाती है. हमने कई बार एंटी रोमियो स्क्वॉड के प्रभाव को देखने के लिए सड़कों पर नाट्य रूप से छेड़छाड़ की घटना को अंजाम दिया, लेकिन इस दौरान महिलाओं की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. एंटी रोमियो स्क्वॉड छेड़छाड़ पर क्या रोक लगाएगा, जब राजधानी लखनऊ में ही महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले दर्ज किए जाते हैं, लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी तक नहीं की जाती. सरकार को महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए दिखावा नहीं प्रयास करने की जरूरत है.

एंटी रोमियो स्कॉड एक सांकेतिक घोषणा
समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह का कहना है कि एंटी रोमियो स्क्वॉड एक सांकेतिक घोषणा थी. एंटी रोमियो स्क्वॉड का न कोई वजूद है और न ही जमीन पर कोई अस्तित्व. हमने महिलाओं को टेक्नोलॉजी की मदद से सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए 1090 (वूमेन पावर लाइन) की शुरुआत की थी. महिलाओं के प्रति अपने काम को दिखाने के लिए योगी सरकार ने इस एंटी रोमियो स्क्वॉड की शुरुआत कर दी, लेकिन इसके तहत काम नहीं किया गया. पुलिस विभाग के जो आंकड़े बताए जा रहे हैं, वह हास्यप्रद हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के तहत उत्तर प्रदेश महिला व बाल अपराधों के मामले में पहले स्थान पर है.

महिलाओं को सुरक्षा देने में बीजेपी फेल
कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा का कहना है कि सरकार का गठन होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन किया, जिससे महिलाओं को काफी उम्मीद थी, लेकिन योगी सरकार में सड़कों पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़, दुष्कर्म के बाद हत्या व डोमेस्टिक वायलेंस में बढ़ोतरी हुई है. उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध में गिरावट नहीं आई है. मेरा कहना है कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी अन्य विकास के मुद्दों पर फेल रही है. उस तरह से महिलाओं को सुरक्षा देने में भी वह विफल है.

2016 के बाद हुआ इजाफा
प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अपराध पर लगाम लगाने के लिए भले ही कई प्रयास किए गए हों, लेकिन महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वर्ष 2018 के एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालें, तो वर्ष 2018 में 4,322 रेप की घटनाएं दर्ज की गईं. महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों के तहत 59,445 मामले दर्ज किए गए. एनसीआरबी के आंकड़ों के तहत उत्तर प्रदेश में हर 2 घंटे में एक दुष्कर्म की घटना होती है. वहीं 90 मिनट में एक मासूम के साथ दरिंदगी की घटना को अंजाम दिया जाता है.

आपराधिक आंकड़ों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद प्रदेश में 2017 में आपराधिक आंकड़े भी बढ़े. वर्ष 2017 में 56,011 मामले दर्ज किए गए, जबकि वर्ष 2016 में 49,262 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. इस हिसाब से वर्ष 2017 में प्रतिदिन 154 महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध दर्ज किए गए. वर्ष 2015 में 35,908, 2016 में 49,262 और वर्ष 2017 में 56,011 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. वहीं साल 2018 में भी महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में इजाफा हुआ है.

लखनऊ में महिला अपराध के मामले
योगी सरकार कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए भले ही तमाम दावे करती हो, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होने वाले महिला अपराधों की बात की जाए, तो वर्ष 2018 में 2,736 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 119 मामले महिलाओं के साथ दुष्कर्म के हैं.

वहीं 2017 में महिला अपराध के 2,468 मामले दर्ज किए गए थे. आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगातार महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध बढ़ रहे हैं. यह आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2018 की रिपोर्ट से सामने आए हैं.

महिला अपराधों की बात की जाए तो लखनऊ शहर देश भर में चौथे स्थान पर है. पहले स्थान पर दिल्ली, दूसरे स्थान पर मुंबई, तीसरे स्थान पर बेंगलुरु, चौथे स्थान पर लखनऊ व पांचवें स्थान पर हैदराबाद है.

महिला अपराध के मामले में यह शहर हैं सबसे आगे-

  1. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 2017 में 11,542, 2018 में 11,724 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. दिल्ली में वर्ष 2018 में 1,080 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए.
  2. मुंबई में वर्ष 2017 में 5,433 वर्ष 2018 में 6,058 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. वहीं वर्ष 2018 में मुंबई में 319 दुष्कर्म की घटनाएं रिकॉर्ड की गई.
  3. बेंगलुरु में वर्ष 2017 में 3,565 व वर्ष 2018 में 3,427 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. वहीं वर्ष 2018 में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 106 मामले दर्ज किए गए.
  4. लखनऊ में वर्ष 2017 में 2,468 व 2018 में 2,736 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. वहीं वर्ष 2018 में 199 महिला दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए.
  5. हैदराबाद में वर्ष 2017 में 2,272 वर्ष 2018 में 2,332 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए. वहीं 2018 में 89 मामले दुष्कर्म के दर्ज किए गए.
Last Updated : Aug 12, 2020, 1:37 PM IST
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